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Patanjali News: कोरोनिल पर उठे थे सवाल, 69% मरीजों को 3 दिन में किया ठीक, आयुष मंत्रालय ने भी माना असरदार

Patanjali News: पतंजलि की कोरोनिल किट को कोरोना की दवा के रूप में जाना जाता है। इस दवा ने मार्केट में आने के बाद गंभीर आलोचनाओं और विवादों का सामना किया। आम जनता के मन में भी दवा को लेकर सवाल थे। आइए जानते हैं दवा से जुड़े कुछ जरूरी फैक्ट्स।

Author Edited By : Namrata Mohanty Updated: May 9, 2025 14:34

Patanjali News: कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया था। जब पूरी दुनिया आधुनिक चिकित्सा के जरिए इस महामारी का इलाज ढूंढ रही थी, तब भारत में एक आयुर्वेदिक समाधान ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया। पतंजलि द्वारा विकसित कोरोनिल किट वह दवा है, जिसकी मदद से रोगियों का इलाज किया जा सकता है। लेकिन क्यों इस दवा को लॉन्च के साथ-साथ विवादों का भी सामना करना पड़ा था?

कोरोना एक गंभीर रोग

कोरोना वायरस में फेफड़ों और रेस्पिरेटरी एरियाज संक्रमित हो जाते हैं। इस वायरस ने पूरी दुनिया में लाखों लोगों को प्रभावित किया था। सांस लेने में दिक्कत होना, खांसी, गले में खराश आदि जैसे इसके संकेत थे। इस घातक बीमारी का इलाज ढूंढने के लिए दुनियाभर का मेडिकल स्टाफ लगा हुआ था। वहीं, पतंजलि ने आयुर्वेद के माध्यम से इसका इलाज ढूंढ लिया था। कंपनी ने कोरोनिल किट तैयार की थी।

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कोरोना में आयुर्वेद कैसे सहायक?

कोरोना लंग्स से जुड़ा संक्रमण था। इसलिए, लोग बचाव के लिए जिन उपायों की मदद लेते थे, वह गिलोय का काढ़ा, तुलसी, काली-मिर्च जैसी जड़ी-बूटियों का सेवन करना और भाप लेना था। ये सभी घरेलू और लाभदायक तरीके हैं। इस आधार पर ही पतंजलि ने कोरोनिल किट को बनाया था। इस किट में 3 दवाएं हैं, जो आयुर्वेदिक उत्पादों से बनाई गई हैं।

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कोरोनिल का परिचय

23 जून, 2020 को योगगुरु बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद ने कोरोनिल किट लॉन्च की, जो आयुर्वेदिक सिद्धांतों पर आधारित एक दवा बताई गई है। कंपनी का दावा था कि यह किट कोविड-19 संक्रमण के इलाज में प्रभावी है। पतंजलि के अनुसार, कोविड से संक्रमित 95 मरीजों पर दवा का ट्रायल किया गया, जिनमें से 69% मरीज 3 दिनों में और 100% मरीज 7 दिनों में पूरी तरह ठीक हो गए थे।

विवादों की शुरुआत

कोरोनिल लॉन्च होने के बाद मेडिकल वर्ल्ड और मीडिया में सवाल उठने लगे। डॉक्टरों और विशेषज्ञों द्वारा दवा के वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित होने का सबूत मांगा गया। दवा को पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन, हरिद्वार और नेशनल रिसर्च ऑफ मेडिकल साइंस, जयपुर ने मिलकर तैयार किया था। इसलिए, वह भी सवालों के घेरे में आए।

सरकारी प्रतिक्रिया

भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने पतंजलि से स्पष्ट रूप से पूछा कि किन मानकों और प्रमाणों के आधार पर कोरोनिल को कोविड-19 की असरदार दवा बताया गया। मंत्रालय ने पतंजलि को कोरोनिल के प्रचार पर रोक लगाने के लिए भी कहा और ट्रायल के दस्तावेज मांगे। महाराष्ट्र और राजस्थान की राज्य सरकारों ने भी कोरोनिल की बिक्री और विज्ञापन पर रोक लगा दी थी।

आचार्य बालकृष्ण ने दिया स्पष्टीकरण

पतंजलि के संस्थापक आचार्य बालकृष्ण ने ट्वीट कर यह स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी नहीं कहा कि कोरोनिल कोविड-19 का इलाज है, बल्कि दवा के लिए कंपनी द्वारा यह कहा गया था कि इसका उपयोग कोविड संक्रमित मरीजों पर किया गया था, जिसके अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं।

कोरोना वायरस के इलाज के तौर पर कोरोनिल के विज्ञापन पर रोक लगाने के बाद आयुष मंत्रालय ने इसे इम्युनिटी बूस्टर के तौर पर बेचने की अनुमति दे दी थी लेकिन कोविड-19 के इलाज के तौर पर नहीं। केंद्रीय मंत्रालय ने यह भी पुष्टि की है कि पतंजलि इस उत्पाद को बेच सकती है, लेकिन कोरोना वायरस का इलाज बताकर नहीं।

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First published on: May 09, 2025 11:52 AM

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