अयोध्या: श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने गुरुवार को पत्थरों पर उकेरी जा रही मूर्तियों की तस्वीरें साझा कीं जो अयोध्या में वर्तमान में निर्माणाधीन भगवान राम मंदिर का हिस्सा होंगी। अगले साल तक अपने मूल स्थान पर स्थापित होने वाली भगवान रामलला की मूर्ति के अलावा, हिंदू शास्त्रों पर आधारित 3,600 मूर्तियां मंदिर में स्थापित की जाएंगी।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट ने ट्विटर पर इसकी जानकारी देते हुए लिखा, श्री राम जन्मभूमि मंदिर में स्तंभों, पीठिका तथा अन्य स्थानों पर सज्जित होने के लिए शास्त्रीय ग्रंथों में वर्णित कथाओं के आधार पर सुंदर मूर्तियों का निर्माण किया जा रहा है। इन मूर्तियों को निर्माण प्रक्रिया की सारिणी के अनुसार निर्दिष्ट स्थानों पर प्रस्थापित किया जाएगा।
श्री राम जन्मभूमि मंदिर में स्तंभों, पीठिका तथा अन्य स्थानों पर सज्जित होने के लिए शास्त्रीय ग्रंथों में वर्णित कथाओं के आधार पर सुंदर मूर्तियों का निर्माण किया जा रहा है।
---विज्ञापन---इन मूर्तियों को निर्माण प्रक्रिया की सारिणी के अनुसार निर्दिष्ट स्थानों पर प्रस्थापित किया जाएगा। pic.twitter.com/ukRqF58xyd
— Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra (@ShriRamTeerth) May 18, 2023
रामलला की मूर्ति 51 इंच की होगी
राम मंदिर का 50 फीसदी से ज्यादा निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के शीर्ष सूत्रों का कहना है कि राम मंदिर 2023 के अंत तक आंशिक रूप से तैयार हो जाएगा, यानी भगवान राम का गर्भगृह दिसंबर 2023 तक बनकर तैयार हो जाएगा। रामलला की मूर्ति 51 इंच की होगी, जिसे गर्भगृह में बने चबूतरे पर स्थापित किया जाएगा।
मंदिर ट्रस्ट के सूत्रों ने कहा कि मूल रूप से ट्रस्ट द्वारा अधिग्रहित 67 एकड़ भूखंड की तुलना में राम मंदिर परिसर का आकार बढ़ाकर 110 एकड़ कर दिया गया है। यह विभिन्न धार्मिक और वास्तु तत्वों को शामिल करने के लिए किया गया है। यूपी के अयोध्या में पूरा राम मंदिर परिसर 1,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से बनाया जा रहा है।
दीवारें कई धार्मिक विषयों को दर्शाएंगी
राम मंदिर की भव्यता प्राचीन हिंदू मंदिरों से मिलता जुलता हो। ये ट्रस्ट के लिए एक कठिन काम है। अयोध्या में राम मंदिर की दीवारें कई धार्मिक विषयों को दर्शाएंगी। विषयों पर निर्णय नई दिल्ली में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के लोगों सहित धार्मिक प्रमुखों और कला विशेषज्ञों के एक समूह द्वारा लिया जाएगा। प्रस्तावित योजना के अनुसार दीवारों को जोड़ने के लिए स्टील के जोड़ों के बजाय तांबे के जोड़ों का उपयोग किया जा रहा है क्योंकि उनमें जंग नहीं लगता है।
और पढ़िए – देश से जुड़ी अन्य बड़ी ख़बरें यहाँ पढ़ें