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World TB Day: क्या टीबी से किडनी डिजीज का रिस्क बढ़ता है? एक्सपर्ट से जानें इस बारे में सबकुछ

टीबी और क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) दोनों ही गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हैं। हालांकि ये दोनों अलग-अलग स्थितियां हैं, लेकिन कुछ मामलों में टीबी का किडनी पर भी प्रभाव पड़ सकता है और इससे क्रोनिक किडनी डिजीज का जोखिम बढ़ सकता है। आइए डॉक्टर से इसे विस्तार से समझते हैं।

Author Edited By : Namrata Mohanty Updated: Mar 24, 2025 10:56

टीबी को हिंदी में क्षय रोग भी कहते हैं। यह एक संक्रामक बीमारी है, जो माइक्रोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नाम के बैक्टीरिया से होती है। टीबी हमारे शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित कर सकता है। टीबी एक प्रकार का ट्यूबरक्यूलोसिस है जो किडनी को प्रभावित करता है और यह अक्सर संपूर्ण शरीर में फैलने वाले टीबी संक्रमण का परिणाम होता है। पुरानी किडनी रोग (CKD) में समय के साथ किडनी की कार्यक्षमता कम हो जाती है। रेनल ट्यूबरक्यूलोसिस (Renal Tuberculosis) और CKD के बीच संबंध महत्वपूर्ण है, क्योंकि टीबी का इलाज न होने या खराब तरीके से प्रबंधित होने पर रोग पुरानी किडनी रोग एक बार फिर सक्रिय हो सकती है।

क्या है गुर्दे की टीबी?

गुर्दे की टीबी एक ऐसी टीबी का प्रकार है, जिसमें किडनी डैमेज होता है। टीबी बैक्टीरिया गुर्दे तक खून या लिम्फ की मदद से पहुंचते हैं। फेफड़ों के अलावा टीबी बैक्टीरिया किडनी पर भी प्रभाव डालते हैं। रेनल ट्यूबरक्यूलोसिस आमतौर पर किडनी में संक्रमण के रूप में शुरू होती है, जो ब्लड सर्कुलेशन के माध्यम से फेफड़ों में फैलता है। यह संक्रमण पहले किडनी की पैरेंकाइमा (Parenchyma) को प्रभावित करता है और इसके परिणामस्वरूप ग्रैनुलोमा (Granuloma) बन सकते हैं। अगर इसका इलाज नहीं किया जाता, तो यह किडनी की टिशूज को नष्ट कर सकता है, जिससे स्कारिंग और फाइब्रोसिस भी हो सकता है। यह किडनी की कार्यक्षमता को प्रभावित करता है, जो कि CKD यानी क्रोनिक किडनी डिजीज का एक कारण है।

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क्या बोले एक्सपर्ट?

बीएलके, मैक्स हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट नेफ्रोलॉजिस्ट डॉक्टर भानु मिश्रा बताते हैं कि जब टीबी का संक्रमण किडनी को प्रभावित करता है, तो इसे रेनल तपेदिक यानी Renal Tuberculosis हो जाता है। यह स्थिति किडनी में सूजन, संक्रमण और कभी-कभी गुर्दे के कार्य में गड़बड़ी पैदा कर सकती है। अगर टीबी का उपचार सही समय पर और पूरी तरह से नहीं किया जाता, तो किडनी पूरी तरह डैमेज हो सकती है। यह तब होता है जब किडनी का कार्य धीरे-धीरे कम होता जाता है।

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World Tuberculosis Day 2025

Renal Tuberculosis का इलाज

Renal Tuberculosis का इलाज आमतौर पर एंटी-टीबी दवाओं से किया जाता है, जो संक्रमण को नियंत्रित करने में मदद करता है। हालांकि, अगर यह बीमारी देर से पता चले या इलाज न किया जाए, तो इससे किडनी फेलियर जैसी जटिल परिस्थिति पैदा हो सकती है, जिसके कारण डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता हो सकती है। इसके अलावा, गुर्दे की टीबी से पीड़ित मरीजों में अन्य संक्रमणों या किडनी से जुड़ी समस्याओं का खतरा भी अधिक हो सकता है, जो किडनी को और अधिक नुकसान पहुंचा सकती हैं।

Renal Tuberculosis के शुरुआती संकेत

रेनल ट्यूबरक्यूलोसिस के संकेत कुछ इस प्रकार के होते हैं:

1. डिस्यूरिया यानी पेशाब करते समय दर्द होना।
2. हेमट्यूरिया जिसमें पेशाब में खून आता है।
3. बुखार
4. पेट की दोनों पसलियों के पास दर्द।
5. वजन कम होना
6. रात में पसीना आना
7. भूख न लगना

Renal Tuberculosis से कैसे करें बचाव?

रेनल ट्यूबरक्यूलोसिस टीबी के बैक्टीरिया से होता है। इसलिए आपको कुछ बचाव के उपायों को अपनाना चाहिए।

  • टीबी से संक्रमित लोगों से दूर रहें।
  • साफ-सफाई का ध्यान रखें।
  • घर में पर्याप्त वेंटिलेशन का प्रबंध करें।
  • खांसी और छींकते समय मुंह और नाक को ढकें।
  • छोटे बच्चों को BCG वैक्सीनेशन लगवाएं।

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Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले विशेषज्ञों से राय अवश्य लें। News24 की ओर से जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।

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Edited By

Namrata Mohanty

First published on: Mar 24, 2025 07:29 AM

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