बढ़ते तापमान और मौसम में आ रहे बदलाव इंसानों की दिनचर्या को प्रभावित करेंगे। खास तौर पर नींद में खलल पड़ सकता है। 2099 तक जलवायु परिवर्तन के कारण हर व्यक्ति की नींद में सालाना 33.28 घंटे तक की कमी आ सकती है। एक ताजा शोध में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। यह शोध नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित हुआ है। अपनी रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि बढ़ते तापमान और मौसम में आ रहे बदलावों की वजह से इंसानों की नींद में 10.50 फीसदी तक की कमी आ सकती है। चीन में 214445 लोगों पर शोध किया गया है। इसमें 2.3 करोड़ दिनों की नींद के आंकड़ों पर स्टडी की गई।
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अध्ययन के नतीजों में शोधकर्ताओं ने पाया कि यदि टेंपरेचर 10 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ता है तो इंसानों की नींद में 20.1 फीसदी की कमी होगी। इससे सोने की कुल अवधि में 9.61 मिनट की कमी आ जाएगी। अधिक उम्र के लोगों, महिलाओं, मोटापे से ग्रस्त लोगों पर इसका ज्यादा असर देखने को मिलेगा।
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अमेरिका, चीन और ब्रिटेन की सामान्य आबादी में नींद की खराब गुणवत्ता देखने को मिली है। हर 3 में से 1 शख्स कम नींद की समस्या से ग्रस्त मिला है। ऐसे में इन समस्याओं की पहचान किए जाने की जरूरत है। शोध में यह भी पता लगा है कि गर्म और नम दिनों में नींद कम आती है। वहीं, ठंडे मौसम और बारिश के दौरान अच्छी नींद आती है।
10 डिग्री पारा बढ़ने से क्या होगा?
- नींद की अवधि में 20.1 फीसदी कमी आएगी
- गहरी नींद में सबसे ज्यादा 2.82 फीसदी तक गिरावट हो सकती है
- नींद की कुल अवधि की बात करें तो इसमें 9.67 मिनट की कमी हो सकती है
- बुजुर्गों और महिलाओं पर ज्यादा असर देखने को मिलेगा
अध्ययन में और क्या-क्या खुलासे?
- अधिक तापमान में नींद देरी से आती है, लोग जल्दी जागते हैं
- गहरी नींद की अवधि कम होती है
- थकान और हेल्थ से जुड़ीं दूसरे समस्याएं आने लगती हैं
- हर 3 में से 1 इंसान नींद की समस्या से ग्रस्त है