Can Indian government challenge Trump H1B visa changes: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H1b Visa पर दिए अपने नए आदेश से भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स को संकट में डाल दिया है। अमेरिकी सरकार के इस नए कदम से भारतीय आईटी पेशेवरों पर भारी बोझ पड़ने वाला है। दरअसल, 21 सितंबर से एच-1बी वीजा के आवेदनों को प्रति वर्ष 100,000 डॉलर (लगभग 84 लाख रुपये) का नया शुल्क देना होगा।
ट्रंप का तर्क है कि इससे अमेरिकी कामगारों के रोजगार अधिकार की रक्षा होगी। उनका कहना है कि अधिक संख्या में विदेशी प्रोफेशनल के आने से अमेरिकियों को नौकरी मिलने में मुश्किल हो रही है। अमेरिकी सरकार के अनुसार इस बदलाव से कंपनियों विदेशी कर्मचारियों की बजाय स्थानीय प्रतिभाओं को चुनेंगी।
कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है, लेकिन केवल इनके पास हैं ये अधिकार
इस बारे में नई दिल्ली बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव और US की Penn State Dickinson Law School से मास्टर्स कर रहे देवेंद्र कुमार ने बताया कि वैसे तो यह आदेश इमिग्रेशन एंड नेशनलिटी एक्ट के तहत वैध है, लेकिन कानून में मिले अधिकारों के अनुसार इसे कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। उन्होंने आगे अपनी बात स्पष्ट करते हुए बताया कि अब USCIS इस बारे में दिशानिर्देश जारी करेगा। फिलहाल मौजूदा वीजाधारक सुरक्षित हैं लेकिन वीजा रिन्यू करना महंगा हो जाएगा।
क्या टैरिफ के बाद अब H1b Visa बिगाड़ेगा भारत-अमेरिका के रिश्ते?
कानून के जानकारों की सलाह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार को इस मुद्दे पर अमेरिका से बातचीत करनी चाहिए। टैरिफ के चलते वैसे भी दोनों देशों के बीच तनाव है, अब H1b Visa पर आए अमेरिका के इस नए फरमान से दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंध प्रभावित हो सकते हैं।
अमेरिकी इमिग्रेशन नीतियां देश का आंतरिक मामला है
देवेंद्र ने आगे कहा कि भारत सरकार के पास सीधे तौर पर अमेरिकी अदालत में मुकदमा दायर करने का कोई स्पष्ट कानूनी अधिकार नहीं है। उनका कहना था कि दरअसल, अमेरिकी इमिग्रेशन नीतियां देश का आंतरिक मामला हैं। भारत या कोई भी विदेशी सरकार इन्हें सीधे चुनौती नहीं दे सकतीं। उन्होंने कहा कि ये जरूर है कि अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित भारतीय पेशेवरों या कंपनियों के माध्यम से इस मुद्दे को अमेरिका की अदालत में चुनौती दी जा सकती है।
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