पल्लवी झा, नई दिल्ली
आज की तेज रफ्तार जिंदगी और स्क्रीन से चिपके रहने की आदत ने इंसानों के कंसंट्रेशन को बुरी तरह प्रभावित किया है। एम्स दिल्ली के वरिष्ठ साइकेट्रिस्ट डॉ. नंद कुमार के अनुसार, अब लोग मुश्किल से 8 से 9 सेकंड तक ही ध्यान कंसन्ट्रेट कर पाते हैं। पहले जहां 20 से 30 मिनट तक ध्यान कंसन्ट्रेट करना सामान्य बात थी, वहीं अब यह क्षमता तेजी से गिर रही है। इस गिरावट की बड़ी वजह है निरंतर सतर्कता और मेंटल रेस्टलेसनेस जो डिजिटल युग की देन मानी जा रही है।
ध्यान की गिरती क्षमता का कारण है डिजिटल थकान
डॉ. नंद कुमार बताते हैं कि आज के समय में लोग हर वक्त फोन, लैपटॉप और नोटिफिकेशन में उलझे रहते हैं। यह स्थिति दिमाग को लगातार अलर्ट मोड में रखती है जिससे थकान बढ़ती है और ध्यान कंसन्ट्रेट करने की क्षमता घटती जाती है। सोशल मीडिया, ईमेल, व्हाट्सएप जैसे माध्यमों ने लोगों को मानसिक रूप से कभी न रुकने वाली दौड़ में डाल दिया है।
सिर्फ कुछ सेकंड में भटकता है मन
विशेषज्ञ मानते हैं कि पहले जहां एक व्यक्ति किसी कार्य में लगातार 20–30 मिनट तक बिना ध्यान भटकाए लगा रह सकता था, आज यह ड्यूरेशन घटकर 8 से 9 सेकंड रह गई है। यह गिरावट बेहद चिंताजनक है क्योंकि यह हमारी पढ़ाई, काम और रिश्तों को भी प्रभावित करती है।
गर्मी में बढ़ जाती है बेचैनी, जरूरत है ठहराव की
गर्मियों के मौसम में शरीर के साथ-साथ दिमाग भी जल्दी थकने लगता है। इस दौरान मानसिक बेचैनी और चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है जिससे ध्यान भटकने की समस्या और गंभीर हो जाती है। ऐसे में मन और तन दोनों को शांति देने के उपाय जरूरी हो जाते हैं।
डिजिटल डिटॉक्स है समाधान
डॉ. नंद कुमार सलाह देते हैं कि रोजाना कुछ समय डिजिटल स्क्रीन से दूर रहकर खुद को रिलैक्स करना चाहिए। मेडिटेशन, योग, प्रकृति के बीच समय बिताना और पर्याप्त नींद लेने से मानसिक ऊर्जा बनी रहती है और ध्यान कंसन्ट्रेट करने की शक्ति में सुधार आता है।