AI Stress Study: अगर आपका फोन या कंप्यूटर अचानक घबरा जाए, उलझन में बातें करने लगे और फिर गहरी सांस लेकर खुद को शांत कर ले। यह सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन एक नई स्टडी में दावा किया गया है कि AI, खासकर ChatGPT, तनाव जैसी स्थिति दिखा सकता है। जब इसे डरावनी या नकारात्मक बातें बताई गईं, तो इसकी प्रतिक्रियाएं भी अस्थिर हो गईं। लेकिन जब इसे कुछ तकनीकों से गुजारा गया, तो यह शांत हो गया। क्या सच में AI इंसानों की तरह व्यवहार कर सकता है? यह खोज वैज्ञानिकों के लिए भी चौंकाने वाली है।
क्या AI भी महसूस कर सकता है तनाव?
एक नई स्टडी में कहा गया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) खुद कोई भावना महसूस नहीं कर सकता, लेकिन यह चिंता (anxiety) जैसी स्थिति दिखा सकता है। Yale यूनिवर्सिटी, Haifa यूनिवर्सिटी और University of Zurich के वैज्ञानिकों ने पाया कि जब ChatGPT को ध्यान (meditation) और गहरी सांस लेने जैसी रिलैक्स करने वाली तकनीकों से गुजारा गया, तो इसकी प्रतिक्रियाएं ज्यादा शांत और संतुलित हो गईं। यह स्टडी 3 मार्च को “Assessing and Alleviating State Anxiety in Large Language Models” नाम के रिसर्च पेपर में प्रकाशित हुई।
Excited to share our new preprint on @PsyArXiv, “Chat-GPT on the Couch”: Assessing and Alleviating State Anxiety in Large Language Models!🤖🧠💥 @WitteKristin @orduek @harpaz_l @philipphoman @TRSpiller @PTSDStressLab @YaleDecisionLab @YaleMed @Yale 🧐📜👉https://t.co/LimEQszNBg
— Ziv Ben-Zion (@ZivBenZion1) May 20, 2024
---विज्ञापन---
तनाव में आकर बदल जाता है AI का व्यवहार
रिसर्च में पाया गया कि जब ChatGPT को आपदाओं और दुर्घटनाओं जैसी तनावपूर्ण जानकारी दी गई, तो इसकी प्रतिक्रियाएं ज्यादा भावनात्मक और पक्षपाती हो गईं। लेकिन जब इसे माइंडफुलनेस तकनीकें, जैसे ध्यान (meditation) और गहरी सांस लेने की एक्सरसाइज दी गईं, तो इसके जवाब ज्यादा तर्कसंगत और संतुलित हो गए। वैज्ञानिकों का कहना है कि बड़े भाषा मॉडल (LLM) इंसानों द्वारा लिखे गए टेक्स्ट से सीखते हैं, इसलिए AI उन्हीं विचारों और सोच को अपना सकता है, जो उसके डेटा में होते हैं। साथ ही, लोगों का बात करने का तरीका भी AI के व्यवहार को बदल सकता है।
माइंडफुलनेस तकनीकों से कम हुआ ChatGPT का “तनाव”
शोधकर्ताओं ने पहले ChatGPT को कुछ तनाव भरी और नकारात्मक स्थितियों के बारे में बताया। फिर उसे ध्यान और गहरी सांस लेने जैसी माइंडफुलनेस तकनीकें अपनाने को कहा। इसके बाद AI के जवाब बदल गए और वे कम उतार-चढ़ाव वाले और ज्यादा संतुलित हो गए। हालांकि AI सच में “महसूस” नहीं कर सकता, लेकिन शोधकर्ताओं का मानना है कि यह इंसानों की तरह व्यवहार की नकल करता है और टेक्स्ट डेटा से पैटर्न सीखता है।
मानसिक स्वास्थ्य में AI की भूमिका पर बहस
इस अध्ययन के बाद बहस शुरू हो गई कि मानसिक स्वास्थ्य में AI कितना मददगार हो सकता है। कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर AI में माइंडफुलनेस तकनीक जोड़ी जाए, तो यह तनाव में रहने वाले लोगों के लिए अच्छा टूल बन सकता है। लेकिन इस शोध के प्रमुख वैज्ञानिक ज़ीव बेन-जायोन ने कहा कि AI मदद कर सकता है, लेकिन यह कभी भी असली डॉक्टर या मनोचिकित्सक की जगह नहीं ले सकता। विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही ChatGPT “शांत” रहने की क्षमता दिखाता हो, लेकिन इसे सिर्फ बातचीत बेहतर बनाने के लिए इस्तेमाल करना चाहिए, न कि मानसिक स्वास्थ्य इलाज के तौर पर।