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क्या है ‘MAYDAY… MAYDAY…’ और ‘पैन-पैन’ कॉल, इमरजेंसी में पायलट क्यों बोलते हैं ये शब्द?

Ahmedabad Plane Crash: 12 जून की दोपहर अहमदाबाद से गैटविक जा रही एयरइंडिया की फ्लाइट क्रैश हो गई। इसमें में 242 लोग सवार थे। जानकारी में यह बात सामने आई है कि इस दुर्घटना से ठीक पहले प्लेन के पायलट ने ATC को 'MAYDAY' कॉल दी थी। ऐसे में यह शब्द काफी चर्चा में आ गया है। आइए जानते हैं कि इस शब्द का क्या मतलब होता है और पायलट इमरजेंसी में इसका इस्तेमाल क्यों करते हैं?

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Mohit Tiwari Updated: Jun 12, 2025 16:56
mayday airindia
क्या है MAYDAY का मतलब? Credit- pexels

Ahmedabad Plane Crash: 12 जून को अहमदाबाद से लंदन के गैटविक जा रहा एयर इंडिया का B787 विमान VT-ANB भारतीय समय दोपहर 1 बजकर 39 पर क्रैश हो गया। जानकारी के मुताबिक टेकऑफ के कुछ ही मिनट बाद मेघानी नगर के पास यह फ्लाइट AI-171 दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस विमान में पायलट और क्रू मेंबर्स समेत कुल 242 लोग सवार थे।

अब इस दुर्घटना को लेकर एक और बड़ी जानकारी सामने आई है कि क्रैश से पहले प्लेन के पायलट ने ATC (एयरट्रैफिक कंट्रोल) को ‘MAYDAY’ कॉल दी थी। दरअसल मेडे कॉल पायलट या किसी शिप के कैप्टन आपातकालीन स्थिति में करते हैं। इसके अलावा भी इमरजेंसी के समय कुछ और शब्द जैसे पैन-पैन या एसओएस कॉल भी विमानन और समुद्री क्षेत्र में महत्वपूर्ण मानी जाती है।

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क्या है MAYDAY कॉल?

‘MAYDAY’ कॉल एक खास आपातकालीन संदेश है, जिसे पायलट तब बोलते हैं जब विमान को बहुत बड़ा खतरा होता है। यह शब्द फ्रेंच के ‘m’aider’ से आया है, जिसका मतलब है ‘मेरी मदद करें’ होता है। जब विमान में गंभीर समस्या, जैसे इंजन खराब होना, आग लगना, हाईजैक, या हवा में टकराव का खतरा हो, तो पायलट रेडियो पर ‘मेडे, मेडे, मेडे’ तीन बार बोलते हैं। ऐसा इसलिए होता है, जिससे संदेश साफ सुना जाए और कोई इसे मजाक न समझे। इस कॉल को सुनते ही एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) और बचाव टीमें तुरंत हरकत में आ जाती हैं।

अहमदाबाद हादसे में पायलट कैप्टन सुमीत सभरवाल ने मेडे कॉल दी थी, क्योंकि उस समय उन्होंने किसी गंभीर समस्या को देखा होगा। अभिनेता अजय देवगन की फिल्म ‘Runway 34’ आई थी। इस फिल्म में अजय देवगन ने एक पायलट का किरदार निभाया है और अजय देवगन का किरदार एक मुश्किल फ्लाइट लैंडिंग करते हैं और इस दौरान वह ‘MAYDAY’ (मेडे) शब्द का इस्तेमाल करते हैं।

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क्या है इसका टेक्निकल प्रोसेस?

मेडे कॉल रेडियो पर दी जाती है, जो बहुत हाई फ्रीक्वेंसी (VHF) या हाई फ्रीक्वेंसी (HF) चैनल पर काम करता है। पायलट इसमें विमान का नाम, उसकी जगह, ऊंचाई, समस्या और जरूरी मदद की जानकारी देता है। वहीं, इसके अलावा भी इमरजेंसी सिग्नल्स जैसे एसओएस कॉल पहले मोर्स कोड में भेजी जाती थी, लेकिन अब इसे रेडियो, लाइट्स, या डिजिटल मैसेज में भी भेजा जा सकता है। पैन-पैन कॉल भी रेडियो पर दी जाती है और इसमें समस्या का ब्योरा होता है। ये सभी कॉल ATC और बचाव टीमों को तुरंत सक्रिय करती हैं।

ये भी हैं आपातकालीन सिग्नल

मेडे-मेडे के अलावा भी कई और आपातकालीन सिग्नल्स हैं। जैसे एसओएस कॉल भी एक आपातकालीन संदेश है, जो पहले समुद्री जहाजों में इस्तेमाल होता था। इसे मोर्स कोड में ‘…—…’ के रूप में भेजा जाता था। एसओएस का कोई पूरा नाम नहीं है, लेकिन इसे आसानी से समझा जाता है। इसका उपयोग 1912 में टाइटैनिक हादसे जैसे मामलों में हुआ था। आज यह समुद्री जहाजों, विमानों, और कभी-कभी सिग्नल लाइट्स या मैसेज में भी इस्तेमाल होता है। हालांकि विमानन में मेडे ने एसओएस की जगह ले ली है, लेकिन अगर रेडियो काम न करे, तो अभी भी एसओएस सिग्नल भेजा जा सकता है। यह मेडे की तरह ही गंभीर खतरे में मदद मांगने के लिए होता है।

पैन-पैन कॉल

पैन-पैन एक कम गंभीर छोटी-मोटी आपात स्थिति के लिए इस्तेमाल होता है। यह भी रेडियो पर तीन बार ‘पैन-पैन, पैन-पैन, पैन-पैन’ बोला जाता है। इसका मतलब है कि विमान में कोई समस्या है, लेकिन यह जानलेवा नहीं है। जैसे, थोड़ी तकनीकी खराबी, ईंधन की कमी, या छोटी मेडिकल इमरजेंसी आदि हो सकती है। पैन-पैन कॉल मेडे से कम जरूरी होती है, लेकिन फिर भी ATC इसे गंभीरता से लेता है और मदद भेजता है।

क्या है इसका फायदा?

मेडे, एसओएस और पैन-पैन कॉल आपात स्थिति में जान बचाने का सबसे तेज तरीका हैं। मेडे कॉल से ATC को पता चलता है कि विमान को सबसे पहले ध्यान देना है। इससे रनवे तैयार होता है, फायर ब्रिगेड, एम्बुलेंस, और बचाव टीमें तुरंत पहुंचती हैं। अहमदाबाद में मेडे कॉल के बाद बचाव टीमें फौरन मेघानी नगर पहुंचीं, हालांकि हादसा इतना बड़ा था कि बचाव नहीं हो सका। एसओएस कॉल समुद्र में या जहां रेडियो न हो, वहां मदद मांगने का आसान तरीका है। यह सिग्नल लाइट्स या मैसेज से भी भेजा जा सकता है। पैन-पैन कॉल छोटी समस्याओं को जल्दी हल करने में मदद करती है, ताकि बड़ा हादसा न हो। ये सभी कॉल रिकॉर्ड होती हैं, जो बाद में हादसे की जांच में काम आती हैं। ये संदेश पूरी दुनिया में समझे जाते हैं, इसलिए किसी भी देश में इन्हें सुनकर तुरंत मदद शुरू हो जाती है।

ये भी पढ़ें- पैसेंजर्स और केबिन क्रू की जानकारी आई सामने, प्लेन क्रैश मामले में DGCA ने दिया बयान

First published on: Jun 12, 2025 04:07 PM

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