दशकों तक बॉलीवुड में अलग-अलग किरदारों से अपनी छाप छोड़ने वाले दिग्गज अभिनेता मनोज कुमार को देश नम आंखों से विदा कर रहा है। उन्हें भारत पुत्र के नाम से भी जाना जाता है। उनकी रोटी कपड़ा और मकान, पूरब और पश्चिम, उपकार और क्रांति जैसी फिल्में हमेशा लोगों के बीच मौजूद रहेगी। उन्होंने 87 साल की उम्र में मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में अंतिम सांस ली। अस्पताल की ओर से अभिनेता की मौत का ऑफिशियल स्टेटमेंट भी जारी किया जा चुका है। ऑफिशियल स्टेटमेंट में वरिष्ठ अभिनेता श्री मनोज कुमार जी का आज सुबह करीब 3:30 बजे कोकिलाबेन अंबानी अस्पताल में उम्र संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण निधन हो गया। इस कारण ही वे पिछले कुछ सप्ताह से अस्पताल में भर्ती थे। आइए जानते हैं उम्र बढ़ने पर क्यों बढ़ जाती हैं सांस से जुड़ी समस्याएं।
दिल की बीमारी से भी जूझ रहे थे मनोज कुमार
अभिनेता मनोज कुमार दिल की बीमारी से भी पीड़ित बताए जा रहे हैं। हालांकि, उम्र ज्यादा बढ़ने से भी सांस लेने में तकलीफ होती है। 75 साल के बाद ऐसी समस्याएं लोगों में होना आम है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि उम्र ज्यादा होने पर दिल और ब्लड वेसल्स में बदलाव होना। ये सभी फैक्टर्स दिल की बीमारियों का कारण बनते हैं।
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कितनी खतरनाक है सांस की तकलीफ?
सांस लेने में तकलीफ या रेस्पिरेटरी समस्याएं किसी भी व्यक्ति के लिए बेहद कष्टकारी हो सकती हैं। यह न केवल शारीरिक दर्द का कारण बनती है बल्कि मानसिक तनाव को भी उत्पन्न कर सकती है। मनोज कुमार को भी पिछले 1 महीने से यह परेशानी हो रही थी, जिस कारण आज उन्होंने जिंदगी से जंग हार ली है। सांस लेने में परेशानी दिल से संबंधित हो सकती है और हार्ट प्रॉब्लम्स मोटापा, डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल से लेकर बीपी की समस्या से होती हैं।
सांस लेने की तकलीफ के कुछ कारण
सांस लेने में कठिनाई के कई कारण हो सकते हैं, जो शारीरिक, मानसिक और पर्यावरणीय तीनों कारणों से संबंधित होते हैं। यहां कुछ सामान्य कारण दिए गए हैं, जिनकी वजह से यह समस्या होती है।
1. अस्थमा- अस्थमा में रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट का सिकुड़ना और सूजन हो जाती है। इस कारण भी सांस लेने में दिक्कत महसूस हो सकती है।
2. सीओपीडी (Chronic Obstructive Pulmonary Disease)- यह बीमारी फेफड़ों में सूजन और वायु मार्ग में रुकावट पैदा होती है, जिससे सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है।
3. हृदय रोग- दिल से संबंधित समस्याएं भी सांस की समस्याओं का कारण बन सकती हैं। जैसे कि दिल में खून की पंपिंग धीमी होना या कोलेस्ट्रॉल का ब्लड वेसल्स में जमना।
#WATCH | Veteran actor Manoj Kumar passed away at the Kokilaben Dhirubhai Ambani Hospital early this morning at around 3:30 AM.
His son, Kunal Goswami, says, “…He has had health-related issues for a long time. It’s the grace of the god that he bid adieu to this world… pic.twitter.com/bTYQnXNHcF
— ANI (@ANI) April 4, 2025
4. संक्रमण- धूल, धुआं या पॉलिन जैसी एलर्जी भी रेस्पिरेटरी सिस्टम को प्रभावित कर सकती है और सांस लेने में परेशानी पैदा कर सकती है।
5. धूम्रपान- जो लोग लंबे समय से धूम्रपान कर रहे हैं, उनके भी फेफड़े कमजोर होते हैं और सांस लेने में कठिनाई होती है।
6. वजन बढ़ना- ओबेसिटी से भी शरीर पर दबाव बढ़ जाता है, जिससे फेफड़ों को सही से काम करने में परेशानी होती है।
सांस लेने की समस्या के कुछ लक्षण
हालांकि, सांस की बीमारियां कई प्रकार की होती हैं, मगर कुछ सामान्य संकेत हैं, जिन्हें नजरअंदाज करने से बचना चाहिए।
- अचानक सांस में कमी दिखना।
- सीने में दर्द महसूस करना।
- खांसी और बलगम भी इसका कारण हो सकता है क्योंकि फेफड़ों के इंफेक्शन की वजह से भी सांस लेने में मुश्किल होती है।
- घबराहट और चिंता महसूस करना।
- शरीर में पानी की कमी होना।
सांस क्यों फूलती है?
दिल्ली के सीनियर पल्मनोलॉजिस्ट डॉक्टर दीपक भसीन बताते हैं कि सांस फूलने की समस्या के प्रमुख कारण होते हैं, मगर हमें सबसे पहले यह समझना होगा कि सांस फूलना होता क्या है। इसे समझने का सीधा और सरल तरीका यह है कि जब हम नॉर्मल टाइम में सांस ले रहे हैं, तो कभी सांस लेने की बात पर गौर नहीं करते हैं, लेकिन जब हम यह ध्यान देने लगते हैं कि हमें सांस लेनी है, तो समझ जाइए कि आपको शॉर्टनेस ऑफ ब्रीदिंग यानी सांस लेने में कमी हो रही है।
मनोज कुमार के साथ क्या हुआ?
फरीदाबाद के एशियन हॉस्पिटल में डायरेक्टर- कैथ लैब एंड इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट और हेड डॉ. सुब्रत अखौरी के अनुसार, अभिनेता मनोज कुमार की मौत का कारण कार्डियोजेनिक शॉक बताया गया है, जो कि एक गंभीर दिल के दौरे यानी एक्यूट मायोकार्डियल इंफार्क्शन की वजह से हुआ। दिल का दौरा तब होता है जब हमारे दिल की मांसपेशियों को खून पहुंचाने वाली वेसल्स किसी कारण से अचानक ब्लॉक हो जाती हैं। आमतौर पर ये ब्लॉकेज चर्बी, कोलेस्ट्रॉल या प्लाक के जमने से होती है। जब खून दिल तक नहीं पहुंच पाता, तो दिल की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं या उनका नुकसान होने लगता है। दिल का दौरा पड़ने के बाद जितनी जल्दी इलाज मिलता है, मरीज के बचने की संभावना उतनी ही ज्यादा होती है।
वहीं, डॉक्टर आशीष अग्रवाल, डायरेक्टर एंड यूनिट हेड, कार्डियोलॉजी, आकाश हॉस्पिटल का कहना है कि हर्ट एक मसल पंप है जो कि सामान्यतया तीन रक्त वाहिकाओं से ब्लड सप्लाई होता है। अगर किसी अचानक से एक वाहिका में कोई ब्लॉकेज होती है जो पहले से फट जाती है तो उस पर क्लॉट बन जाने से अचानक से रक्त वाहिका का फ्लो रुक जाता है और उसमें क्लॉट बन जाता है और इसे हम हर्ट अटैक के नाम से जानते हैं, क्योंकि अचानक से ब्लड विसेल के बंद होने से ब्ल्ड की सप्लाई हर्ट को बंद हो जाती है। इससे हर्ट को बहुत सारी इंजरी होती है।
क्या करें?
एकस्पर्ट के मुताबिक, जब भी आपको कुछ ऐसी समस्या महसूस हो रही है, तो तुरंत ही मेडिकल हेल्प ले और डॉक्टर से मिलें। शुरुआती इलाज के लिए आप खुली हवा में सांस ले सकते हैं। अगर तब भी राहत न मिलें, तो देरी न करें।
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