Patanjali News: कोविड-19 महामारी के दौरान भारत सहित पूरी दुनिया में एक फंगल संक्रमण, विशेष रूप से म्यूकरमाइकोसिस (Mucormycosis) के मामलों में अचानक वृद्धि देखी गई। इसे आम बोलचाल में ब्लैक फंगस के नाम से भी जाना गया। यह संक्रमण मुख्यतः उन लोगों में पाया गया जिनकी इम्यूनिटी कमजोर हो चुकी थी। जैसे कि COVID-19 के मरीज या स्टेरॉइड लेने वाले व्यक्तियों के साथ होता था। इस रोग का इलाज करना मुश्किल होता है और इसकी मृत्यु दर भी काफी अधिक होती है। इस तर्ज पर पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन ने एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक पहल की और आयुर्वेद आधारित समाधान खोजने के लिए रिसर्च की। इस शोध का केंद्र बिंदु बना “अणु तेल”, जो एक आयुर्वेदिक नाक में डाला जाने वाला तेल है।
आयुर्वेद में नस्य तेल की खासियत
पतंजलि ही नहीं, अगर हम बात करें भारत की पुरानी चिकित्सिक पद्धति के बारे में, तो उसमें नाक में तेल और शुद्ध देसी घी की कुछ बूंदों को डालने की परंपरा रही है। ऐसा करने से नाक, रेस्पिरेटरी सिस्टम और लंग्स का इंफेक्शन कम होता है। जिन लोगों को नाक में खुजली, गले में खुजली और ड्राइनेस की समस्या रहती है, तो वे भी इस प्रक्रिया का उपयोग करते हैं। नाक में तेल डालने के लिए बाजारों में कई प्रकार के आयुर्वेदिक तेल भी मिलने लगे हैं। ये जड़ी बूटियों की मदद से तैयार किए जाते हैं। मगर पतंजलि ने जिस तेल का इजाद किया वह कुछ अलग था।
ब्लैक फंगस क्या है?
इसे विज्ञान की भाषा में म्यूकोरमायकोसिस कहा जाता है। यह एक फंगल इंफेक्शन है, जिसे नाक, मस्तिष्क और फेफड़ों में संक्रमण होता है। साइनस भी ब्लैक फंगस से होने वाला रोग है। अगर इस बीमारी को समय रहते सही इलाज न मिले, तो यह धीरे-धीरे आंखों और शरीर के अलग-अलग अंगों से लेकर हड्डियों को भी प्रभावित करता है। इससे इम्यूनिटी भी कम हो जाती है। कोरोना के बाद या कोरोना से ठीक हुए मरीजों में इसके मामले ज्यादा देखने को मिलते थे।
कोरोनिल किट में शामिल अणु तेल की खासियत
पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन ने कोरोनिल किट में अणु नस्य तेल भी बनाया। इस तेल की बूंदें नाक में डालने से ब्लैक फंगस की समस्या में राहत मिलती है। अणु तेल एक पारंपरिक आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन है, जिसमें 26 से अधिक औषधीय जड़ी-बूटियों के अर्क मिलाए जाते हैं। इसका उल्लेख आयुर्वेदिक ग्रंथों जैसे कि चरक संहिता, सुष्रुत संहिता और आयुर्वेद फार्माकोपिया ऑफ इंडिया में मिलता है। इसमें प्रमुख औषधीय तत्व जैसे वनीलिक एसिड, हाइड्रॉक्सीमेथिलफुरफुरल, कौमरिन, सिनेमिक एसिड और क्वेरसेटिन होते हैं, जो एंटी-फंगल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के लिए जाने जाते हैं।
तेल का शरीर पर क्या प्रभाव
पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन, हरीद्वार में आचार्य बालकृष्ण, सोहन सेनगुप्ता, प्रिया कुमारी, ऋषभ देव, स्वाती हलदर और डॉक्टर अनुराग वार्ष्णेय की टीम ने इस पूरी किट पर गहन विश्लेषण किया था। इस अध्ययन में अणु तेल को कनिंघमेला बर्थोलेटी नामक फफूंदी पर प्रयोग किया गया था, जो म्यूकरमाइकोसिस फैलाने वाली एक मुख्य प्रजाति है। यह प्रजाति फेफड़ों, नाक और दिमाग तक को संक्रमित कर सकती है और जानलेवा स्थिति उत्पन्न कर सकती है।
अध्ययन में क्या मिला?
1. अणु तेल बीजाणुओं (spores) को बढ़ने की प्रोसेस को धीमा करता है। यही बीजाणु संक्रमण फैलाते हैं।
2. यह ROS (Reactive Oxygen Species) नामक अणुओं को कम करता है, जो सेल्स को नुकसान पहुंचाते हैं और सूजन बढ़ाते हैं।
3. अणु तेल संक्रामक अणुओं (Molecules) को प्रभावित करता है, जिससे फफूंद की वृद्धि रुकती है।
4. यह तेल न केवल फंगल सेल्स पर काम करता है बल्कि मानव कोशिकाओं में भी सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करता है, जिससे शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।
इस प्रकार, अणु तेल एक प्राकृतिक उपचार बन जाता है। जिसमें यह एक ओर यह रोगजनक फफूंद पर असर करता है और दूसरी ओर मानव शरीर को भी सुरक्षित करता है।
पतंजलि की खास भूमिका
इस शोध के प्रमुख लेखक आचार्य बालकृष्ण जी सहित अन्य वैज्ञानिकों ने इसे पतंजलि रिसर्च इंस्टिट्यूट, यूनिवर्सिटी ऑफ पतंजलि, और कोलेबोरेटिव रिसर्च इंस्टिट्यूट के माध्यम से पूरा किया है। रिसर्च के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार प्रयोगशाला परीक्षण, कंपोजीशनल वैलिडेशन और विभिन्न वैज्ञानिक पद्धतियों का उपयोग किया गया।
पतंजलि ने इस प्रोजेक्ट को तीन स्तरों पर आगे बढ़ाया
- अणु तेल का चयन भारत के प्राचीन ग्रंथों से किया गया।
- अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में शोध प्रकाशित कर इसे वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित किया गया है।
- इसे एक सुरक्षित और प्रभावी वैकल्पिक चिकित्सा के रूप में पेश किया गया है।
आयुर्वेद और विज्ञान का संगम
COVID-19 के बाद ब्लैक फंगस जैसे जानलेवा संक्रमणों ने हमें यह सिखाया कि हमें आधुनिक चिकित्सा के साथ-साथ पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों पर भी भरोसा करना होगा। अणु तेल का यह अध्ययन एक उदाहरण है कि कैसे आयुर्वेद और विज्ञान का संगम गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के लिए प्रभावी उपचार का विकल्प माना गया है।