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कहानी उस जूते की, जो बिहार में बना, रूस में पहना गया और यूक्रेन में सुनाई दी धमक…आत्मनिर्भर भारत

आज के समय में भारत 100 से ज्यादा देशों को रक्षा उपकरण भेजता है। भारत में बने जूते रूसी सेना पहनती है। कई दूसरे देश भारत में बने हथियार इस्तेमाल करते हैं। रक्षा क्षेत्र में भारत न केवल आत्मनिर्भर बना है, बल्कि दूसरे देशों के हाथ भी मजबूत कर रहा है

Author Edited By : Neeraj Updated: Mar 26, 2025 14:03

रक्षा के मामले में भारत आत्मनिर्भर बन रहा है। किसी जमाने पर में हम अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए विदेशों पर निर्भर रहते थे और आज उनकी जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। भारत में बने जूते पहनकर रूसी सेना ने यूक्रेन में जंग लड़ी। यूरोप के कई देशों की सेनाओं के पास हमारे बनाए हथियार हैं। कुल मिलाकर रक्षा क्षेत्र में भारतीय कंपनियां कई देशों के हाथ मजबूत कर रहे हैं।

हाजीपुर में है फैक्ट्री

सबसे पहले बात करते हैं उस जूते की, जो बिहार में बना रूस में पहना गया और जिसकी धमक यूक्रेन में सुनाई दी। बिहार के हाजीपुर में स्थित कॉम्पिटेंस एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड इन जूतों को तैयार करती है। रूस के मौसम और सेना की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कंपनी खास तरह के सेफ्टी जूते तैयार करती है। ये ‘मेड इन इंडिया’ जूते रूसी सेना को इतने पसंद आए हैं कि कॉम्पिटेंस एक्सपोर्ट्स की ऑर्डरबुक लगातार मजबूत बनी हुई है। वैसे कंपनी केवल डिफेंस सेक्टर को ध्यान में रखकर ही जूते नहीं बनाती, वह फैशनेबल जूतों का भी प्रोडक्शन करती है।

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इसलिए खास हैं जूते

सैनिकों को पथरीले रास्तों से गुजरना होता है और लंबा चलना होता है। लिहाजा उनके जूते ऐसे होने चाहिए जो वजन में हल्के हों, लेकिन मजबूती दूसरों से अधिक। साथ ही जूते फिसलन-रोधी होने चाहिए, ताकि किसी दुर्घटना की आशंका को सीमित किया जा सके। इसलिए हर कंपनी के लिए इन्हें तैयार कर पाना संभव नहीं। कॉम्पिटेंस एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड ने रूस के मौसम सहित तमाम तरह का अध्ययन करने के बाद ऐसे जूते बनाए जो हल्के और फिसलन-रोधी हैं। उनके तलवे खास किस्म के होते हैं और वह माइनस 40 डिग्री सेल्सियस जैसी चरम मौसम स्थितियों का सामना करने में सक्षम हैं।

यूरोप से भी बातचीत

रूस में कंपनी के जूतों को अच्छा रिस्पॉन्स मिला है। कॉम्पिटेंस एक्सपोर्ट्स रूस के सबसे बड़े जूता निर्यातकों में से एक है। कंपनी ने 2018 में हाजीपुर यूनिट की शुरुआत की थी। कंपनी के सुरक्षा जूते फिलहाल सिर्फ रूसी सेना द्वारा ही इस्तेमाल किए जा रहे हैं, लेकिन यूरोपीय देश भी जल्द ऐसा कर सकते हैं। कंपनी इसके लिए यूरोपीय देशों के संपर्क में है। पिछले साल कंपनी के महाप्रबंधक शिव कुमार रॉय ने बताया था कि सुरक्षा जूतों का कुल निर्यात रूस के लिए है। हम धीरे-धीरे यूरोपीय बाजार की ओर बढ़ रहे हैं और जल्द ही घरेलू बाजार में भी इसे लॉन्च करेंगे।

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इन जूतों की भी डिमांड

इसके अलावा, हाजीपुर यूनिट से यूरोपीय बाजारों के लिए फैशनेबल जूते भी बनाए जाते हैं। इटली, फ्रांस, स्पेन और यूके कंपनी के ग्राहक हैं। कुछ वक्त पहले उसने बेल्जियम की एक कंपनी के साथ बातचीत भी शुरू की है। वैश्विक स्तर पर कॉम्पिटेंस एक्सपोर्ट्स की मजबूत पहचान से स्थानीय स्तर पर नौकरियां बढ़ी हैं। कंपनी स्थानीय स्तर पर फिलहाल 300 कर्मचारियों को रोजगार देती है, जिसमें से 70 प्रतिशत महिलाएं हैं। 2023 में कंपनी ने करीब 1.5 मिलियन जोड़े जूते (15 लाख) निर्यात किए थे, जिसकी कीमत 100 करोड़ रुपये है।

डिफेंस एक्सपोर्ट बढ़ा

अब वापस लौटते हैं डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भर बनने की कहानी पर। रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि अब 65% रक्षा उपकरण देश में ही बनते हैं। जबकि पहले इससे ज्यादा उपकरण विदेशों से खरीदे जाते थे। देश का रक्षा उत्पादन वित्त वर्ष 2023-24 में 1.27 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो 2014-15 की तुलना में 174 फीसदी अधिक है। इसी तरह, वित्त वर्ष 2023-24 में रक्षा निर्यात 21,083 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। भारत के रक्षा निर्यात में सालाना आधार पर 32.5% की बढ़ोतरी हुई है। वित्त वर्ष 2022-23 में यह 15,920 करोड़ रुपये था और वित्त वर्ष 2023-24 में बढ़कर 21,083 करोड़ रुपये पहुंच गया। आज के समय में भारत 100 से ज्यादा देशों को रक्षा उपकरण भेजता है।

इन कंपनियों का दबदबा

भारत के विविध निर्यात पोर्टफोलियो में बुलेटप्रूफ जैकेट, डोर्नियर (डो-228) विमान, चेतक हेलीकॉप्टर, तीव्र गति की इंटरसेप्टर नौकाएं और हल्के वजन वाले टारपीडो शामिल हैं। हमारी कई कंपनियां दूसरे देशों को हथियार और गोला-बारूद सप्लाई करती हैं। इसमें पीटीसी इंडस्ट्रीज, सोलर इंडस्ट्रीज इंडिया लिमिटेड, आजाद इंजीनियरिंग, डायनामैटिक टेक्नोलॉजीज लिमिटेड, माझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एण्ड इंजीनियर्स लिमिटेड आदि शामिल हैं। PTC पहले से ही यूरोपीय कंपनियों के लिए ऑर्डर पूरे करती रही है।

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Edited By

Neeraj

First published on: Mar 26, 2025 02:02 PM

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