नॉर्थ गोवा में जिस श्री लैराई यात्रा, जिसे शिरगांव जात्रा के नाम से भी जाना जाता है, में भगदड़ हुई, वह श्री लैराई देवी मंदिर में आयोजित होने वाला एक प्रमुख हिंदू धार्मिक उत्सव है। यह यात्रा हर साल अप्रैल या मई में होती है और गोवा के सबसे प्रसिद्ध और अनूठे धार्मिक आयोजनों में से एक है। यह उत्सव अपनी अनोखी परंपराओं, विशेष रूप से अग्निदिव्य (होमकुंड पर चलने की रस्म) के लिए जाना जाता है। नीचे इस यात्रा से जुड़ी प्रमुख बातें दी गई हैं…
Devi Lairai Jatra pic.twitter.com/JWXC47Rg3J
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मंदिर और देवी का महत्व
गोवा के सबसे पुराने और प्रसिद्ध देवस्थानों में से एक श्री लैराई देवी मंदिर की वास्तुकला उत्तरी और दक्षिणी मंदिर शैलियों का मिश्रण है, जिसमें एक गुंबद और पिरामिड जैसा ऊंचा शिखर शामिल है। स्थानीय मान्यता के अनुसार, लैराई देवी और मापुसा की वर्जिन मैरी (मिलाग्रेस सायबिन) को बहनें माना जाता है, जो गोवा की सांप्रदायिक सौहार्द और सांस्कृतिक समन्वय की मिसाल है। मंदिर में अन्य देवताओं जैसे संतेर, महामाया, रावलनाथ, महादेव, ग्रामपुरुष, क्षेत्रपाल आदि के भी 14 छोटे-बड़े मंदिर हैं।
श्री लैराई जात्रा का समय और अवधि
यह जात्रा आमतौर पर अप्रैल या मई के महीने में आयोजित होती है। 2023 में यह 24 अप्रैल को मनाई गई थी। उत्सव पांच दिनों तक चलता है, जिसमें विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान, पूजा और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल होते हैं। मुख्य आयोजन सुबह से शुरू होकर अगली सुबह तक चलता है, जिसमें रात के समय मंदिर को रोशनी से सजाया जाता है।
#Watch– Dhonds of goddess Lairai walk over a bed of burning coal as part of the age-old tradition of the annual Lairai zatra at Shirgao#Fire #Lairai #Jatra #LairaiJatra #WalkingOnFire #Shirgaon pic.twitter.com/Tcl2ORayne
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अग्निदिव्य (होमकुंड पर चलने की रस्म)
जात्रा का सबसे आकर्षक और अनूठा हिस्सा है अग्निदिव्य, जिसमें भक्त (धोंड) जलते हुए कोयले (होमकुंड) पर नंगे पांव चलते हैं। यह रस्म सुबह 4 बजे के आसपास शुरू होती है। इस रस्म में गोवा और पड़ोसी कोंकण क्षेत्र से करीब 20000 धोंड हिस्सा लेते हैं। वे लकड़ी की छड़ियां लिए देवी लैराई का नाम जपते हुए कोयलों पर चलते हैं। धोंड इस अनुष्ठान से पहले 5 दिन या गुड़ी पड़वा से उपवास करते हैं और मंदिर परिसर या अस्थायी झोपड़ियों में रहते हैं। उपवास के दौरान वे धोंडाची ताली (पवित्र झील) में स्नान करते हैं।
सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व
यह जात्रा गोवा की सामुदायिक एकता का प्रतीक है। हिंदू और ईसाई समुदाय के लोग एक-दूसरे के उत्सवों में हिस्सा लेते हैं। मापुसा में उसी दिन मिलाग्रेस सायबिन का उत्सव होता है, और दोनों समुदाय एक-दूसरे के प्रति सम्मान प्रकट करते हैं। जात्रा में हजारों भक्त शामिल होते हैं, और प्रशासन इसे सुचारू रूप से संचालित करने के लिए विशेष व्यवस्था करता है।
मन भक्ती भावनेन भरून वता तशे तुजें दर्शन दी..
लयराई देवीचे नामनेचे जात्रे खातीर शिरगांव सज्ज. फाल्यां जात्रा, पांच दिसांत लाखांनी भावीक येतले भेटेक, प्रशासन सज्ज. लाखांनी भाविकांचें श्रध्दास्थान आशिल्ली श्री लयराईदेवीची जात्रा 2 मे ह्या दिसा जातली. उपरांत फुडले पांच दीस लाकांनी… pic.twitter.com/M2xIdoeBW2
— Goa News Hub (@goanewshub) May 1, 2025
कैसे पहुंचें?
स्थान: श्री लैराई मंदिर, शिरगांव, बिचोलिम तालुका, नॉर्थ गोवा।
पणजी कदंबा बस स्टैंड से 25 किलोमीटर, मापुसा से 13 किलोमीटर और वास्को डा गामा रेलवे स्टेशन से 50 किलोमीटर की दूरी है। पणजी और मापुसा से नियमित बसें उपलब्ध हैं। टैक्सी या ऑटो रिक्शा भी किराए पर लिए जा सकते हैं। निकटतम हवाई अड्डा मनोहर इंटरनेशनल एयरपोर्ट (मोपा) है, जो पणजी से लगभग 30 किलोमीटर दूर है।
यात्रा के लिए सुझाव और सावधानियां
सुबह का समय मंदिर दर्शन के लिए सबसे अच्छा है। मंदिर के अंदर फोटोग्राफी की पहले अनुमति लें। जात्रा के दौरान भीड़ बहुत अधिक होती है, इसलिए व्यक्तिगत सामान का ध्यान रखें। हाल की भगदड़ की घटना को देखते हुए, प्रशासन की सलाह और सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन करें। होमकुंड पर चलने की रस्म में भाग लेने से पहले पूरी जानकारी और तैयारी करें, क्योंकि यह शारीरिक और मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है।