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Explainer: अहमदाबाद प्लेन क्रैश की जांच करने क्यों आईं विदेशी एजेंसियां, जानिए क्या है इसके पीछे का कारण?

Ahmedabad Plane Crash: 12 जून को हुए एअर इंडिया विमान क्रैश की जांच करने के लिए विदेशी एजेंसियां भी आई हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्या है कि भारत में हुए हादसे की जांच करने विदेशी एजेंसियों का आना पड़ा?

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Mohit Tiwari Updated: Jun 17, 2025 23:16
Ahmedabad Plane Crash
क्यों जांच करने आईं विदेशी एजेंसियां?

Ahmedabad Plane Crash: 12 जून को एअर इंडिया की फ्लाइट नंबर 171 अहमदाबाद में क्रैश हो गई थी। इस भयानक हादसे में विमान में सवार यात्रियों और क्रू मेंबर्स समेत 241 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं, 1 व्यक्ति की विश्वास कुमार रमेश इस हादसे में जीवित बचा है। हादसे के तुरंत बाद इमरजेंसी सर्विसेज मौके पर पहुंचीं। वहीं, 15 जून रविवार को कुछ ऐसा हुआ, जो कई भारतीयों के लिए हैरानी की बात हो सकती है। इस दिन कई अंतरराष्ट्रीय विमानन एजेंसियां हादसे की जांच के लिए अहमदाबाद पहुंचीं। इनमें अमेरिका की सबसे बड़ी ट्रांसपोर्ट हादसा जांच एजेंसी नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड (NTSB), अमेरिका की सिविल एविएशन रेगुलेटर फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) और यूनाइटेड किंगडम की सिविल एविएशन अथॉरिटी (CAA) शामिल थीं।

यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर भारत में हुए एक भारतीय एयरलाइन के हादसे की जांच में विदेशी एजेंसियां क्यों शामिल हैं? क्या भारत की अपनी जांच एजेंसियां इस काम के लिए काफी नहीं हैं? आइए जानते हैं इसके पीछे क्या कारण है।

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78 साल पहले हुआ था समझौता

साल 1944 में, जब दूसरा विश्व युद्ध अपने अंतिम दौर में था तब दुनिया के कई देशों ने एक बड़ा फैसला लिया। उन्होंने समझा कि हवाई यात्रा भविष्य में दुनिया को जोड़ेगी और इसे सुरक्षित बनाने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा। इसी सोच के साथ कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल सिविल एविएशन पर हस्ताक्षर किए गए। इसे शिकागो कन्वेंशन के नाम से भी जाना जाता है। यह समझौता आज भी हवाई यात्रा के नियम-कायदों को तय करता है।

इस समझौते को लागू करने का जिम्मा इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन (ICAO) के पास है, जो संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी है और कनाडा के मॉन्ट्रियल में इसका हेडक्वार्टर है। भारत, अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम समेत 193 देश इसके सदस्य हैं और इसके नियमों को मानने के लिए बाध्य हैं। इन नियमों में सबसे अहम हिस्सा है एनेक्स 13 है, जो विमान हादसों और गंभीर घटनाओं की जांच के लिए गाइडलाइंस देता है। इसका मकसद किसी को दोषी ठहराना या सजा देना नहीं, बल्कि हादसे की वजह ढूंढकर भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकना है।

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जांच में कौन-कौन हो सकता है शामिल?

शिकागो कन्वेंशन के एनेक्स 13 के चैप्टर 5 में साफ लिखा है कि विमान हादसे की जांच की मुख्य जिम्मेदारी उस देश की होती है, जहां हादसा हुआ है। इसे स्टेट ऑफ ऑक्युरेंस कहा जाता है। इस मामले में एअर इंडिया का विमान अहमदाबाद में क्रैश हुआ, इसलिए भारत इस जांच का नेतृत्व कर रहा है। भारत के सिविल एविएशन मंत्रालय के तहत काम करने वाला एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) इस जांच की अगुवाई कर रहा है। AAIB का काम है हादसे के हर पहलू की गहराई से जांच करना ताकि सही वजह सामने आए।

हालांकि यह जांच सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। शिकागो कन्वेंशन के नियमों के मुताबिक इस जांच में कुछ और देशों को भी शामिल होने का अधिकार है। ये देश वो हैं, जिनका हादसे से कोई न कोई कनेक्शन हो।

स्टेट ऑफ रजिस्ट्री

पहला है स्टेट ऑफ रजिस्ट्री। यह वो देश होता है, जहां विमान रजिस्टर्ड होता है। हर विमान का एक रजिस्ट्रेशन नंबर होता है, जो यह बताता है कि वह किस देश का है। एयर इंडिया के विमानों के रजिस्ट्रेशन नंबर ‘VT’ से शुरू होते हैं, जो भारत का कोड है। इस हादसे में शामिल विमान भारत में रजिस्टर्ड था, इसलिए स्टेट ऑफ रजिस्ट्री भी भारत है।

स्टेट ऑफ ऑपरेटर

दूसरा है स्टेट ऑफ ऑपरेटर। यह वो देश होता है, जहां उस एयरलाइन का मुख्य ऑफिस या बिजनेस होता है, जो विमान चला रही थी। इस हादसे में एयरलाइन एअर इंडिया थी, जो एक भारतीय कंपनी है। इस कारण स्टेट ऑफ ऑपरेटर भी भारत है।

स्टेट ऑफ डिजाइन

तीसरा है स्टेट ऑफ डिजाइन और स्टेट ऑफ मैन्युफैक्चर। ये वो देश होते हैं, जहां विमान को डिजाइन किया गया और बनाया गया हो। इस मामले में, क्रैश हुआ विमान बोइंग कंपनी का था और इसके इंजन जनरल इलेक्ट्रिक ने बनाए थे। दोनों ही अमेरिकी कंपनियां हैं। इस कारण स्टेट ऑफ डिजाइन और स्टेट ऑफ मैन्युफैक्चर अमेरिका है। यही वजह है कि अमेरिका की दो बड़ी एजेंसियां नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड (NTSB) और फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) इस जांच में शामिल हैं। NTSB अमेरिका की सबसे बड़ी हादसा जांच एजेंसी है, जो तकनीकी विशेषज्ञता के लिए जानी जाती है। FAA सिविल एविएशन को रेगुलेट करती है और सुरक्षा मानकों को लागू करती है। इसके अलावा, बोइंग और जनरल इलेक्ट्रिक जैसी कंपनियां भी अपने तकनीकी विशेषज्ञ NTSB की टीम के साथ भेज सकती हैं ताकि जांच में उनकी मदद ली जा सके।

जिस देश के नागरिक बने हों हादसे का शिकार

चौथा वो देश इस मामले की जांच के लिए अपनी एजेंसी भेज सकता है, जिसके नागरिक हादसे का शिकार हुए हैं। एअर इंडिया की फ्लाइट AI 171 में 53 ब्रिटिश नागरिक सवार थे, जो इस हादसे में मारे गए। इस कारण यूनाइटेड किंगडम की सिविल एविएशन अथॉरिटी (CAA) भी जांच में शामिल है। यह नियम सुनिश्चित करता है कि जिन देशों के लोग हादसे का शिकार हुए, उन्हें भी पूरी जानकारी मिले और वे जांच में योगदान दे सकें।

क्या होती है जांच?

जांच में शामिल सभी पक्षों को कई अधिकार दिए गए हैं। वे क्रैश साइट पर जा सकते हैं, मलबे की जांच कर सकते हैं, सबूत इकट्ठा कर सकते हैं, तकनीकी सुझाव दे सकते हैं और जांच की आखिरी रिपोर्ट पा सकते हैं। जैसे बोइंग के विशेषज्ञ यह देख सकते हैं कि विमान के डिजाइन या सिस्टम में कोई खराबी तो नहीं थी। जनरल इलेक्ट्रिक के इंजीनियर इंजनों की जांच कर सकते हैं। NTSB और FAA जैसे संगठन अपने अनुभव और तकनीकी ज्ञान से जांच को और मजबूत कर सकते हैं। यही नहीं, यूके की CAA भी अपने विशेषज्ञों के जरिए यह सुनिश्चित करेगी कि जांच पूरी तरह पारदर्शी हो और सभी जरूरी पहलुओं को कवर किया जाए।

क्यों जरूरी हैं बाहरी जांच एजेंसियां?

आपको लग सकता है कि विदेशी एजेंसियों का भारत में होने वाले हादसे की जांच में शामिल होना एक तरह की दखलंदाजी है लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। यह एक व्यावहारिक जरूरत है, जो आज की ग्लोबल दुनिया में और भी अहम हो गई है। आज का विमानन उद्योग पूरी तरह से वैश्विक है। एक ही मॉडल का विमान दुनिया के कई देशों में उड़ता है। इसके पुर्जे अलग-अलग देशों में बनते हैं और डिजाइन में कई देशों की कंपनियां शामिल होती हैं। अगर भारत में हुए हादसे की वजह से कोई तकनीकी खामी पकड़ी जाती है तो वह जानकारी दुनिया के हर कोने में उस मॉडल के विमानों को सुरक्षित बनाने में मदद कर सकती है।

जैसे अगर अहमदाबाद में हुए इस हादसे में बोइंग के विमान में कोई डिजाइन की कमी पाई जाती है तो वह जानकारी इंडोनेशिया, जापान या ऑस्ट्रेलिया में उड़ रहे उसी मॉडल के विमानों को ठीक करने में काम आ सकती है। अगर इंजन में कोई खराबी पकड़ी जाती है, तो जनरल इलेक्ट्रिक उसका समाधान निकाल सकता है, जिससे दुनिया भर में उड़ान भर रहे विमानों की सुरक्षा बढ़ेगी।

इसके अलावा, हादसे की जांच एक जटिल प्रक्रिया है। इसमें मलबे का विश्लेषण, फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (ब्लैक बॉक्स) की जांच, और कई तकनीकी पहलुओं का अध्ययन शामिल होता है। विदेशी एजेंसियां अपने अनुभव और विशेषज्ञता के साथ इस प्रक्रिया को और मजबूत करती हैं। NTSB जैसी एजेंसी ने दशकों तक सैकड़ों हादसों की जांच की है और उनके पास ऐसी तकनीकी क्षमता है, जो जांच को सटीक और तेज बनाने में मदद करती है।

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First published on: Jun 17, 2025 11:16 PM

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