केंद्र सरकार: केंद्र सरकार ने आतंकवाद और नक्सलवाद की कमर तोड़ने की तैयारी कर ली है। सरकार आतंकवाद और नक्सलवाद की वित्तीय मदद करने वालों का उनकी संपत्ति से मालिकाना हक छीन लेगी। आतंकवाद से जुड़े लोगों के परिजन उनकी संपत्ति नहीं बेच सकेंगे।
चार हजार लोग बस गए पीओके
अधिकारिक सूत्रों की मानें तो आतंकवादी गतिविधियों को समर्थन देने के लिए लोग अपनी संपत्ति तक बेच देते हैं। गृह मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो जम्मू-कश्मीर में 4 हजार से अधिक लोग पीओके में जाकर बस गए।
उसके बाद उनके परिजन उस संपत्ति को बेच देते हैं। और संपत्ति की ब्रिकी से अर्जित पैसा आतंकी आकाओं को दे देते हैं। इनमें मकान, दुकान, जमीन, बैंक बैलेंस शामिल हैं।
भू-राजस्व अधिकारियों को मिलेंगे अधिकार
केंद्र सरकार संबंधित राज्य के भू-राजस्व अधिकारियों को अब यह अधिकार देने जा रही है वह ऐसी संपत्ति का रिकाॅर्ड रखें, जिसका असली मालिक खेती करने नहीं आता है। सात साल तक ऐसा होेने पर मालिक को मृत दिखाकर कलक्टर की अनुमति लेकर उसका नाम भू-रिकाॅर्ड से खारिज कर दिया जाएगा।
आतंकवाद में शामिल बहुत से लोग भूमिगत हैं। इनके नाम की संपत्ति को परिजनों या रिश्तेदारों द्वारा बेच दी जाती है। राज्य सरकारों से इस संबंध में सहमति ली जा रही है।
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