नई दिल्ली: देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए हो चुके मतदान में जीत-हार का ऊंट किस करवट बैठेगा, इसको लेकर हर किसी की नजर अब सिर्फ और सिर्फ 3 दिसंबर की मतगणना पर है। हालांकि एग्जिट पोल में कांग्रेस बनाम भाजपा की 3-1 यानि राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना में कांग्रेस तो मध्य प्रदेश में भाजपा की जीत की भविष्यवाणी की गई है। अगर यह नतीजे गलत साबित हुए ताे क्या होगा? यही एक सवाल हर किसी के जेहन में उभरकर आ रहा है। इस सवाल पर न्यूज 24 पर विभिन्न राजनेताओं और वरिष्ठ पत्रकारों ने एक खुली बहस में हिस्सा लिया। एक ओर इन राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों को 2024 के लोकसभा चुनाव की पृष्ठभूमि के तौर पर देखा जा रहा है, वहीं राजनैतिक जानकार इस बात को नकारते भी नजर आए। अब विश्लेषकों की मानें तो अगर एग्जिट पोल के नतीजे पलटे तो राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की सरकार भी बन सकती है। इसी के साथ हर पार्टी के अपने-अपने दावे हैं।
भाजपा प्रवक्ता का दावा-तेलंगाना में भाजपा इतिहास रचेंगे
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद जफर इस्लाम ने दावा किया कि पार्टी चारों राज्यों में जीतेगी। छत्तीसगढ़ में एंटी इन्कंबेंसी के चलते 90 में से भाजपा को 50 से ज्यादा सीटें मिलने की बात उन्होंने कही। इसी के साथ कहा कि तेलंगाना में भाजपा इतिहास रचेगी। हालांकि जब उनसे सवाल किया गया कि क्या इन नतीजों को 2024 के लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जाना चाहिए तो उन्होंने कहा कि 2024 से कोई लेना-देना नहीं है। 2018 में हम पांच-जीरो पर थे, लेकिन बावजूद इसके 2019 में मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ की लोकसभा सीटों पर विरोधियों का सूपड़ा साफ कर दिया था। राजस्थान में भी कुछ ऐसा ही हाल था। उन्हाेंने नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का फायदा पार्टी को मिलने का दावा किया।
कांग्रेस का पांचों राज्यों में सरकार बनाने का दावा
3-1 एनालिसिस कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि जैसे भी आपके (न्यूज 24-टुडेज चाणक्या और दूसरी एजेंसियों) साथियों ने मेहनत की, उसे प्रणाम है। बावजूद इसके हम आपके दावे को नकार रहे हैं। हम पांच-जीरो से जीत रहे हैं। छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में कांग्रेस बहुमत से जीतेगी। मिजोरम में भी जोड़-तोड़ से ही सही सरकार कांग्रेस ही बनाएगी। हालांकि उन्होंने राजस्थान में पार्टी के द्वारा संघर्ष कर रहे होने की बात मानी, लेकिन इसी के साथ यहां भी जीत का दावा किया।
दूसरी ओर सुरेंद्र राजपूत ने नरेंद्र मोदी को डूबता हुआ सूरज बताया। उन्होंने कहा कि एक वक्त में नरेंद्र मोदी दोपहर 2 बजे का तपता सूरज थे, लेकिन अब शाम के 6 बजे ढलता हुआ सूरज हैं वह। जब उनसे सवाल किया गया कि 2018 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में काफी अंतर को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि हर चुनाव में हालात बदलले हैं। 10 साल में अग्निवीर जैसी योजनाएं नहीं आई थी, जिनके चलते भाजपा से लोग किनारा कर रहे हैं।
किसी भी सूरत में भाजपा के साथ नहीं जाएगी ओवैसी की पार्टी
तेलंगाना में असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के किंग मेकर के दावे को लेकर पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता वारिस पठान ने कहा कि ये एग्जिट पोल एग्जेक्ट नहीं हैं। तेलंगाना में 7 सिटिंग विधायक थे, इस बार 9 पर लड़ रहे हैं। सात मार्जिन के साथ जीतेंगे, बाकी 2 पर भी आगे आएंगे। एक ओर वारिस पठान ने तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति की सरकार बनने की बात कही, वहीं कांग्रेस और भाजपा को एक ही सिक्के के दो पहलू बताया। मिली-जुली सरकार बनने की स्थिति में कांग्रेस के साथ सहयोग की बात को नकारा तो इंडिया गठबंधन को कोसने के चलते भाजपा के साथ जाने के सवाल पर कहा कि मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव भी गठबंधन की आलोचना कर रहे हैं तो क्या इसका मतलब यह निकाल लिया जाए कि वह भाजपा के साथ हैं। ओवैसी मर जाएंगे, लेकिन किसी भी सूरत में भाजपा के साथ नहीं जाएंगे। हमारा मकसद ही सिर्फ भाजपा को हराना है, बाकी कोई भी जीते।
भाजपा को अपनी हार का नहीं, बल्कि कांग्रेस की जीत का दुख होगा
वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी की मानें तो तेलंगाना और राजस्थान में कांग्रेस के फ्री कैंपेन का जादू चलता नजर नहीं आ रहा। राजस्थान में भाजपा को नए प्रयोग का फायदा मिल सकता है। आखिरी वक्त में कुछ भी गेम पार्टी खेल सकती है। दूसरी ओर तेलंगाना में कांग्रेस के इस कैंपेन पर भारत राष्ट्र समिति भारी पड़ सकती है। वरिष्ठ पत्रकार विजय विद्रोही का मानना है कि एमपी में कांग्रेस तो राजस्थान में भाजपा चाहे एक सीट ज्यादा ले, लेकिन आगे आएगी। लोगों को 25 साल से आदत पड़ गई थी चेहरा बदलने की। आखिरी 6 महीने में वसुंधरा को आगे नहीं करके भाजपा ने पैर पर कुल्हाड़ी मारी है। बाकी दूसरे राज्यों की स्थिति पर बात करें तो भाजपा को अपनी हार का नहीं, बल्कि कांग्रेस की जीत का दुख ज्यादा होगा। ठीक ‘भाई के मरने का दुख तो है, पर भाभी के नखरे तो कम हुए’ की कहावत की तरह।