दिल दहला देने वाली ठंडी हवा, बर्फ से ढकी ऊंचाई और सांस लेने में तकलीफ… लेकिन गीता समोटा नहीं रुकीं। राजस्थान के एक छोटे से गांव से निकलकर उन्होंने ऐसा सपना देखा, जो बहुतों को नामुमकिन लगता है माउंट एवरेस्ट की चोटी पर तिरंगा फहराना और उन्होंने इसे सच कर दिखाया। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की यह बहादुर महिला अधिकारी अब इतिहास में दर्ज हो चुकी हैं। गीता ने साबित कर दिया कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी ऊंचाई मुश्किल नहीं होती।
एवरेस्ट फतह कर रचा इतिहास
केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की महिला उप-निरीक्षक गीता समोटा ने माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करके इतिहास रच दिया है। वह CISF की पहली महिला अधिकारी बनी हैं, जिन्होंने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर तिरंगा फहराया। 20 मई 2025 को गीता ने यह उपलब्धि हासिल की और इसके लिए CISF ने उन्हें 5 लाख रुपये नकद पुरस्कार और डीजी डिस्क से सम्मानित किया। CISF के महानिदेशक राजविंदर सिंह भट्टी ने गीता को यह सम्मान नई दिल्ली में दिया और कहा कि उनकी मेहनत और साहस ने पूरे CISF को गौरवान्वित किया है।
राजस्थान के छोटे गांव से शिखर तक का सफर
गीता समोटा राजस्थान के सीकर जिले के चाक गांव से हैं। एक सामान्य परिवार में पली-बढ़ी गीता बचपन में हॉकी खिलाड़ी थीं, लेकिन एक चोट के कारण उन्हें हॉकी छोड़नी पड़ी। 2011 में CISF में शामिल होने के बाद उन्होंने एडवेंचर की दुनिया में कदम रखा और पर्वतारोहण को अपना लक्ष्य बना लिया। 2019 में उन्होंने माउंट सतोपंथ (उत्तराखंड) और माउंट लोबुचे (नेपाल) की चढ़ाई की और किसी भी केंद्रीय सशस्त्र बलों की महिला अधिकारी द्वारा इन चोटियों को फतह करने वाली पहली महिला बनीं।
7 महाद्वीपों की चोटियों को फतह करने का लक्ष्य
गीता समोटा का सपना सिर्फ एवरेस्ट तक सीमित नहीं है। उन्होंने ‘सेवन समिट्स’ यानी सातों महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों पर चढ़ने का लक्ष्य तय किया है। अब तक वह 5 महाद्वीपों की चोटियों माउंट किलिमंजारो (तंजानिया), माउंट एल्ब्रस (रूस), माउंट कोजीउस्जको (ऑस्ट्रेलिया), माउंट अकॉनकागुआ (अर्जेंटीना) और माउंट एवरेस्ट (एशिया) पर चढ़ चुकी हैं। उन्होंने यह सब सिर्फ 6 महीने और 27 दिनों में कर दिखाया, जिससे वह सबसे तेज भारतीय महिला पर्वतारोही बन गईं। अब सिर्फ दो महाद्वीपों की चोटियां बाकी हैं जिन्हें वह जल्द ही फतह करना चाहती हैं।
हिम्मत और हौसले की मिसाल
गीता ने बताया कि उन्हें कभी-कभी खुद पर शक होता था, लेकिन जब वह चोटी पर पहुंचीं और तिरंगा फहराया, तो सारी थकान और डर गायब हो गया। उन्होंने कहा कि पहाड़ महिला-पुरुष नहीं देखते, बल्कि केवल साहस और आत्मबल देखते हैं। उनके इस सफर से देश के युवाओं को प्रेरणा मिलेगी। CISF के अनुसार, गीता की उपलब्धियां पूरे सुरक्षा बल के लिए गर्व का विषय हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि लगन और हौसले से कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है।