TB Mukt Bharat Abhiyan: हर साल दुनियाभर में 24 मार्च को ट्यूबरक्युलोसिस डे (World TB Day) मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की वजह लोगों में इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाना है। यह एक खतरनाक बीमारी है, जो दुनियाभर के कई लोगों को प्रभावित कर रही है। देश में भी टीबी की बीमारी घातक स्थिति में थी, जो अब सुधरने लगी है। रिपोर्ट्स की मानें तो साल 2015 में प्रति 1 लाख लोगों में से 237 लोग इस बीमारी के मरीज थे, जो 2023 में घटकर 17% 195 हो गई थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने देश को 2025 तक टीबी मुक्त बनाने का अभियान शुरू किया। यह अभियान देश में तेजी से आगे बढ़ रहा है, खासतौर पर उत्तर प्रदेश के इस जिले में जो इस समय सभी देशवासियों के लिए रोल मॉडल बन गया है।
यूपी का यह जिला बना रोल मॉडल
टीबी मुक्त भारत अभियान में देश तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है। खासकर उत्तर प्रदेश का सिध्दार्थ नगर, जो नेपाल से सटा एक जिला है। यह जिला टीबी मुक्त करने के अभियान में बना देश का रोल मॉडल बन गया है। यह एस्पिरेशनल जिला है जिसमें टीबी के एलिमिनेशन को लेकर वॉर फुट लेवल पर काम किया जा रहा है। रणनीति के तहत शीघ्र जांच, शीघ्र उपचार, शीघ्र पोषण, शीघ्र बचाव और शीघ्र जनभागीदारी है। इसके अलावा मरीजों की पहचान के लिए वार रूम तैयार किया गया है। जगह-जगह कैंप लगाकर स्क्रीनिंग की जा रही है, जिससे कि टीबी के मरीजों की पहचान समय पर हो सके। खास बात यह है कि जिले के कुल 1136 ग्राम पंचायत में से 216 ग्राम पंचायत टीबी मुक्त हो चुके हैं। जांच में तेजी होने की वजह से टीबी के मरीजों की पहचान सही समय पर की गई, जिससे उनका बीमारी के शुरुआती दौर में में ही इलाज शुरू किया गया।
जिले में टीबी जांच को लेकर हुए कई इनोवेशन
यहां के डिस्ट्रिक्ट डॉक्टर राजा गणपति आर ने बताया की सिद्धार्थ नगर की जोखिम वाली आबादी में से 12 लाख लोगों की टीबी जांच कि गई, जिसका परिणाम यह रहा कि 2340 लोग टीबी मरीज निकले। साथ ही, उन्होंने यह भी दावा किया कि टीबी मुक्त अभियान के लिए सिद्धार्थ नगर में कई तरह के इनोवेशन किए गए, जिसे बाकी के जिले फॉलो कर रहे हैं।
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AI के जरिये मिनटों में होगी टीबी की पहचान
टीबी के मरीजों की पहचान के लिए हैंड हेल्ड पोर्टेबल Ex-Ray मशीन बड़ी कारगर साबित हो रही है। इस मशीन के जरिए मिनटों में जांच हो जाती है। खास बात यह है कि इसे कहीं भी सेटअप किया जा सकता है और जांच के लिए अस्पताल या डिस्पेंसरी जाने की भी जरूरत नहीं पड़ती, बल्कि दूर-दराज, गांव-देहात के इलाकों में सेटअप करके जांच आसानी से हो सकती है। बता दें कि टीबी को केंद्र सरकार ने पार्लियामेंट में आकंड़ा साझा किया था कि साल 2023 में 85 हजार लोगों की जान टीबी के संक्रमण के चलते हुई थी। यानी टीबी को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। टीबी एक ऐसी संक्रामक बीमारी है जिससे दुनिया की एक बड़ी आबादी मौत का शिकार होती है।
World TB Day पर जानिए देश के उस जिले के बारे में जो बना पहला टीबी मुक्त जिला, यूपी का सिद्धार्थ नगर इलाका बना रोल मॉडल#Worldtuberculosisday pic.twitter.com/ICY06lr19K
— Namrata Mohanty (@namrata0105_m) March 6, 2025
क्या है टीबी?
WHO के मुताबिक साल 2023 में दुनियाभर में टीबी से लगभग काफी लोग मारे गए। भारत में भी यह रोग काफी आक्रामक है। यह एक बैक्टीरिया से पनपने वाली बीमारी है जो फेफड़ों को प्रभावित करती है। यह मरीज के खांसने, थूकने और छींकने से फैलता है।
टीबी के शुरुआती संकेतों में तीन हफ्ते से ज्यादा खांसी, शाम के समय बुखार, छाती में दर्द और वजन कम होना शामिल है।
ग्लोबल टारगेट से 5 साल पहले भारत को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य
टीबी के मरीजों की पहचान के लिए देशभर में स्क्रीनिंग का काम तेजी से किया जा रहा है। इसके पीछे बड़ी वजह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीबी मुक्त भारत बनाने की घोषणा है, जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि देश को साल 2025 में टीबी मुक्त कर लिया जाएगा। टीबी मुक्त भारत बनाने के लिए मार्च 2018 में पीएम मोदी ने अभियान की शुरुआत की थी। उस वक्त पीएम ने कहा था कि दुनिया ने टीबी को खत्म करने के लिए 2030 तक का समय तय किया है लेकिन भारत ने यह लक्ष्य 2025 निर्धारित किया है। यानी कि ग्लोबल टारगेट से 5 साल पहले ही भारत को टीबी मुक्त बना लिया जाए।
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