What Is Electoral Bond : चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी गुरुवार को फैसला सुना दिया। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने पिछले साल 2 नवंबर को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जो आज सुनाया जाएगा। इस रिपोर्ट में जानिए कि चुनावी बॉन्ड क्या होते हैं और इसके खिलाफ क्या-क्या तर्क दिया गए हैं।
Supreme Court’s five-judge Constitution bench to deliver its verdict on 15th February on a batch of pleas challenging the legal validity of the Central government’s Electoral Bond scheme which allows for anonymous funding to political parties. pic.twitter.com/59FQD1jntx
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) February 14, 2024
क्या होते हैं चुनावी बॉन्ड
चुनावी बॉन्ड एक ऐसा सिस्टम है जिसके माध्यम से बिना अपनी पहचान जाहिर किए कोई शख्स किसी राजनीतिक दल को फंड दे सकता है। चुनावी बॉन्ड को भारत में कोई व्यक्ति या कंपनी खरीद सकती है। इन्हें खास तौर पर राजनीतिक दलों को पैसा देने के लिए ही जारी किया जाता है। इन्हें भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) जारी करता है और ये 1000, 10000, 1 लाख, 10 लाख और 1 करोड़ रुपये के मल्टिपल में बेचे जाते हैं।
On the D-Day of electoral bonds, a report by election watchdog Association of Democratic Reforms has revealed that the Bharatiya Janata Pary has received nearly 90% of corporate donations worth Rs 680.49 crore that five national parties together gathered in 2022-23. The total… pic.twitter.com/zJUIDiIINa
— Everything Works (@HereWorks) February 15, 2024
इस योजना के तहत डोनेशन पर 100 प्रतिशत टैक्स छूट मिलती है और पैसा देने वाले की पहचान भी गुप्त रखी जाती है। न बैंक और न ही राजनीतिक दल दान देने वाले शख्स की पहचान जाहिर कर सकते हैं। इस योजना का पहली बार ऐलान पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2017 के बजट सत्र के दौरान की थी। जनवरी 2018 में इसे कानून में संशोधन करते हुए राजनीतिक फंडिंग के स्रोत के रूप में अधिसूचित किया गया था।
क्यों किया जा रहा विरोध
सुप्रीम कोर्ट में इस योजना के खिलाफ कई याचिकाएं दाखिल की गई थीं। याचिकाएं दाखिल करने वालों में सीपीआई (एम) और कुछ एनजीओ शामिल हैं। इनमें चुनावी बॉन्ड योजना की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाए गए हैं। उल्लेखनीय है कि इस मामले में सुनवाई की शुरुआत पिछले साल 31 अक्टूबर को हुई थी। बता दें कि इन याचिकाओं में यह भी कहा गया है कि इस योजना से देश के लिए खतरे की स्थिति बन सकती है।
Whatever the Supreme Court decides today, electoral bonds are instruments that weaken democracy. It allows ‘legal bribes’ and also gives the person/entity the luxury of anonymity
— Dhanya Rajendran (@dhanyarajendran) February 15, 2024
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह योजना सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है, शेल कंपनियों के लिए रास्ता तैयार करती है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है। राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल कह चुके हैं कि कोई राजनीतिक दल चुनावी बॉन्ड से मिला पैसा चुनाव के अलावा किसी अन्य कार्यों में भी खर्च कर सकते हैं। हालांकि, केंद्र सरकार का इसे लेकर कहना है कि यह योजना पूरी तरह से पारदर्शी है।
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