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Fake Turmeric: हड्डियों से लेकर दिमाग तक को कमजोर बना रही है “हल्दी”! FSSAI की स्टडी में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

Fake Turmeric: हल्दी को लेकर एक स्टडी सामने आया है, जिसमें भारत सहित कई देशों में हल्दी में लेड की मात्रा अधिक पाई पाई गई है। जिसका असर बच्चों पर सबसे ज्यादा पड़ रहा है।

Edited By : Shivani Jha | Updated: Nov 9, 2024 09:43
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Fake Turmeric
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Fake Turmeric: हल्दी एक ऐसा मसाला है, जो सभी के घरों में इस्तेमाल में लाया जाता है। हल्दी को लेकर एक स्टडी में सामने आया कि भारत सहित नेपाल और पाकिस्तान में बेची जाने वाली हल्दी में लेड का लेवल नियामक सीमा से कई गुना अधिक पाया गया। साइंस ऑफ द टोटल एनवायरनमेंट के अनुसार भारत के पटना और पाकिस्तान के कराची और पेशावर से लिए गए हल्दी के सैंपल में 1,000 माइक्रोग्राम/ग्राम से अधिक था। गुवाहाटी और चेन्नई में भी लेड का लेवल भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा निर्धारित नियामक सीमा से अधिक पाया गया।

एफएसएसएआई ने खाद्य सुरक्षा एवं मानक विनियम 2011 के अनुसार, साबुत हल्दी और पिसी हुई हल्दी में लेड की तय की गई सीमा 10 माइक्रोग्राम/ग्राम है। इसे लेकर  एक्सपर्ट का कहना है कि इस लेवल पर लेड वाली हल्दी का सेवन करने से कई क्षेत्र में, खासकर के बच्चों में कांच की विषाक्तता बढ़ने की संभावना होती है।

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क्या होता है लेड?

बता दें कि लेड एक भारी धातु है जिसे कैल्शियम का नकल कहा जाता है। अगर आप इसका अधिक सेवन करते हैं तो ये हड्डियों में जाकर जमा हो जाती है। ये मेटाबोलिज्म के लिए भी नुकसानदायक होता है। साथ ही ये आपके ब्रेन और हार्ट के लिए खतरनाक है। जिन बच्चों में लेड का लेवल का 10  माइक्रोग्राम/ग्राम से अधिक है,  उनमें 1 फोकस करने कम होती जा रही है।

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रिसर्च में आया सामने

रिसर्चर्स ने दिसंबर 2020 और मार्च 2021 के बीच भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका और नेपाल के 23 प्रमुख शहरों से इकट्ठा किए गए हल्दी के नमूनों का विश्लेषण किया। इस विश्लेषण में पाया गया कि हल्दी के 14 प्रतिशत सेंपल में लेड का लेवल 2 माइक्रोग्राम/ग्राम  से अधिक था, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि लेड की कोई भी मात्रा सही नहीं है। भारत में, पटना और गुवाहाटी में अधिकतम लेवल  2,274माइक्रोग्राम/ग्राम और 127 माइक्रोग्राम/ग्राम पाया गया। स्टडी में बताया गया कि दोनों जगहों के नमूने कथित तौर पर बिहार से मंगाए गए थे। वहीं, एफएसएसएआई के नियमों के अनुसार,  हल्दी में लेड क्रोमेट, स्टार्च और कोई भी अन्य रंग नहीं होना चाहिए।

लेड क्रोमेट के नुकसान

दरअसल, हल्दी में रंग को चमकदार बनाने के लिए लेड क्रोमेट नामक जहरीले रसायन का इस्तेमाल किया जाता है। ये हेल्थ के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। इसमें न्यूरोलॉजिकल समस्याओं और किडनी के बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।

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Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले विशेषज्ञों से राय अवश्य लें। News24 की ओर से जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।

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Written By

Shivani Jha

First published on: Nov 09, 2024 09:40 AM

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