Fair Baby Tips: हर प्रेगनेंट महिला की इच्छा होती है कि उसका होने वाला बच्चा तंदुरुस्त और फेयर हो। हम बचपन से ही ये सुनते आ रहे हैं कि गर्भवती महिला के खानपान का असर बच्चे की सेहत पर पड़ता है। वहीं ये भी कहा जाता है कि फेयर कलर के लिए जरूरी है कि गर्भवती महिला नारियल पानी पीए, केसर का सेवन करे, घी का सेवन करे, दूध का सेवन करे फल और ड्राई फ्रूट्स का सेवन करे। हालांकि हेल्थ के नजरिए से खानपान पर ध्यान देना एकदम सही है। लेकिन फेयर रंग का इससे कोई लेनादेना नहीं है। ये हम नहीं कह रहे बल्कि डॉ. सुप्रिया पुराणिक ने बताया है। आइए आप भी जान लीजिए कि जन्म से पहले कैसे तय होता है बच्चे का रंग?
बच्चे का हेल्दी होना जरूरी
सबसे जरूरी है कि हर किसी का बेबी फिजिकली और मेंटली तंदुरुस्त रहना चाहिए ये उसके कलर कॉम्प्लेक्शन से ज्यादा महत्वपुर्ण होता है। डॉ. सुप्रिया पुराणिक जो एमबीबीएस, डीजीओ, डीएनबी हैं और एक प्रतिष्ठित प्रसूति रोग विशेषज्ञ, स्त्री रोग विशेषज्ञ और आईवीएफ विशेषज्ञ हैं, ने इस बारे में बताया कि जरूरी है कि बच्चा बिना किसी शारीरिक परेशानी के स्वस्थ हो।
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माता-पिता के जींस होते हैं महत्वपूर्ण
डॉक्टर ने बताया कि बच्चे की स्किन का रंग, बालों का रंग, आंखों का रंग और उसकी लंबाई ये सब कुछ जैनेटिक होती है। जैसे घर में लोग होंगे बच्चा भी वैसा ही होता है। जरूरी नहीं कि बच्चा अपने पिता पर या उनकी फैमिली पर जाए। वो अपनी मां या उनकी फैमिली जैसे नाना-नानी, मौसी, मामा आदि जैसा भी हो सकता है। जब बच्चे में ज्यादा मात्रा में गुण पिता वाले जींस होंगे तो वो पिता जैसा दिखेगा। अगर बच्चे में मां के जींस ज्यादा होंगे तो मां जैसा दिखेगा। वहीं अगर दोनों के जींस मिक्स हो गए तो बच्चे में थोड़े-थोड़े दोनों के गुण होते हैं।
किस वजह से होता है बच्चे का फेयर रंग
सभी पेरेंट्स चाहते हैं कि गोरा बच्चा हो, लेकिन ये तब होता है जब मेलेनिन नाम का पिगमेंट काफी कम होता है। वहीं जो बच्चे सांवले होते हैं उनमें मेलेनिन अच्छी मात्रा में होता है। जानकारी के लिए बता दें कि मेलेनिन हमें सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाता है।
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