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Lord Buddha Story: ‘हर इंसान की 4 पत्नियां होनी चाहिए, चौथी पत्नी ही देती है अंत तक साथ’; जानें भगवान बुद्ध ने ऐसा क्यों कहा

Lord Buddha Story: भगवान बुद्ध ने एक बार अपने शिष्यों कहा कि हर इंसान की 4 पत्नियां होनी चाहिए और केवल चौथी पत्नी ही अंत तक साथ देती है. आइए समझते हैं कि भगवान बुद्ध ने यह बात क्यों कही और इसके पीछे कौन-सी कथा जुड़ी हुई है?

Author Written By: Shyamnandan Updated: Dec 9, 2025 15:41
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Lord Buddha Story: भगवान बुद्ध हमेशा सरल उदाहरणों और व्यावहारिक कहानियों से गहरी बातें समझाते थे. एक दिन उन्होंने अपने शिष्यों को एक कहानी सुनाई, जिसमें बताया कि हर इंसान के जीवन में चार पत्नियां हों चाहिए. यह बात सुनकर सभी हैरान रह गए. इस पर भगवान बुद्ध मुस्कुराए और बोले कि यह चार पत्नियां असल में हमारे जीवन के चार पहलू याचार साथी होते हैं, जिन्हें हम अक्सर पहचान ही नही पाते हैं. आइए जानते हैं, भगवान बुद्ध ने ऐसा क्यों कहा और इससे जुड़ी कथा क्या है?

मृत्यु के दरवाजे पर खड़ा एक आदमी

बहुत समय पहले की बात है, किसी नगर में एक व्यक्ति था. उसकी चार पत्नियां थीं. वह उन सभी का ख्याल रखता था, पर हर पत्नी के साथ उसका व्यवहार अलग था. एक दिन वह गंभीर रूप से बीमार हो गया. दिनों-दिन उसकी हालत बिगड़ती गई और उसे महसूस हुआ कि मृत्यु अब दूर नही. मरते समय उसके मन में डर पैदा हुआ, आखिर मृत्यु के बाद उसका साथ कौन देगा? इसी सवाल का जवाब जानने के लिए उसने एक-एक करके अपनी सभी पत्नियों को बुलाया.

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पहली पत्नी का जवाब

पहली पत्नी सबसे खूबसूरत थी. उस आदमी ने जीवनभर उसे प्यार दिया था. उसने कहा- ‘प्रिय, मैंने तुम्हारे लिए सब कुछ किया. क्या तुम मेरे साथ चलोगी?’ पहली पत्नी बोली, ‘मैं तुम्हें चाहती जरूर हूं, पर मृत्यु के पार नही जा सकती. भगवान बुद्ध ने समझाया कि पहली पत्नी हमारा शरीर है, जिसे हम सजाते हैं, सँवारते हैं, पर मृत्यु के बाद यह यहीं रह जाता है.

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दूसरी पत्नी का उत्तर

दूसरी पत्नी थोड़ी स्वार्थी स्वभाव की थी. उसने तुरंत कहा- ‘जब आपकी पहली पत्नी ने साथ नही दिया, तो मैं कैसे जा सकती हूं?’ भगवान बुद्ध ने बताया कि दूसरी पत्नी हमारा धन, भाग्य और संपत्ति है. जीवनभर हम इसे पाने की दौड़ में लगे रहते हैं, पर अंत में यह सब पीछे छूट जाता है.

रिश्ते सिर्फ चिता तक आते हैं!

तीसरी पत्नी ने दुखी स्वर में कहा, ‘मैं अंतिम समय में तुम्हारे साथ रहूंगी, तुम्हारे अंतिम संस्कार तक. पर इससे आगे नही.’ भगवान बुद्ध बोले, तीसरी पत्नी हमारे रिश्ते माता-पिता, भाई-बहन, मित्र और परिवार होते हैं. ये हमें रोते-बिलखते विदा तो करते हैं, पर मृत्यु की दहलीज पार नही कर सकते.

चौथी पत्नी कौन है?

चौथी पत्नी दासी जैसे जीवन जीती थी. आदमी ने कभी उसे महत्व नही दिया था. फिर भी उसने कहा- ‘मैं जहां भी जाओगे, तुम्हारे साथ रहूंगी. मैं तुमसे अलग नही हो सकती.’ भगवान बुद्ध ने बताया, चौथी पत्नी हमारा मन और हमारे कर्म हैं. हम उन्हें भले नजरअंदाज कर दें, पर वे हमारे हर जन्म, हर कदम के साथ चलते हैं.

इस कहानी की गहरी सीख

यह कहानी हमें याद समझाती है कि शरीर नश्वर है. धन-संपत्ति सिर्फ जीवन को आसान बनाते हैं, पर अंत में साथ नही जाते हैं. रिश्ते भावनाओं को सहारा देते हैं, पर मृत्यु के पार साथ नही देते हैं. मन और कर्म ही असली साथी हैं, जो हमेशा हमारे साथ चलते हैं. इसलिए भगवान बुद्ध ने कहा- ‘मन को स्वच्छ रखो, कर्म को सच्चा रखो, क्योंकि यही तुम्हारे सबसे भरोसेमंद साथी हैं.’

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Dec 09, 2025 03:41 PM

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