Chhath Puja: कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने छठ पर्व को लेकर रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में बड़ा दावा किया गया है। दिल्ली समेत कई राज्यों में लाखों लोग छठी मैया की पूजा करते हैं। दिल्ली में छठ पूजा के मौके पर खास इंतजाम सरकार की ओर से किए जाते हैं। इस बार कैट ने देशभर में छठ पर्व पर 12 हजार करोड़ का कारोबार होने की उम्मीद जताई है। कैट का दावा है कि बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों समेत इस बार छठ पूजा में 15 करोड़ लोग शामिल होंगे।
छोटे उत्पादों का बड़ा व्यापार
बता दें कि छठ के मौके पर फल, कपड़े, फूल, साड़ियों, सब्जी, मिट्टी के चूल्हे समेत दूसरे छोटे उत्पादों का बड़ा व्यापार होता है। छठ को भारत की लोक संस्कृति में बड़ा त्योहार माना जाता है। छठ का त्योहार झारखंड, बिहार, दिल्ली, पूर्वी उत्तर प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश के अलावा विदर्भ मेें जोर-शोर से मनाया जाता है।
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कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया के अनुसार पूर्वांचल में काफी लोग छठ पर कारोबार करते हैं। इनकी आजीविका छोटे उत्पादों की बिक्री पर टिकी है। छठ का त्योहार भारत की सभ्यता और संस्कृति का हिस्सा है। छठ पूजा के दौरान उगते सूर्य के साथ पहले डूबते सूर्य की पूजा की जाती है। इससे इस बात को भी बल मिलता है कि उगते सूरज को सभी सलाम करते हैं। लेकिन भारत के लोग डूबते सूरज का भी सहारा बनते हैं। छठ पूजा के त्योहार में बांस के सूप, गन्ना, मिठाई, केले के पत्ते और सब्जियों का प्रयोग किया जाता है। वहीं, नारियल, केला, सेब और हरी सब्जियों को भी पूजन सामग्री के तौर पर शामिल किया जाता है।
छठ पर्व के दौरान 12,000 करोड़ रुपये के व्यापार की उम्मीद: CAIThttps://t.co/hhbASd7ddO
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— Shaktisinh Chanchu (@ishaktisinhbjp) November 5, 2024
छठ हमारी संस्कृति का हिस्सा
छठ महापर्व के दौरान इन चीजों की जमकर बिक्री होती है। महिलाएं इस दिन अपने पारंपरिक परिधान साड़ी, लहंगा चुन्नी आदि पहनती हैं। वहीं, पुरुष कुर्ता-पायजामा, धोती आदि डालते हैं। इन कपड़ों की खरीदारी से स्थानीय कारोबारियों को अधिक फायदा होता है। MMME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम) से जुड़े उद्योगों को भी बिक्री से काफी मजबूती मिलती है।
कैट के जनरल सेक्रेटरी और बीजेपी सांसद प्रवीण खंडेलवाल के अनुसार छठ सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं है। यह हमारी संस्कृति का हिस्सा है। इस दौरान व्यापार से स्थानीय उत्पादकों को काफी लाभ मिलेगा। जिससे पीएम मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ व ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प को बल मिलेगा। स्थानीय कारीगरों और हस्तशिल्पियों को भी खूब फायदा होगा।
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