Vitamin-D Deficiency: प्रेग्नेंट होना हर विवाहित महिला का सपना होता है। सेहत के लिहाज से देखें तो प्रेग्नेंट होने के लिए शरीर में जरूरी तत्वों की जरूरत होती है। विटामिन-डी ऐसा ही एक तत्व है। इस तत्व की कमी का संबंध गर्भावस्था से भी होता है। विटामिन-डी ऐसा तत्व है, जिसकी कमी महिलाओं में सबसे ज्यादा पाई जाती है। भारत के लोगों में भी इस विटामिन की कमी ज्यादा होती है।
विटामिन-डी की कमी प्रेग्नेंसी में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न कर सकती है। यह विटामिन शरीर में कैल्शियम और फास्फोरस के अवशोषण में भी मदद करता है, जो हड्डियों और दांतों की सेहत के लिए जरूरी हैं।
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क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मदरहुड हॉस्पिटल, खराड़ी की कंसल्टेंट, प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मानसी शर्मा ने इनसे बातचीत में बताया कि विटामिन-डी की कमी हार्मोन के असंतुलन से जुड़ी है, जो प्रजनन क्षमता और गर्भावस्था के परिणामों को प्रभावित कर सकती है। इसके अलावा, डॉक्टर कहती हैं कि विटामिन-डी की कमी होने से प्रेग्नेंसी में प्रॉब्लम हो सकती है, साथ ही हृदय रोग, शुगर के स्तर को इंबैलेंस कर सकता है और कई प्रकार के कैंसर का कारण भी बन सकता है। विटामिन-डी शरीर के कई कार्यों के लिए महत्वपूर्ण है, जिसमें कैल्शियम, फॉसफोरस और इम्यूनिटी को मजबूत करना शामिल है।
गर्भावस्था के लिए विटामिन-डी क्यों जरूरी है?
1. हड्डियों की समस्या- इस विटामिन की कमी से हड्डियों में कमजोरी होती है, जिससे महिलाओं को हड्डियों में दर्द और फ्रैक्चर की संभावनाएं बढ़ सकती हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान यह नवजात शिशु की हड्डियों के विकास को भी प्रभावित कर सकता है।
2. प्रेग्नेंसी में हाई ब्लड प्रेशर- विटामिन-डी की कमी से प्रेग्नेंसी में प्री-एक्लेम्पसिया यानी गर्भावस्था में हाई बीपी और प्रोटीन के एक्सेस का खतरा बढ़ता है, जो मां और शिशु दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है।
3. गर्भपात का खतरा- कई रिसर्च इस बात का खुलासा करती हैं कि विटामिन-डी की कमी से अबॉर्शन या मिसकैरिज होने का जोखिम बढ़ सकता है, क्योंकि यह गर्भधारण को स्थिर करने में मदद करने वाले हार्मोन पर अपना प्रभाव डालता है।
इसके अलावा, नवजात शिशु में भी विटामिन-डी की कमी होने की संभावनाएं रहती हैं, जिससे नवजात शिशु को रिकेट्स, हड्डियों से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं।
विटामिन-डी के सोर्स
विटामिन-डी का नेचुरल सोर्स सूरज की किरणें हैं। आप रोजाना सुबह 7 बजे से या उससे पहले वहीं, सर्दियों में 9 बजे से पहले की धूप में कुछ समय बिता सकते हैं। इसके अलावा, अपनी डाइट में सैल्मन, ट्यूना और सार्डिन जैसी मछलियों को शामिल करें। दूध, दही और पनीर भी खा सकते हैं। काजू भी विटामिन-डी का सोर्स है।
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