26/11 Mumbai Attack: तहव्वुर राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है, जो वर्तमान में लॉस एंजिल्स के एक मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में बंद है। उसे पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली से जुड़ा माना जाता है, जो 26/11 हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक है। अब अमेरिका राणा को भारत भेजने को राजी हो गया है, जिसका ऐलान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 13 फरवरी को पीएम मोदी के साथ बैठक के बाद किया था। राणा के भारत लाए जाने से उन 6 अन्य आरोपियों पर भी ध्यान केंद्रित हुआ है, जो खुलेआम पाकिस्तान में घूम रहे हैं।
भारत लाया जाएगा तहव्वुर राणा
पाकिस्तानी-कनाडाई बिजनेसमैन तहव्वुर राणा को अमेरिका ने भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दी है। जिसके बाद से ही 2008 के मुंबई हमलों में बाकी के 6 साजिशकर्ताओं पर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। वह सभी अभी पाकिस्तान में ही खुलेआम रह रहे हैं। राणा पाकिस्तान सेना का एक फॉर्मर मेडिकल ऑफिसर था, जो 1990 में कनाडा चला गया और बाद में उसे वहां की नागरिकता मिल गई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, डेविड कोलमैन हेडली ( जो मुंबई हमले का मुख्य मास्टरमाइंड था) को उन हमलों के लिए खुफिया जानकारी जुटाने में मदद की थी।
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कौन हैं अन्य 6 आरोपी?
इस हमले में आरोपी लश्कर-ए-तैयबा (LET) प्रमुख हाफिज मुहम्मद सईद समेत छह लोग पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहे हैं। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सईद को 2020 में पाकिस्तान में 78 साल की जेल की सजा सुनाई गई, लेकिन इसके बावजूद वह ISI के संरक्षण में खुलेआम गतिविधियों को अंजाम दे रहा है। वहीं, समूह के ऑपरेशन प्रमुख जकी-उर-रहमान लखवी को भी 2021 में आतंकी फंडिंग के लिए लगातार सजा मिली है। वह भी सईद की तरह बाहर ही घूम रहा है।
इसके अलावा कमांडर साजिद मजीद 8 साल की कैद की सजा सुनाई गई थी। लेकिन भारतीय अधिकारियों का कहना है कि उसका ठिकाने का अभी भी किसी को पता नहीं है। वहीं, तीन अन्य संदिग्धों में रिटायर्ड सेना के मेजर अब्दुर रहमान हाशिम सैयद (उर्फ पाशा) और दो इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) अधिकारी, मेजर इकबाल और मेजर समीर अली का नाम सामने आया। मगर इनपर कभी मुकदमा नहीं चलाया गया।
26/11 मुंबई हमला
26 नवंबर 2008 को 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों के एक समूह ने अरब सागर में समुद्री रास्ते से मुंबई में घुसपैठ की। जिसके बाद एक रेलवे स्टेशन, दो लक्जरी होटलों और एक यहूदी केंद्र पर हमले किए गए। इस हमले में मारे गए 166 लोगों में अमेरिकी, ब्रिटिश और इजराइली नागरिक शामिल थे। करीब 60 घंटे तक चले इस हमले ने पूरे देश में सनसनी फैला दी और भारत और पाकिस्तान को युद्ध के कगार पर ला खड़ा किया।
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