Sexual Harassment Case Verdict: देश में एक अनोखा यौन शोषण केस सामने आया है। 8 साल की बच्ची से यौन शोषण के आरोप 64 साल के बुजुर्ग पर लगे और उसे निचली अदालत ने उसे पॉक्सो एक्ट और IPC की धारा 376बी के तहत 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुना दी। इस सजा के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। नागपुर बेंच ने याचिका पर सुनवाई की। पीड़िता और उसकी मां के बयान दर्ज किए, लेकिन पीड़िता के बयानों ने केस को पूरी तरह पलट दिया। हाईकोर्ट ने सजायाफ्ता को बरी करते हुए उसे जेल से रिहा करने का आदेश जारी कर दिया, क्योंकि मां और बेटी के बयान मेल नहीं खा रहे थे। मां ने बच्ची को सिखाकर बयान दिलवाए थे।
यह भी पढ़ें:Video: गाली गलौज करने पर घसीट कर महिला को प्लेन से उतारा, सूरत से बेंगलुरु जा रही थी फ्लाइट
यह है पूरा मामला
TOI की रिपोर्ट के अनुसार, मामला मार्च 2019 का है। जिसे सजा सुनाई गई वह अमरावती जिले के गांव अचलपुर निवासी विजय जवांजल है। पीड़िता बच्ची की मां ने असेगांव पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी। उसने अपनी शिकायत में पुलिस को बताया कि उसकी 8 साल की बेटी तीसरी कक्षा में पढ़ती है। वह घर के पास वाले मंदिर में खेलने गई थी। वह बेटी को तलाशती हुई मंदिर पहुंची तो वह खेल रही थी। उसने उसे स्कूल भेज दिया, लेकिन स्कूल से आने के बाद वह काफी उदास और असहज लगी। अगले दिन उसने अपनी मां को बताया कि मंदिर में एक शख्स ने उसे मिठाई दी, उसके निजी अंगों को छुआ, जिससे उसे काफी दर्द हुआ। इस बयान के आधार पर केस दर्ज कर लिया गया। कोर्ट ने विजय को जेल की सजा सुना दी।
यह भी पढ़ें:अंतरिक्ष से Sunita Williams के नए वीडियो; SpaceX के क्रू-9 को देखकर बोलीं- आपका स्वागत है
हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया
जस्टिस गोविंदा सनप की बेंच ने फैसला सुनाया और विजय को बरी करने आदेश जारी करते हुए कहा कि अगर बच्ची का यौन शोषण हुआ होता तो वह भाग कर अपने घर चली जाती और मां को घटना के बारे में बताती, लेकिन बच्ची के बयान ने मां के बयान को गलत साबित कर दिया। बच्ची ने बताया कि मां ने उसे आरोपी का नाम बताया और पुलिस के सामने लेने को कहा। मां ने ही बेटी को सिखाया कि बयान क्या देने हैं? उसने ही बेटी को पुलिस के सामने यह बताने को कहा कि आरोपी ने उसे परेशान किया। अगर उसने ऐसा नहीं कहा तो उसे सजा मिलेगी, जबकि उसे लू लग गई थी, जिस वजह से उसके निजी अंगों में दर्द, जलन और खुजली हो रही थी। पुलिस ने विजय का पोटेंसी टेस्ट भी नहीं कराया था। इसलिए अदालत को कोई भी फैसला सुनाने से पहले देखना चाहिए कि पीड़िता को किसी ने सिखाया तो नहीं कि क्या बोलना है और क्या नहीं?
यह भी पढ़ें:Whatsapp के खिलाफ FIR क्यों हुई दर्ज? हरियाणा की गुरुग्राम पुलिस ने तलब किए डायरेक्टर्स-नोडल अधिकारी