World Breastfeeding Week: स्तनपान करवाना मां और बच्चे के बीच का एक अनमोल रिश्ता होता है जो बच्चे के पोषण और इम्युनिटी प्रदान करता है। मगर इस प्रक्रिया के दौरान मां को होने वाला तनाव और मेंटल प्रेशर बच्चे के लिए भी नुकसानदायक साबित हो सकता है। मां के तनाव से उसकी फीडिंग पर भी असर पड़ता है, जिससे बच्चा सही से भोजन प्राप्त नहीं कर पाता है। इसलिए, डिलीवरी के बाद मां के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य का ख्याल रखना उतना ही जरूरी है जितना की उसके शारीरिक स्वास्थ्य का।
हर साल 1 अगस्त से 7 अगस्त के बीच वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक मनाया जाता है। इस साल की थीम “Prioritise Breastfeeding: Create Sustainable Support Systems” यानी स्तनपान को प्राथमिकता दें: स्थायी सहायता प्रणालियां बनाएं है। इस अवसर पर हमें समझना होगा कि स्तनपान को अच्छे से करवाने के लिए सिर्फ खान-पान नहीं बल्कि अच्छा वातावरण भी महत्वपूर्ण है ताकि वे स्ट्रेस फ्री रहे।
मां के तनाव का बच्चे पर असर
पुणे के क्लाउडनाइन ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के लेक्टेशन विभाग में कंसल्टेंट डॉक्टर विधि मेहता बताती हैं कि जब मां तनाव में होती है तो उसके शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं। तनाव की वजह से ये कोर्टिसोल हार्मोन को बढ़ा देती है, जो ऑक्सीटोसिन के स्तर को कम करता है। ऑक्सीटोसिन ऐसा हार्मोन है जो दूध के बहाव के लिए जरूरी होता है। अगर ऑक्सीटोसिन का स्तर घटेगा तो दूध सही तरीके से नहीं निकलेगा। ऐसे में बच्चे को दूध पीने में परेशानी हो सकती है। इससे बच्चे की ग्रोथ में रुकावट होगी। इसके अलावा, मां की मेंटल हेल्थ भी डिस्टर्ब होगी क्योंकि दूध न पीने की वजह से मां बच्चे के साथ भावनात्मक तरीके से कमजोर हो जाती है।
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तनाव के कारण क्या हो सकते हैं?
नई मांओं के लिए स्तनपान चुनौतीपूर्ण होता है। कई बार वह दूध की मात्रा, बच्चे के लैच या फीडिंग पोजिशन को लेकर चिंतित रहती है। इसके अलावा नींद की कमी, हार्मोनल चेंजिस, शरीर में दर्द और घर के कामों का प्रेशर भी उनके तनाव को बढ़ा देता है। इसे पोस्टपार्टम ब्लूज या पोस्टपार्टम डिप्रेशन जैसी मेंटल प्रॉब्लम्स भी हो सकती हैं।
बच्चे की सेहत को होंगे ये नुकसान
- तनाव से मां का दूध कम बनेगा, जो बच्चे की पूर्ति नहीं करेगा।
- तनाव मां के दूध की गुणवत्ता को प्रभावित करेगा।
- तनाव से मां का दूध कम होगा, ऐसे में बच्चे की इम्यूनिटी भी कमजोर हो सकती है।
- मां के दूध की कमी से बच्चे के मानसिक विकास पर असर पड़ेगा।
तनाव से बचने और उससे निपटने के उपाय
पर्याप्त आराम करें- जब बच्चा सो रहा हो तब मां खुद भी आराम करें। पर्याप्त नींद जरूर लें।
संतुलित और पौष्टिक भोजन- पोषण से भरपूर भोजन मां के शरीर को ताकत देता है, जिससे वह स्ट्रेस को मैनेज कर पाती है।
मदद मांगने से न हिचकिचाएं- पहली बार मां बनने वाली महिलाएं अपने परिवार के सदस्यों, दोस्तों या पति से मदद ले सकती है। रात की देखभाल या घर के कामों में सहयोग मिलने से उनकी मेंटल हेल्थ सही रहती है।
भावनात्मक समर्थन भी जरूरी- कभी-कभी सिर्फ किसी से अपनी भावनाएं बांट लेने से उनकी चिंताएं कम हो जाती है। हालांकि, समस्या ज्यादा हो तो काउंसलर, थेरेपिस्ट या कंसल्टेंट से बात करना भी जरूरी होता है।
ध्यान और योग- डिलीवरी के बाद मांओं को रोजाना कुछ मिनट ध्यान लगाना या हल्का योग करना चाहिए। इससे उनका मानसिक तनाव कम होता है।
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