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मध्य प्रदेश

3 साल की बच्ची का ‘मृत्यु तक उपवास’; 10 मिनट में त्यागे प्राण, जानें मां-बाप को क्यों लेना पड़ा फैसला?

मां-बाप ने 3 साल की बेटी के लिए दिल पर पत्थर रखकर ऐसा फैसला लिया, जिसके बारे में जानकर कलेजा फट जाएगा। भगवान करे दुनिया के किसी मां-बाप को वह दिन देखना पड़े कि उनकी आंखों के सामने उनके जिगर का टुकड़ा दम तोड़ जाए और वे सिवाय देखने के कुछ न कर पाएं।

Author Published By : Khushbu Goyal May 5, 2025 05:45
Madhya Pradesh Bhopal Girl Santhara

मां-बाप के लिए बच्चे की खुशी से बढ़कर कुछ नहीं, वे उन्हें जरा-सी खरोंच बर्दाश्त नहीं कर सकते। वे अपनी जान दे देंगे, लेकिन बच्चे को कुछ नहीं होने देंगे, लेकिन मध्य प्रदेश के भोपाल निवासी मां-बाप पीयूष और वर्षा अपनी 3 साल की बच्ची के लिए चाहकर भी कुछ नहीं कर पाए। इसलिए दोनों ने दिल पर पत्थर रखकर ऐसा फैसला लिया, जिसके बारे में जानकर कलेजा फट जाएगा। भगवान करे दुनिया के किसी मां-बाप को वह दिन देखना पड़े कि उनकी आंखों के सामने उनके जिगर का टुकड़ा दम तोड़ जाए और वे सिवाय देखने के कुछ न कर पाएं। क्या बीती होगी, पीयूष और वर्षा के दिन पर, अंदाजा लगा सकते हैं।

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बच्ची का अन्न और जल छुड़वा दिया

दरअसल, पीयूष और वर्षा की बेटी वियाना बेहद तकलीफ में थी। वे अपने जिगर के टुकड़े को उस तकलीफ में नहीं देख पा रहे थे, इसलिए उन्होंने बेटी को ‘संथारा’ दिला दिया। जी हां, जैन समाज का रिवाज ‘संथारा’, जिसमें मृत्यु पाने के लिए व्रत रखा जाता है। राजेश मुनि महाराज ने गत 21 मार्च को बच्ची को ‘संथारा’ की दीक्षा दी और बच्ची का अन्न और जल छुड़वा दिया। 10 मिनट बाद बच्ची ने देह त्याग दिया। दावा किया गया है कि 3 साल की बच्ची दुनिया की पहली शख्स बन गई है, जिसने इतनी छोटी उम्र में ‘संथारा’ लिया, देह त्याग किया। बच्ची का नाम ‘गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में भी दर्ज किया गया है।

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बच्ची को क्यों दिलाया गया संथारा?

NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, संथारा लेने वाली 3 साल की वियाना के पिता पीयूष ने बताया कि वह और उनकी पत्नी वर्षा जैन दोनों IT कंपनी में नौकरी करते हैं। वियाना की उम्र 3 साल 4 महीने एक और दिन की थी। वह ब्रेन ट्यूमर की बीमारी से जूझ रही थी। दिसंबर 2024 इंदौर में इलाज के दौरान ब्रेन ट्यूमर का पता चला तो वे उसे मुंबई ले गए।

मुंबई में उसकी सर्जरी कराई गई, लेकिन वियाना की हालत ठीक नहीं हुई, बल्कि और बिगड़ गई। डॉक्टर जवाब दे चुके थे और वे उसे तकलीफ में नहीं देख पा रहे थे, इसलिए उन्होंने परिवार की सहमति से उसे संथारा दिलाने का फैसला किया। राजेश मुनि महाराज के पास गए और उन्हें अपनी बेटी की तकलीफ के बारे में बताया और संथारा की दीक्षा ली।

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First published on: May 05, 2025 05:45 AM

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