FASTag news: यदि आपकी गाड़ी पर FASTag नहीं लगा है और या वह काम नहीं कर रहा है तो टोल टैक्स पर आपसे डबल रकम वसूली जाती है। इसको लेकर आए दिन टोल पर बवाल भी होता है। अब दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) और केंद्र सरकार से उन नियमों और सरकारी आदेशों को चुनौती देने वाली याचिका पर जवाब मांगा है, जिसमें NHAI गाड़ियों पर टोल न होने पर डबल चार्ज करने की अनुमति देता है।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने 23 दिसंबर को एनएचएआई और केंद्र दोनों को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के माध्यम से नोटिस जारी किया और उन्हें अपना जवाब दाखिल करने का समय दिया और मामले को 18 अप्रैल को सूचीबद्ध किया।
दोगुना भुगतान करने को लोग मजबूर
अधिवक्ता रविंदर त्यागी द्वारा दायर जनहित याचिका याचिका में राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों और संग्रह का निर्धारण) नियम 2008 के साथ-साथ सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी पत्रों और NHAI द्वारा जारी 2021 के एक सर्कुलर को चुनौती दी गई है जिसमें ‘सभी टोल लेन को 100 प्रतिशत फास्टैग लेन में परिवर्तित करना’ शामिल है। याचिका में दावा किया गया है कि इसके परिणामस्वरूप सभी यात्री जिनके पास कार्यात्मक FASTag नहीं है, उन्हें टोल राशि का दोगुना भुगतान करने के लिए मजबूर किया जाता है।
याचिका में दावा किया गया है कि नकद में भुगतान किए जाने पर दोगुनी दर से टोल टैक्स वसूलने का कानून में कोई औचित्य नहीं है क्योंकि फास्टैग के माध्यम से भुगतान करने पर भी इसका मूल्य समान रहता है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि एनएचएआई और मंत्रालय द्वारा यात्रियों को प्रदान की जाने वाली सेवाएं, चाहे नकद या फास्टैग के माध्यम से भुगतान की गई हों, वह एक समान हैं और इसलिए उक्त नियम और आदेश भेदभावपूर्ण और मनमाना माना जाना चाहिए।
2008 के नियमों और उसके बाद के आदेशों को रद्द करने की मांग के अलावा, याचिका में केंद्र और एनएचएआई को निर्देश देने की मांग की गई है कि यदि नकद में भुगतान किया जाता है तो टोल शुल्क की दोगुनी राशि वसूलने की प्रथा को रोका जाए, क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 का उल्लंघन करता है।