Online Gaming in India: आज के समय में ऑनलाइन गेम का क्रेज काफी बढ़ चुका है। बच्चे से लेकर बड़े-बूढ़े गेम खेलना पसंद कर रहे हैं। कुछ लोगों के लिए ऑनलाइन गेम खेलना मनोरंजन का हिस्सा है तो कुछ के लिए गेमिंग एक शौक के साथ कमाई का जरिया भी बन चुका है। टेक्नोलॉजी सेक्टर में गेमिंग की एक अलग दुनिया बन चुकी है और कई इस दुनिया में रहना पसंद कर रहे हैं। हालांकि, चिंता की बात है कि ऑनलाइन गेमिंग अब कहीं न कहीं जुआ बन चुका है। इसकी न सिर्फ लोगों को लत लग चुकी है बल्कि लोगों को इससे घाटे का सामना भी करना पड़ रहा है।
गेमिंग सेक्टर में लोगों के क्रेज को देखने के साथ ऑनलाइन गेम के फायदे, नुकसान, संबंधित चुनौतियां और नीतियों पर गौर करते हुए नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिडिकल साइंसेज (NUJS) ने ‘Online Gaming in India: Technology, Policy, and Challenges’ नामक एक बुक लॉन्च की है। ये प्रोफेसर डॉ. शमीक सेन और प्रोफेसर डॉ. लवली दासगुप्ता द्वारा संपादित बुक है। किस तरह से दुनियाभर में ऑनलाइन गेमिंग का तेजी से विस्तार हो रहा है और दुनियाभर में इसका क्रेज बढ़ रहा है उस पर गौर करते हुए ‘भारत में ऑनलाइन गेमिंग: प्रौद्योगिकी, नीति और चुनौतियां’ नामक बुक को तैयार किया गया है।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के पूर्व अध्यक्ष श्री विक्रमजीत सेन और मद्रास और मेघालय उच्च न्यायालयों के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश श्री संजीब बनर्जी सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित थे। बुक की लॉन्चिंग के दौरान पैनल डिस्कशन में गेमिंग सेक्टर और अर्थव्यवस्था में इसके योगदान को लेकर चर्चा की गई।
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विक्रमजीत बनर्जी के अलावा पैनल डिस्कशन के लिए सॉलिसिटर जनरल, वाई.के. सिन्हा, भारत के पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त डॉ. यतन पाल सिंह बलहारा, मनोचिकित्सा के प्रोफेसर- एम्स नई दिल्ली अमृत किरण सिंह, संस्थापक अध्यक्ष- स्किल ऑनलाइन गेम्स इंस्टीट्यूट सुदीप्त भट्टाचार्य, पार्टनर- खेतान एंड कंपनी अर्ज्य बी मजूमदार, प्रोफेसर- जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल, और जय सयता, प्रौद्योगिकी और गेमिंग वकील शामिल थे। पैनल डिस्कशन के दौरान ऑनलाइन गेमिंग को लेकर अच्छी खासी बातचीत हुई।
गेमिंग सेक्टर का भारत की अर्थव्यवस्था में योगदान?
श्री अमृत किरण सिंह ने कहा कि गेमिंग एक नई इंडस्ट्री है जो भारत की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी उम्मीदों के साथ है। एक विकास के साथ ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर हो सकता है। ई-स्पोर्ट्स, वीडियो गेम्स, रियल मनी गेम्स और फ्री टू प्ले गेम्स आदि के साथ ये इंडस्ट्री बंटी हुई है। ऑनलाइन गेमिंग से भारत की अर्थव्यवस्था में योगदान हो सकता है। इस नई इंडस्ट्री से संबंधित नियम और चुनौतियों के बारे में किताब में लिखा गया है जो गेमिंग की ओर आपके नजरिये को बदल सकता है।
ऑनलाइन गेम क्या सच में Gambling?
पैनल डिस्कशन के दौरान ऑनलाइन गेम क्या गैम्बलिंग है? इस पर भी चर्चा की गई है जिसमें बताया गया कि कुछ प्लेटफॉर्म ने इसको मनोरंजन से गैम्बलिंग का हिस्सा बना दिया है। पब्जी, फ्री फायर या रमी जैसे गेम लोगों के लिए गैम्बलिंग का हिस्सा तब बन जाते हैं जब उनमें आप पैसे लगाने लगते हैं। इस पर सरकार की ओर से भी टैक्स लिया जाता है।
कमाई पर टैक्स लगना सही या नहीं?
गेमिंग के जरिए 100 रुपये या उससे ज्यादा जीतने पर टीडीएस का भुगतान शामिल है। ऑनलाइन गेमिंग से बोनस या किसी अन्य तरह का इंसेंटिव मिलता है तो वो भी टैक्सेबल रकम कहलाती है। अगर आप 150 रुपये लगाकर 200 रुपये जीत रहे हैं तो आपको कोई टैक्स नहीं चुकाना होगा, लेकिन 150 रुपये लगाकर 250 रुपये जीतने पर 28% जीती हुई रकम का पैसा देना होता है। गेमर को पैसे लगाने पर जितना मुनाफा नहीं हुआ उतना अगर चुकाना पड़ेगा तो टैक्स लगना सही नहीं है, लेकिन अगर मोटी कमाई आ रही है और वो गेमिंग ऐप से सीधा गेमर के अकाउंट में आती है तो उस पर टैक्स लगने में कोई बुराई भी नहीं है क्योंकि ये गेमर की कमाई का जरिया है जो भारत की अर्थव्यवस्था में योगदान का हिस्सा हो सकता है।
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