सिलीगुड़ी: उत्तर बंगाल के तराई और डूआर क्षेत्रों में चाय उत्पादन इस सीजन प्रभावित हुआ है। भारी बारिश के चलते इस बार यहां चाय का उत्पादन लगभग 30 प्रतिशत तक कम हुआ है। समाचार एजेंसी एएनआई की खबर के मुताबिक यहां कई चाय बागान भूमि कटाव के कारण प्रभावित हुए हैं। नदियों के अपना रास्ता बदलने से यहां चाय बगानों पर इसका असर पड़ा है। इसके अलावा अधिक बारिश के कारण इस बार पौधों को पर्याप्त मात्रा में धूप नहीं मिल पाई है।
30 pc slump likely in tea production in north Bengal due heavy rains
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#TeaProduction #WestBengal pic.twitter.com/lQyzxB0XZM— ANI Digital (@ani_digital) August 13, 2022
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सरकार दे राहत पैकेज
टी एसोसिएशन ऑफ इंडिया (टीएआई) के उत्तर बंगाल शाखा के सचिव सुमित घोष ने उत्पादन के नुकसान पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जनशक्ति की कमी ने भी चाय उत्पादकों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। वह बोले “चाय उद्योग नुकसान की आशंका कर रहा है। प्राकृतिक आपदाओं के कारण, कनेक्टिविटी में व्यवधान, रसद और जनशक्ति की अभूतपूर्व कमी के कारण उत्पादकता में गिरावट आई है।” महीने के पहले पखवाड़े के दौरान उत्पादन लगभग 30-35 प्रतिशत कम होने की उम्मीद थी। अधिक बारिश से नुकसान चाय के बागानों में पहले ही 20 इंच से अधिक बारिश (508 मिमी) हो चुकी है। बारिश का पानी बगानों में एकत्रित है।
चाय उद्योग को नुकसान
सिलीगुड़ी चाय नीलामी समिति के अध्यक्ष कमल किशोर तिवारी ने भी कहा कि सरकार को समर्थन देना चाहिए।”इस साल हमें सबसे अधिक बारिश हुई, जिससे नियमित काम बंद हो गया, जिसके परिणामस्वरूप चाय उद्योग को भारी नुकसान हुआ। हम सरकार से उद्योग को बचाने के लिए सकारात्मक कदम उठाने का अनुरोध कर रहे हैं।”
12 फीसदी योगदान
बता दें कि उत्तर बंगाल में अधिकांश चाय बागान नदियों के किनारे हैं और बारिश से प्रभावित हुए हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि पश्चिम बंगाल के उत्तरी क्षेत्रों का भारत के चाय उत्पादन में लगभग 12.50 फीसदी योगदान है। लोग उत्पादन के नुकसान के कारण सरकार से मदद की उम्मीद कर रहे हैं।