कम पैसों में बड़ी बीमारियों के बारे में या उनसे बचने के तरीकों के बारे में पता लगा लिया जाए, तो उससे ज्यादा बेहतर क्या होगा? जब भी बात दिल के दौरे, स्ट्रोक या अन्य हार्ट डिजीज की होती है, तो लोग सतर्कता अधिक बरतने लगते हैं। दिल की सेहत के बारे में जानने के लिए लोग कुछ ब्लड टेस्ट जरूर करवाते हैं। इन जांचों में लिपिड प्रोफाइल टेस्ट भी शामिल है। इस टेस्ट की मदद से कोलेस्ट्रॉल के बारे में पता चलता है, जो कि दिल की बीमारियों का बड़ा कारण बनता है। लिपिड प्रोफाइल टेस्ट की कीमत 800 से 1000 रुपये से शुरू होती है। हम आपको एक नॉर्मल रेंज का ब्लड टेस्ट बता रहे हैं, जिसकी मदद से हार्ट के स्वास्थ्य के बारे में सही जानकारी मिल सकती है। इस टेस्ट का नाम ट्रोपोनिन टेस्ट है। आइए जानते हैं इस टेस्ट के बारे में।
कौन सा है यह टेस्ट?
इस टेस्ट का नाम ट्रोपोनिन टेस्ट है। इसमें भी खून की जांच की जाती है। दिल से जुड़ी बीमारियों में इस टेस्ट को करवाया जाता है। ट्रोपोनिन टेस्ट को कार्डियक एंजाइम टेस्ट भी कहते हैं। इस टेस्ट को दिल के दौरे की स्थिति में, चेस्ट पेन और दिल की बीमारियों में भी किया जाता है। यह टेस्ट बताता है कि दिल का दौरा पड़ने का खतरा कितना है और कई बार कब ज्यादा रहेगा, इस बारे में भी इस टेस्ट से पता लगाया जा सकता है।
कैसे होता है यह टेस्ट?
इस टेस्ट को घर में नहीं किया जा सकता है। बिना प्रोफेशनल हेल्प ट्रोपोनिन टेस्ट मुमकिन नहीं है। इसे एक्सपर्ट्स के संरक्षण में लैब में करवाया जाता है। इस टेस्ट के लिए खून के सैंपल बांह या फिर नाक से लिए जाते हैं। साथ ही, इस टेस्ट के रिजल्ट भी 1 घंटे के अंदर प्राप्त हो जाते हैं।
ट्रोपोनिन टेस्ट के बारे में कुछ जरूरी बातें
ट्रोपोनिन, हार्ट की मांसपेशियों में पाया जाने वाला प्रोटीन है।
हार्ट की मांसपेशियों को नुकसान होने पर ट्रोपोनिन खून के साथ मिक्स होने लगता है।
हार्ट को जितना नुकसान होगा, खून में ट्रोपोनिन की मात्रा उतनी ही बढ़ेगी।
ब्लड टेस्ट का महत्व
ट्रोपोनिन ब्लड टेस्ट का महत्व इसलिए भी ज्यादा होता है क्योंकि यह किफायती, जल्दी होने वाला और जल्दी रिपोर्ट भी दे देता है। इससे कई लोगों को लाभ होगा क्योंकि डॉक्टर आमतौर पर ज्यादा गंभीर स्थिति वाले मरीजों पर ध्यान देते हैं और उन्हें प्राथमिकता मिलती है। ऐसे में जो कम जोखिम वाले मरीज होते हैं, उन्हें कई बार लापरवाही का सामना करना पड़ता है। कम रिस्क वाले लोग इस टेस्ट की मदद से खुद के स्वास्थ्य के बारे में जान पाएंगे।
कहां हुई है रिसर्च?
लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के रिसर्चर्स के नेतृत्व में और ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन द्वारा फंडिंग के बाद इस अध्ययन में यूरोप, उत्तरी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के 62,000 से अधिक व्यक्तियों के हेल्थ का डाटा कलेक्ट किया गया है। शोधकर्ताओं ने इन व्यक्तियों पर 10 साल तक नजर रखी, उम्र, कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और धूम्रपान की आदतों जैसे अन्य पारंपरिक जोखिमों के साथ-साथ ट्रोपोनिन के स्तर को मापा गया था।
रिसर्च का दावा
यह एक इंटरनेशनल लेवल पर हुई रिसर्च है, जो कम आय वाले लोगों के लिए मददगार साबित हो सकता है। जर्नल ऑफ द अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी में प्रकाशित, शोध से पता चलता है कि ट्रोपोनिन नामक प्रोटीन के स्तर को मापने से हृदय संबंधी घटनाओं की भविष्यवाणी में काफी सुधार हो सकता है। रिसर्च में पाया गया है कि जोखिम पूर्वानुमान मॉडल में ट्रोपोनिन के स्तर को शामिल करने से उनकी सटीकता चार गुना तक बढ़ गई है। मध्यम जोखिम वाले लोगों के लिए ट्रोपोनिन टेस्ट सही विक्लप है। उन्हें ज्यादा जोखिम वाली श्रेणी में जाने से बचाया जा सकता है।
भारत के लिए क्यों जरूरी?
भारत में हृदय संबंधी समस्याओं में तेजी देखी जा रही है और हृदय रोग अब देश में मृत्यु का प्रमुख कारण भी बन गया है। विभिन्न अध्ययनों से कलेक्ट किया गया डाटा बताता हैं कि भारत में हर 33 सेकंड में एक व्यक्ति दिल के दौरे से मरता है, जिसमें 50 वर्ष से कम आयु के लोग शामिल है। दिल के मरीजों में कोलेस्ट्रॉल भी ज्यादा पाया जा रहा है। इन कारणों के चलते ट्रोपोनिन टेस्ट को खास बढ़ावा दिया जा रहा है।
हार्ट अटैक के संकेत
- सीने में बेचैनी।
- छाती में दर्द।
- उल्टी, चक्कर और मितली महसूस करना।
- सांस फूलने की समस्या।
- बाएं हाथ, कंधे और जबड़े में दर्द।
प्रिवेंशन टिप्स
ग्राफिक के माध्यम से जानें बचाव के लिए क्या करना सही रहेगा।
ये भी पढ़ें- छोटी उम्र में साइलेंट अटैक क्यों?
Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले विशेषज्ञों से राय अवश्य लें। News24 की ओर से जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।