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Cheetah in India: कैसे पहुंचें Kuno National Park? क्या देखें, कहां ठहरें, क्या है खासियत, जानिए सबकुछ

पुष्पेन्द्र शर्मा, नई दिल्ली: इन दिनों मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) का कूनो नेशनल पार्क (kuno national park) चर्चा में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi Birthday) के जन्मदिन के अवसर पर 17 सितंबर को 8 चीते इस नेशनल पार्क में पहुंचेंगे। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) देश के सबसे चर्चित बाघ अभयारण्यों-बांधवगढ़, पेंच, सतपुड़ा और कान्हा […]

Edited By : Pushpendra Sharma | Updated: Sep 17, 2022 14:24
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kuno national park

पुष्पेन्द्र शर्मा, नई दिल्ली: इन दिनों मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) का कूनो नेशनल पार्क (kuno national park) चर्चा में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi Birthday) के जन्मदिन के अवसर पर 17 सितंबर को 8 चीते इस नेशनल पार्क में पहुंचेंगे। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) देश के सबसे चर्चित बाघ अभयारण्यों-बांधवगढ़, पेंच, सतपुड़ा और कान्हा के लिए प्रसिद्ध है। हालांकि कूनो (kuno) का नाम अब तेजी से चर्चा में आया है। इस वन्यजीव अभयारण्य की स्थापना 1981 में हुई थी। यदि आप भी वाइल्डलाइफ पसंद करते हैं और कूनो नेशनल पार्क (kuno national park) घूमने जाना चाहते हैं तो आइए यहां हम आपको पूरी गाइड बताते हैं।

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कैसे जाएं कूनो नेशनल पार्क? (How to reach Kuno National Park?)

यह मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले से 64 किलोमीटर दूर है। हालांकि राजधानी भोपाल से इसकी दूरी काफी ज्यादा है। भोपाल से यह 414 किलोमीटर दूर है। जबकि इंदौर से इसकी दूरी 490 किमी है। श्योपुर के लिए राजधानी दिल्ली से ट्रेन मिलना काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है, इसलिए रोड से जाना सबसे बेहतर है। खुद की कार या टैक्सी हो तो सोने पे सुहागा। श्योपुर से कूनो जाने पर लगभग डेढ़ घंटा लगेगा। जबकि शिवपुरी जिले से इसकी दूरी लगभग 75 किलोमीटर है।

कूनो के लिए निकटतम हवाई अड्डा (Nearest airport to Kuno)

कूनो नेशनल पार्क के लिए सबसे बेहतर विकल्प राजस्थान का सवाई माधोपुर है। यहां आप रणथम्भौर नेशनल पार्क का आनंद उठाते हुए कूनो नेशनल पार्क जा सकते हैं। सवाई माधोपुर से कूनो की दूरी महज 125 किलोमीटर है। सड़क मार्ग से जाने पर लगभग तीन घंटे लगते हैं। सवाई माधोपुर जंक्शन पर दिल्ली-मुंबई रूट की कई ट्रेनें मौजूद हैं। कूनो के लिए निकटतम हवाई अड्डा ग्वालियर हवाई अड्डा (Gwalior airport) है जो मुरैना से लगभग 30 किलोमीटर, भिंड से लगभग 80 किलोमीटर और श्योपुर जिले से लगभग 210 किलोमीटर दूर स्थित है।

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कहां ठहरें? (where to stay)

इसमें एक रिसॉर्ट मौजूद है, जिसका नाम जंगल रिसॉर्ट है, लेकिन सवाई माधोपुर, शिवपुरी या श्योपुर के होटल्स में स्टे किया जा सकता है। यहां कई लग्जरी होटल मौजूद हैं। श्योपुर के स्थानीय होटल संचालक अरुण मंगल ने बताया कि कूनो की पहले कभी इतनी ब्रैंडिंग नहीं थी। यहां गिर के शेर भी आने थे, लेकिन धीरे-धीरे लोगों की उम्मीद ही खत्म हो गई थी। अब एक बार फिर आस बढ़ने लगी है। जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। यहां तेंदुए समेत कई वन्य जीव विचरण करते दिखाई पड़ते हैं। हरी-भरी पहाड़ियों और पानी से घिरा ये जंगल वाकई बेहद खूबसूरत है। उत्तरी जिले में विंध्य रेंज के केंद्र में स्थित राष्ट्रीय उद्यान में घास के मैदानों का वर्चस्व है, जो अफ्रीकी सवाना और विरल जंगलों के समान हैं। कूनो में अधिकांश घास के मैदान कान्हा और बांधवगढ़ की तुलना में बड़े हैं। अभयारण्य का नाम कूनो नदी से मिलता है, जो इसके माध्यम से दक्षिण से उत्तर की ओर बहती है और जंगल की जीवन रेखा है।

कूनो का है समृद्ध इतिहास (Kuno has a rich history)

पार्क का एक समृद्ध इतिहास है। पालपुर किले के पांच सौ साल पुराने खंडहरों से कूनो नदी दिखाई देती है। चंद्रवंशी राजा बाल बहादुर सिंह ने वर्ष 1666 में इस किले की गद्दी हासिल की थी। पार्क के अंदर दो अन्य किले हैं – आमेट किला और मैटोनी किला, जो अब पूरी तरह से झाड़ियों और जंगली पेड़ों से आच्छादित हैं। कूनो कभी ग्वालियर के महाराजाओं का शिकारगाह हुआ करता था।

राष्ट्रीय उद्यान की स्थिति (national park status)

इसे 1981 में एक अभयारण्य के रूप में अधिसूचित नहीं किया गया था लेकिन फिर 2018 में इसे एक राष्ट्रीय उद्यान में अपग्रेड किया गया। 750 वर्ग किलोमीटर के प्राचीन जंगल में फैले इस जंगल में 120 से अधिक पेड़ों की प्रजाति मौजूद है। यह भारतीय तेंदुआ, भेड़िया, सियार, भालू, लोमड़ी और धारीदार लकड़बग्घा जैसे मांसाहारियों का निवास है। यहां पाए जाने वाले वन्यजीव शाकाहारी हिरण, सांभर, नीलगाय, चौसिंघा और काला हिरण हैं। अरावली और माधव राष्ट्रीय उद्यान के बीच स्थित कूनो एक महत्वपूर्ण वन्यजीव गलियारा है। कभी यह इतना घना जंगल था कि शाम ढलते ही लोग श्योपुर के आगे से भी डरते थे।

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कूनो-पालपुर में वन्यजीव सफारी (Wildlife Safari in Kuno-Palpur)

कूनो-पालपुर में वन्यजीव जंगल सफारी दिन में दो बार होती है, एक बार सुबह 6:00 बजे से 9:30 बजे तक और दूसरी शाम को 4:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक। बारिश के मौसम में यह पार्क कुछ दिनों के लिए बंद हो जाता है।

कूनो जाएं तो ये जरूर देखें (What to see in Kuno?)

  • देव खोई
  • आमझीरो
  • भंवर खो
  • मराठा खोस
  • दौलतपुरा
  • देव कुंडी
  • जैन मंदिर
  • नटनी खो
  • रणसिंह बाबा मंदिर
  • धोरेत मंदिर

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HISTORY

Edited By

Pushpendra Sharma

Edited By

Manish Shukla

First published on: Sep 16, 2022 06:28 PM
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