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70 घंटे काम करने से दिल पर होता है साइड इफेक्ट्स, क्या कहते हैं डॉक्टर

Effect of Long Working Hours: इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने युवाओं को हफ्ते में 70 घंटे काम करने की सलाह दी है। इस पर कई डॉक्टरों ने अपनी प्रतिक्रिया दी हैं।

Edited By : Deepti Sharma | Updated: Oct 30, 2023 17:50
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Image Credit: Freepik

Effect of Long Working Hours: आइएएनएस इन्फोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने भारतीय युवाओं को हफ्ते में 70 घंटे काम करने की सलाह दी है। इस पर देशभर के कई डाक्टरों की प्रतिक्रिया सामने आई है। उनके अनुसार, इससे दिल का दौरा, तनाव, चिंता, पीठ में दर्द आदि का जोखिम बढ़ सकता है। एक पॉडकास्ट के दौरान नारायण मूर्ति ने कहा था कि अगर भारत विकसित देशों के साथ प्रतियोगिता करना चाहता है, तो युवाओं को सप्ताह में 70 घंटे लगकर काम करना चाहिए।

बेंगलुरु के कार्डियोलाजिस्ट डाक्टर दीपक कृष्णमूर्ति ने मीडिया रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि अगर आप सप्ताह के छह दिन रोज 12 घंटे काम करते हैं तो आपके पास 12 घंटे बचते हैं। इसमें से आठ घंटे सोना भी जरूरी है। बाकी बचे चार घंटे ट्रैफिक में ही बीत जाते हैं। ब्रश करना, नहाना, खाना-पीना सहित अन्य जरूरी काम के लिए आपके पास केवल दो घंटे ही बचते हैं। इसमें परिवार के साथ बैठकर बातचीत, व्यायाम और मनोरंजन के लिए टाइम नहीं मिलेगा। फिर भी लोग ताज्जुब कर रहे हैं कि युवाओं को हार्ट अटैक क्यों हो रहा है।

55 घंटे से ज्यादा काम तो स्ट्रोक का खतरा 35% ज्यादा

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, प्रति सप्ताह 35 से 40 घंटे काम करने की तुलना में 55 घंटे से ज्यादा काम करने से स्ट्रोक का खतरा 35% और हार्ट डिजीज का जोखिम 17 % ज्यादा होता है। 2021 में एनवायरनमेंट इंटरनेशनल में प्रकाशित एक रिसर्च में कहा गया था कि लंबे टाइम तक काम करने से 2016 में स्ट्रोक और इस्केमिक हार्ट डिजीज (Coronary Artery Disease) से 7,45,000 मौतें हुई।

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लंबे समय तक काम करने से फैमिली होती है परेशान

मैक्स हेल्थकेयर के एंडोक्राइनोलाजी और डायबिटीज विभाग के अध्यक्ष डा. अंबरीश मित्तल ने अपने सोशल मीडिया एक्स पर इस बारे में पोस्ट भी शेयर की है। इसमें उन्होंने लिखा कि 70 घंटे का काम सप्ताह सिफारिश के तौर पर भी नहीं हो सकता अनिवार्य काम के घंटे प्रति सप्ताह लगभग 48 होना चाहिए। पीडियाट्रिशियन डा. मनिनी ने भी एक मीडिया रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि ऐसे वर्किंग कल्चर से परिवारों को काफी परेशानी हो रही है। कोई आश्चर्य नहीं कि इतने सारे ऑटिस्टिक (Autistic) बच्चे देख रहे हैं, क्योंकि माता-पिता बच्चों के लिए टाइम नहीं निकाल पा रहे हैं।

Disclaimer: इस लेख में बताई गई जानकारी और सुझाव को पाठक अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। News24 की ओर से किसी जानकारी और सूचना को लेकर कोई दावा नहीं किया जा रहा है।

First published on: Oct 30, 2023 04:54 PM

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