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Blood Group से जुड़ी 10 रोचक बातें, हेल्थ पर पड़ता है पॉजिटिव-नेगेटिव इफेक्ट

Blood Groups: ब्लड ग्रुप, जिसे ब्लड का प्रकार भी कहा जाता है, जो ब्लड के ग्रुप को डिफाइन कर सकता है और यह रेड ब्लड सेल्स की सतह पर जेनेटिक रूप से एंटीजेनिक की उपस्थिति या अनुपस्थिति पर आधारित होता है। ब्लड टाइप के आधार पर एंटीजेनिक पदार्थ, ग्लाइकोलिपिड, प्रोटीन या ग्लाइकोप्रोटीन हो सकते हैं। […]

Edited By : Deepti Sharma | Updated: Oct 9, 2023 12:32
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Blood Groups

Blood Groups: ब्लड ग्रुप, जिसे ब्लड का प्रकार भी कहा जाता है, जो ब्लड के ग्रुप को डिफाइन कर सकता है और यह रेड ब्लड सेल्स की सतह पर जेनेटिक रूप से एंटीजेनिक की उपस्थिति या अनुपस्थिति पर आधारित होता है। ब्लड टाइप के आधार पर एंटीजेनिक पदार्थ, ग्लाइकोलिपिड, प्रोटीन या ग्लाइकोप्रोटीन हो सकते हैं।

आमतौर पर ब्‍लड ग्रुप 8 तरह के होते हैं A+, A-, B+, B-, O+, O-, AB+, AB-. किस व्‍यक्ति का क्‍या ब्‍लड ग्रुप होता है, ये एंटीजन से तय होता है। जिनका खून रेड ब्लड सेल्स से बना होता है, उनके ऊपर प्रोटीन की एक परत होती है, जिन्हें एंटीजन कहा जाता है। जिनका खून रेड ब्लड सेल्स से बना होता है, उनके ऊपर प्रोटीन की परत को एंटीजन कहते हैं। ये एंटीजन पॉजिटिव और नेगेटिव होते हैं. ब्लड टाइप A में सिर्फ़ एंटीजन A होते हैं, ब्लड B में सिर्फ B, ब्लड AB में दोनों एंटीजन मौजूद होते हैं और टाइप O में दोनों ही नहीं होते हैं।

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ब्‍लड के बारे में 10 रोचक बातें

  • सभी खून का रंग लाल नहीं होता है
  • शरीर में लगभग एक गैलन खून होता है
  • खून में ज्यादातर प्लाज्मा होता है
  • खून में सोना होता है (शरीर में भी सोना होता है,जिसकी मात्रा बहुत ही कम होती है यानी की लगभग 0.2 मिलीग्राम। ये खून में घुली होती है)
  • ब्लड सेल्स स्टेम सेलेस से उत्पन्न होती हैं
  • ब्लड सेल्स की उम्र अलग-अलग होती है
  • प्रेग्नेंसी के लिए white blood cell जरूरी हैं
  • रेड ब्लड सेल्स में कोई केन्द्रक नहीं होता
  • ब्लड प्रोटीन कार्बन मोनोऑक्साइड से बचाते हैं
  • सेल्स खून में रुकावटों को दूर करती हैं

 

डायबिटीज एक आम समस्या है। यह खानपान और हमारी बदलती जीवनशैली से जुड़ी बीमारी है, जिसे जीवनभर कंट्रोल करने की जरूरत होती है। यदि आप प्रीडायबेटिक(Prediabetic) हैं, तो लाइफस्टाइल में चेंज होने से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा कम हो सकता है। लेकिन खराब लाइफस्टाइल के अलावा कई अन्य फेक्टर भी डायबिटीज की बीमारी के खतरे को बढ़ा सकते हैं। ऐसा ही एक फेक्टर है आपका ब्लड ग्रुप।

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नॉन-O ब्लड ग्रुप

O ब्लड ग्रुप वाले लोगों की तुलना में नॉन-O ब्लड ग्रुप वाले लोगों में टाइप 2 डायबिटीज होने का चांस ज्यादा होता है।

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B ब्लड ग्रुप

A ब्लड ग्रुप वाली महिलाओं में O ब्लड ग्रुप वाली महिलाओं की तुलना में टाइप 2 डायबिटीज होने की संभावना 10 % ज्यादा होती हैं। जबकि B ब्लड वाली महिलाओं में O ब्लड टाइप वाली महिलाओं की तुलना में डायबिटीज होने का चांस 21 % ज्यादा होता है। वैसे यूनिवर्सल डोनर O नेगेटिव की हर कॉम्बिनेशन की अपेक्षा, B पॉजिटिव ब्लड वाली महिलाओं में टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा ज्यादा होता है।

डायबिटीज का रिस्क और ब्लड के टाइप के बीच का संबंध अभी भी साफ नहीं है। नॉन O ब्लड ग्रुप वाले लोगों के खून में नॉन-वीलब्रैंड (non-wealbrand) फैक्टर नामक प्रोटीन ज्यादा होता है और यह ब्लड शुगर के हाई लेवल से जुड़ा हुआ है। खून के प्रकार अलग-अलग मॉलिक्यूलर से भी जुड़े होते हैं, जिसकी वजह से टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है। डायबिटीज के मरीज बड़े आराम से शुगर फ्री डायबिटीक फूड सपलीमेंट खा सकते हैं।

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ब्लड टाइप और डायबिटीज का आपसी संबंध

फिलहाल ये तो नहीं पता चल पाया कि ब्लड टाइप और डायबिटीज होने का आपस में क्या तालमेल है, लेकिन, खून में जो प्रोटीन होता है, उसे non-Willebrand कहते हैं. ये ब्लड टाइप A और B में O टाइप के मुकाबले काफी ज्यादा होता है, जो शुगर लेवल को बढ़ाता है। ब्लड टाइप (A or B) में कुछ ऐसे molecules हैं जो टाइप 2 डायबिटीज से जुड़े होने के लिए जाने जाते हैं। टाइप 2 डायबिटीज वालों में इंसुलिन कम बनता है, जिसके लिए दवाओं का यूज किया जाता है, ताकि शरीर में इंसुलिन बनाया जा सके। इसके अलावा जरूरत होने पर इंसुलिन भी दी जाती है।

Disclaimer: इस लेख में बताई गई जानकारी और सुझाव को पाठक अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। News24 की ओर से किसी जानकारी और सूचना को लेकर कोई दावा नहीं किया जा रहा है।

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Written By

Deepti Sharma

First published on: Oct 09, 2023 12:19 PM

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