Cervical Cancer: एक दिन पहले ही बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए सरकार की योजना के बारे में बताया था। अगले ही दिन पूनम पांडे की इसी कैंसर से निधन की शॉकिंग खबर आ गई। हैरानी नहीं होगी कि अगर एक दिन पहले तक आपने भी इस कैंसर का नाम न सुना हो। लेकिन WHO के आंकड़े बेहद डराने वाली तस्वीर दिखाते हैं।
पूनम पांडे ही नहीं हर साल 3 लाख से ज्यादा महिलाओं की जान सर्वाइकल कैंसर की वजह से चली जाती है। दुनिया में यह चौथा सबसे ज्यादा फैलने वाला कैंसर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक हर रोज 900 से ज्यादा मौत इसी कैंसर की वजह से होती है। सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित अधिकांश महिलाओं की उम्र 20 से 50 साल के बीच होती है। 2020 में अनुमानित 604,000 नए मामलों और 342,000 मौतों के साथ सर्वाइकल कैंसर ग्लोबल लेवल पर महिलाओं में चौथा सबसे आम कैंसर है।
महिलाओं के लिए दूसरी सबसे खतरनाक बीमारी सर्वाइकल कैंसर है। आपकी जानकारी के लिए बता दें, महिलाओं में हर तरह के कैंसर के करीब 18% मामले सामने आते हैं। हर साल 1 लाख 20 हजार नए मामले सर्वाइकल कैंसर के आते हैं, जिसमें 77 हजार से ज्यादा महिलाओं की मौत हो जाती है। भारत में सर्वाइकल कैंसर की जांच एक फीसदी महिलाएं करवाती हैं। जबकि WHO के अनुसार, 70 % महिलाओं की सर्वाइकल कैंसर की जांच जरूरी है।
किसे होता है सर्वाइकल कैंसर?
30 की उम्र की शुरुआत में महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर होना सबसे आम है।
ट्रांस पुरुष (Trans Man) और गैर-बाइनरी (Non Binary Gender) लोगों में जन्म के समय महिला होने से भी सर्वाइकल कैंसर हो सकता है। ऐसा तब हो सकता है, जब उनके यूटेरस और गर्भाशय ग्रीवा (Uterine Cervix) को हटाने के लिए कोई ऑपरेशन न हुआ हो।
सर्वाइकल कैंसर का कारण कुछ प्रकार के ह्यूमन पेपिलोमावायरस (HPV) का लंबे समय तक चलने वाला संक्रमण है।
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सर्वाइकल कैंसर के प्रकार (Types of Cervical Cancer)
सर्वाइकल कैंसर को सेल के प्रकार के आधार पर क्लासिफाइड किया जाता है।
स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (squamous cell carcinoma)
यह सर्वाइकल कैंसर का सबसे आम प्रकार है और 80% से 90% मामलों में पाया जाता है। यह गर्भाशय ग्रीवा की लेयर पर विकसित होता है।
एडेनोकार्सिनोमा (Adenocarcinoma)
यह सर्वाइकल कैंसर के लगभग 10% से 20% मामलों के लिए जिम्मेदार है। यह ग्लेंड सेल में विकसित होता है, जो गर्भाशय ग्रीवा कफ का प्रोड्यूस करती है।
कार्सिनोमा (Carcinosarcoma)
गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर में कभी-कभी स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा और एडेनोकार्सिनोमा की विशेषताएं होती हैं।
बहुत कम मामलों में, अन्य प्रकार के कैंसर, जैसे न्यूरोएंडोक्राइन (छोटी और बड़ी सेल ग्रीवा कैंसर), मेलेनोमा, सारकोमा और लिम्फोमा, गर्भाशय ग्रीवा में पाए जाते हैं।
लक्षण
सर्वाइकल कैंसर के लक्षण नहीं दिखते हैं, लेकिन जैसे-जैसे ये बढ़ता है, तो संकेत और लक्षण पैदा कर सकता है, जैसे-
- इंटरकोर्स के बाद, पीरियड के बीच या मेनोपॉज के बाद वजाइना से बिल्डिंग होना।
- पीरियड में भारी बिल्डिंग होती है और सामान्य से ज्यादा समय तक रहता है।
- ब्लड वजाइनल बिल्डिंग जो भारी हो सकती है और स्मेल भी होती है।
- इंटरकोर्स के दौरान पेल्विक में दर्द होना।
जोखिम फैक्टर
उम्र
सर्वाइकल कैंसर का खतरा अक्सर 40 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में पाया जाता है।
धूम्रपान
सिगरेट के धुएं में ऐसे केमिकल होते हैं, जो शरीर की सेल्स को नुकसान पहुंचाते हैं। खासकर एचपीवी वाली महिलाओं में गर्भाशय ग्रीवा में कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
सेक्शुअल बिहेवियर
एचपीवी यौन संपर्क से फैलता है और सर्वाइकल कैंसर के लगभग सभी मामलों के साथ-साथ कई वजाइना और वुल्वर कैंसर का कारण है। कुछ प्रकार की सेक्शुअल एक्टिविटी से एचपीवी संक्रमण होने का खतरा बढ़ सकता है, इसमे शामिल है-
- एक से ज्यादा सेक्शुअल पार्टनर होना
- उच्च जोखिम वाले पुरुष साथी
- कम उम्र में पहला इंटरकोर्स
- शारीरिक संबंध के दौरान प्रोटेक्शन का इस्तेमाल न करना।
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