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बर्फबारी या बारिश नहीं, गर्मी ने रोक दीं फ्लाइट्स! लेह में पहली बार हो रहा ऐसा हाल

Climate Change Impact: लद्दाख एयरपोर्ट 11 हजार फीट की ऊंचाई पर है। हवा में उमस नहीं है। यहां हवा बहुत हल्की होती है। सूखे मौसम में ऑक्सीजन भी कम होता है। ऐसी स्थिति में फ्लाइट्स को उड़ान भरने लायक पावर नहीं मिल पाता है।

Edited By : News24 हिंदी | Updated: Jul 29, 2024 10:23
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लेह एयरपोर्ट पर लैंड करती फ्लाइट | फोटोः @janam_parikh
लेह एयरपोर्ट पर लैंड करती फ्लाइट | फोटोः @janam_parikh

Climate Change Impact in Leh: ग्लोबल वॉर्मिंग से क्लाइमेट में आ रहे बदलावों का साफ असर दिख रहा है। इसके चलते देश के ऊंचे इलाकों में फ्लाइट्स का संचालन प्रभावित हो रह है। हमारी जिंदगी पर भी इसका सीधा असर पड़ रहा है। और इससे हमारा ट्रैवल प्लान भी अछूता नहीं है। लेह में ज्यादा गर्मी की वजह से उड़ानों के संचालन में दिक्कत आ रही है। ऐसा जुलाई में कई बार हुआ है। जब एयरपोर्ट पर गर्मी की वजह से उड़ानों को रोके जाने का ऐलान हुआ।

बीते रविवार को लेह एयरपोर्ट पर इंडिगो की तीन और स्पाइसजेट की एक उड़ान रद्द कर दी गई। उससे पहले शनिवार को भी ऐसा हुआ था। दिल्ली से आई एक फ्लाइट लैंड नहीं कर पाई। ऐसा तब हुआ जब लेह में तापमान 35 डिग्री था। हैरान हो गए न आप!

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लद्दाख में मौसम का फ्लाइट्स पर सीधा असर
ऐसे समझिए कि फ्लाइट्स की उड़ानों के थमने के लिए सिर्फ गर्मी जिम्मेदार नहीं है। कई सारी चीजें हैं जो आपस में जुड़ी हुई हैं। पहली बात कि लद्दाख एयरपोर्ट 11 हजार फीट की ऊंचाई पर है। यहां हवा में उमस नहीं है। यहां हवा बहुत हल्की होती है। ऑक्सीजन भी कम होता है और सूखा मौसम। ऐसी स्थिति में फ्लाइट्स को उड़ान भरने लायक पावर नहीं मिल पाता है।

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दिल्ली में क्यों बंद नहीं होतीं फ्लाइट्स
अब आप सोच रहें होंगे कि दिल्ली में तो तापमान 48 डिग्री तक जाता है, तब भी फ्लाइट्स बंद नहीं होती हैं। दरअसल दिल्ली में उमस के कारण हवा भारी होती है। इसलिए फ्लाइट्स को उड़ान भरने में कोई दिक्कत नहीं होती है। लेह-लद्दाख में स्थिति दिल्ली के एकदम उलट है। 27 जुलाई को भी लेह एयरपोर्ट पर चार फ्लाइट्स रद्द की गईं। जब तापमान कम हुआ तब फ्लाइट्स ने उड़ान भरी।

साफ है कि ग्लोबल वार्मिंग के चलते लेह का तापमान बढ़ता रहा तो आने वाले समय में यहां विमानों का संचालन बहुत मुश्किल हो जाएगा। लेह में विमानों के संचालन के लिए तापमान का कम होना जरूरी है।

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News24 हिंदी

First published on: Jul 29, 2024 10:22 AM

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