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Aditya-L1 के पीछे भी नारी शक्ति, जानें कौन हैं भारत के पहले Solar Mission की प्रोजेक्ट डायरेक्टर?

Aditya-L1 Project Director Nigar Shaji: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के कई मिशन में नारी शक्ति का हाथ रहा है। चंद्रयान 3 की सफलता के पीछे कल्पना कालाहस्ती का हाथ था। वहीं, निगार शाजी अब ‘Aditya-L1’ के प्रोजेक्ट डायरेक्टर के तौर पर देश के पहले सोलर मिशन का नेतृत्व कर रहीं हैं। इससे पहले चंद्रयान […]

Edited By : Om Pratap | Updated: Sep 3, 2023 11:31
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Aditya-L1 Nigar Shaji is project director

Aditya-L1 Project Director Nigar Shaji: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के कई मिशन में नारी शक्ति का हाथ रहा है। चंद्रयान 3 की सफलता के पीछे कल्पना कालाहस्ती का हाथ था। वहीं, निगार शाजी अब ‘Aditya-L1’ के प्रोजेक्ट डायरेक्टर के तौर पर देश के पहले सोलर मिशन का नेतृत्व कर रहीं हैं। इससे पहले चंद्रयान 2 मिशन में एम वनिता ने प्रोजेक्ट डायरेक्टर जबकि मिशन डायरेक्टर के रूप में रितु करिधल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

शनिवार सुबह श्रीहरिकोटा से आदित्य-एल1 के सफल लॉन्चिंग के तुरंत बाद निगार शाजी चर्चा में आ गईं। निगार शाजी परियोजना निदेशक के तौर पर पिछले 8 साल से इस मिशन को संभाल रही हैं। आदित्य एल1 की सफल लॉन्चिंग के बाद निगार शाजी ने ISRO चीफ एस सोमनाथ और डायरेक्टर्स को उनकी टीम पर भरोसा करने के लिए धन्यवाद दिया। निगार ने कहा कि मैं इस मिशन का हिस्सा बनकर सम्मानित और गौरवान्वित महसूस कर रही हूं। मेरी टीम के लिए सफल लॉन्चिंग किसी सपने के सच होने जैसा है।

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ISRO के पूर्व चीफ रामचंद्र राव को किया याद

इसरो के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर उडुपी रामचंद्र राव के योगदान को याद करते हुए शाजी ने कहा कि मैं हमारे महान वैज्ञानिक, प्रोफेसर यूआर राव को याद करना चाहूंगी, जिन्होंने इस मिशन का बीज लगाया था। उन्होंने उस विशेषज्ञ समिति को भी धन्यवाद दिया जो पूरे मिशन में परियोजना टीम का मार्गदर्शन कर रही है। बता दें कि यूआर राव को प्यार से भारत के उपग्रह कार्यक्रम का जनक कहा जाता है, जिनके नाम पर बेंगलुरु उपग्रह केंद्र का नाम रखा गया है।

1987 में ISRO में शामिल हुईं थीं निगार शाजी

तमिलनाडु की मूल निवासी 59 साल की निगार शाजी ने अपनी स्कूली शिक्षा तमिलनाडु के ही सरकारी स्कूल से की। तिरुनेलवेली के एक कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री के बाद शाजी ने झारखंड की राजधानी रांची के बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एमटेक पूरा किया। निगार शाजी 1987 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में शामिल हो गईं।

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तमिलनाडु के तेनकासी की रहने वाले शाजी का नाम राज्य के प्रतिष्ठित लोगों की लिस्ट में शामिल हो गया है। इससे पहले राज्य की मयिलसामी अन्नादुरई, एम वनिता और पी वीरमुथुवेल ने देश के तीन चंद्र मिशनों का नेतृत्व किया था। इसरो में अपने 35 साल के कार्यकाल के दौरान शाजी ने भारतीय रिमोट सेंसिंग, संचार और अंतरग्रहीय उपग्रह कार्यक्रमों में अपना योगदान दिया है।

निगार शाजी रिसोर्ससैट-2ए की एसोसिएट प्रोजेक्ट डायरेक्टर भी थीं, जो राष्ट्रीय संसाधन निगरानी और प्रबंधन के लिए भारतीय रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट है और उन्होंने इमेज कम्प्रेशन और सिस्टम इंजीनियरिंग पर कई पेपर लिखे हैं।

बता दें कि चंद्रयान -3 मिशन के उप परियोजना निदेशक के रूप में कल्पना के भारत की तीसरी चंद्र परियोजना में शामिल थीं। उन्होंने भारत के दूसरे चंद्र मिशन और मंगलयान मिशन में भी योगदान दिया था। इससे पहले एम वनिता चंद्रयान -2 मिशन की परियोजना निदेशक और रितु करिधल श्रीवास्तव मिशन निदेशक थीं।

रितू को 2007 में इसरो यंग साइंटिस्ट का मिला था सम्मान

चंद्रमा मिशन का नेतृत्व करने से पहले, वनिता ने कार्टोसैट-1, ओशनसैट-2 और मेघा-ट्रॉपिक्स उपग्रहों के लिए टीटीसी-बेसबैंड सिस्टम के लिए डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में काम किया था। वहीं, लखनऊ की रहने वाली रितु करिधल मंगलयान के लिए उप परिचालन प्रबंधक थीं और 2007 में इसरो यंग साइंटिस्ट अवार्ड प्राप्त किया था।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसरो के लगभग सभी मिशनों में बड़ी संख्या में महिलाएं काम कर रही हैं। एक अनुमान के मुताबिक, अंतरिक्ष एजेंसी के 16,000 से अधिक कर्मचारियों में से लगभग 20-25% महिलाएं हैं।

HISTORY

Written By

Om Pratap

First published on: Sep 03, 2023 11:31 AM

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