हस्तनिर्मित संदूक
कुछ उपहार नेताओं को उपहार में हस्तनिर्मित संदूक दिए गए हैं। इन संदूकों को शीशम की लकड़ी से तैयार किया गया है। संदूक पर हाथ से नक्काशी भी की गई थी। साथ ही उसे पीतल की पीली पट्टी से सजाया गया था। इसके अलावा रेड गोल्ड के नाम से मशहूर केसर (फारसी में ‘जाफरान’, हिंदी में ‘केसर’) भी गिफ्ट किया गया है। बता दें कि केसर दुनिया का सबसे महंगा मसाला है। केसर एंटीऑक्सीडेंट से भी भरपूर होता है और कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।
चाय की शैंपेन
दार्जिलिंग चाय को ‘चाय की शैंपेन’ के नाम से भी जाना जाता है। दार्जिलिंग चाय को दुनिया की सबसे महंगाी चाय माना जाता है। 3 हजार से 5 हजार फीट की ऊंचाई पर पश्चिम बंगाल की धुंध भरी पहाड़ियों पर स्थित चाय के बगान में लगी फसल से केवल कोमल पत्तियां चुनकर इसे बनाया जाता है।
अराकू कॉफ़ी
अराकू कॉफी दुनिया की पहली टेरोइर-मैप्ड कॉफी है, जो आंध्र प्रदेश की अराकू घाटी में जैविक बागानों में उगाई जाती है। किसान छोटे खेतों में हाथ से काम करते हैं और मशीनों या रसायनों के उपयोग के बिना प्राकृतिक रूप से इस कॉफी को उगाते हैं।
मैंग्रोव शहद
सुंदरबन दुनिया का सबसे बड़ा मैंग्रोव वन है, जो बंगाल की खाड़ी में गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेघना नदियों के संगम से बने डेल्टा में स्थित है। यह मधुमक्खियों का घर है। मधुमक्खी पालन की संस्कृति से पहले, लोग जंगल में मधुमक्खियों के छत्ते का शिकार करते थे। मधुमक्खी के शिकार की यह परंपरा सुंदरवन के लोगों के बीच आज भी प्रचलित है।
सुंदरबन शहद का स्वाद के लिए जाना जाता है। यह अन्य प्रकार के शहद की तुलना में कम चिपचिपा होता है। 100% प्राकृतिक और शुद्ध होने के अलावा, सुंदरबन शहद में फ्लेवोनोइड्स की मात्रा अधिक होती है, जो स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होता है।
पश्मीना शॉल
कश्मीरी पश्मीना शॉल काफी प्रसिद्ध होता है। फारसी में ‘पशम’ का अर्थ ऊन होता है, लेकिन कश्मीरी में, इसका तात्पर्य चांगथांगी बकरी (दुनिया की सबसे अनोखी कश्मीरी बकरी) के कच्चे बिना काते ऊन से है जो समुद्र तल से केवल 14,000 फीट की ऊंचाई पर पाई जाती है। इस बकरी के अंडरकोट में कंघी करके (कतरकर नहीं) ऊन इकट्ठा किया जाता है।
कुशल कारीगर सदियों पुरानी प्रक्रियाओं का उपयोग करके नाजुक रेशों को हाथ से घुमाते, बुनते और कढ़ाई करते हैं। इसके बाद हल्का, ठंड में काफी गर्म रखने वाले, सुंदर और शिल्प कौशल के प्रतीक वाला शॉल तैयार होता है। प्राचीन समय में राज दरबारों में, पश्मीना का उपयोग पद के संकेतक के रूप में माना जाता था।
उत्तर प्रदेश का जिगराना इत्र
जिगराना इत्र को उत्तर प्रदेश के कन्नौज शहर की खुशबू का प्रतीक माना जाता है। ये इत्र सदियों पुरानी परंपरा को प्रदर्शित करता है। पीढ़ियों से चली आ रही विधि का उपयोग करके कुशलतापूर्वक इसे तैयार किया जाता है। कहा जाता है कि मास्टर कारीगर भोर में चमेली और गुलाब जैसे दुर्लभ फूलों को नाजुक ढंग से इकट्ठा करते हैं। ये वो समय होता है, जब इनकी खुशबू काफी तेज होती है।
इसके बाद हाइड्रो-आसवन की सावधानीपूर्वक प्रक्रिया के माध्यम से चमेली और गुलाब जैसी फूलों की पंखुड़ियों से आवश्यक तेल निकाले जाते हैं। इसके बाद इससे इत्र तैयार किया जाता है।
खादी दुपट्टा
खादी एक पर्यावरण-अनुकूल वस्त्र सामग्री है जो हर मौसम में अपनी सुंदर बनावट के लिए पसंद की जाती है। इसे कपास, रेशम, जूट या ऊन से बुना जा सकता है। यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सबसे महत्वपूर्ण प्रतीकों में से एक है और इसका नाम महात्मा गांधी ने रखा था।
भारत के ग्रामीण कारीगर, जिनमें से 70% महिलाएं हैं, इन जटिल धागों को हाथ से बुनते हैं। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान चरखे पर अपनी शुरुआत से लेकर उनकी क्वालिटी और विलासिता का प्रतीक बनने तक, खादी कई वर्षों से फैशन का प्रतीक रही है।
स्मारक टिकटें, सिक्के
भारत आए वैश्विक नेताओं को भारत के G20 प्रेसीडेंसी को चिह्नित करने वाले स्मारक टिकटों और सिक्कों को भी गिफ्ट में दिया गया। स्मारक टिकटों और सिक्कों को जुलाई में नई दिल्ली में भारत मंडपम के उद्घाटन के दौरान पीएम मोदी ने जारी किया था। सिक्कों और टिकटों दोनों के डिज़ाइन भारत के G20 लोगो और ‘वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर’ की थीम से प्रेरित हैं।
नेताओं के साथी को भी दिए गए थे गिफ्ट
ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज़ और ब्राज़ील के प्रधानमंत्री लूला दा सिल्वा की पत्नी को पश्मीना शॉल दिया गया था।
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो की पत्नी को असम स्टोल दिया गया। असम स्टोल पूर्वोत्तर राज्य में बुने जाने वाले पारंपरिक परिधान हैं। उपहार में दिया गया स्टोल मुगा रेशम का यूज कर कारीगरों ने तैयार किया था।
जापानी पीएम फुमियो किशिदा की पत्नी को कांजीवरम साड़ी गिफ्ट में दी गई थी। ‘कांजीवरम’ का नाम दक्षिण भारत के एक छोटे से गांव तमिलनाडु के कांचीपुरम से लिया गया है। कांचीपुर में ही इस शिल्प की उत्पत्ति हुई थी।
यूके के पीएम ऋषि सुनक की पत्नी को बनारसी स्टोल दिया गया। बनारसी रेशम के स्टोल खूबसूरती के लिए जाने जाते हैं। बनारसी सिल्क के स्टोल का इस्तेमाल शादियों और खास मौकों पर खूब किया जाता है।
मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जुगनौत की पत्नी को ओडिशा के कारीगरों द्वारा बनाई गई पारंपरिक शहतूत रेशम से बनाई गई स्टोल दी गई था।