Electoral Bonds Scheme Supreme Court Hearing: सुप्रीम कोर्ट में राजनीतिक दलों को फंडिंग के लिए चुनावी बांड योजना (Electoral Bonds Scheme) की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई शुरू हो गई है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई, जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने चार याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इन याचिकाओं में कांग्रेस नेता जया ठाकुर और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की ओर से दायर याचिकाएं भी शामिल थीं।
कांग्रेस समेत इन्होंने दायर की थी याचिका
जानकारी के मुताबिक, इस योजना को सरकार की ओर से 2 जनवरी, 2018 को अधिसूचित किया गया था। इससे राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले नकद दान (चंदा) के विकल्प के रूप में पेश किया गया था। इसी को लेकर राजनीतिक दलों की ओर से याचिकाएं दायर की गई हैं। सुप्रीम कोर्ट में इस पर सुनवाई और बहस जारी है।
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कोर्ट में दी ये दलील
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए हैं। जबकि वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, प्रशांत भूषण और विजय हंसारिया कोर्ट में मौजूद याचिकाकर्ताओं के लिए लड़ रहे हैं। अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि आम लोगों को राजनीतिक धन के स्रोत के बारे में जानने का अधिकार नहीं है। कहा कि पार्टियों की राजनीतिक फंडिंग के लिए चुनावी बांड योजना स्वच्छ धन में योगदान करती है।
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि नागरिकों को संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत स्रोत के बारे में जानकारी का अधिकार नहीं है। वहीं इस मामले में पूर्व मंत्री चिदंबरम ने कहा कि भाजपा ने स्पष्ट कर दिया है कि वह ‘षड्यंत्रकारी’ तरीके से धन जुटाएगी।