America Taiwan: अमेरिका और चीन के बीच ग्लोबल लीडर बनने और वर्चस्व की जंग चल रही है। यहां तक कि चीन ने यूनाइटेड नेशंस (UN) की टक्कर का एक अलग समूह भी बना दिया है। जिसमें 33 देशों को शामिल किया गया है। वहीं अमेरिका भी कम नहीं है। वह चीन से पंगा लेने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहता। अब अमेरिका ने 2.31 करोड़ की आबादी वाले एक देश को हथियार देने का फैसला लिया है। आइए आपको बताते हैं वो देश कौनसा है और अमेरिका ने ये फैसला क्यों लिया है?
हथियारों की बिक्री बढ़ाने की प्लानिंग
दरअसल, अमेरिका ताइवान के लिए हथियारों की बिक्री बढ़ाना चाहता है। रॉयटर्स ने दो अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से कहा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका ताइपे को हथियारों की बिक्री को बढ़ाने की योजना बना रहा है, ताकि चीन को रोका जा सके, क्योंकि वह स्वतंत्र द्वीप पर सैन्य दबाव बढ़ा रहा है। बता दें कि चीन ताइवान को स्वतंत्र देश नहीं मानता, लेकिन कई देशों ने उसे एक राष्ट्र के रूप में मान्यता दी है। ताइवान की सुरक्षा को लेकर अमेरिका खुलकर समर्थन करता रहा है। एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने पहले कार्यकाल से भी अधिक स्तर तक सैन्य सहायता देने की योजना बनाई है।
अमेरिका-चीन के बीच टेंशन बढ़ने की आशंका
अगर अमेरिका ताइवान के लिए हथियारों की बिक्री में तेजी लाता है तो इससे यूएस-चीन के तनावपूर्ण संबंधों में नई खटास भी आएगी। दोनों देश ताइवान को लेकर पहले ही एक-दूसरे के दुश्मन बने बैठे हैं। अमेरिका की योजना है कि अगले चार साल में ताइवान को हथियारों की बिक्री बढ़ाई जाए। अधिकारियों ने यह भी कहा कि अमेरिका ने ताइवान के विपक्षी दलों के सदस्यों पर दबाव भी डाला है। अमेरिका ने उनसे कहा है कि वे डिफेंस बजट को 3% तक बढ़ाने के सरकार के प्रयासों का विरोध न करें।
ट्रंप प्रशासन कर चुका है 1.50 लाख करोड़ के हथियारों की बिक्री
रॉयटर्स के अनुसार, पहले ट्रम्प प्रशासन ने ताइवान को लगभग 18.3 बिलियन डॉलर (करीब 1.50 लाख करोड़) के हथियारों की बिक्री को मंजूरी दी थी, जबकि जो बाइडेन के कार्यकाल के दौरान यह लगभग 8.4 बिलियन डॉलर (करीब 71 हजार करोड़) थी। बता दें कि अमेरिका ताइवान का सबसे महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय समर्थक और हथियार सप्लायर है। हालांकि चुनाव अभियान के दौरान ट्रम्प का ताइवान को लेकर अलग रुख देखने को मिला था। ट्रंप ने ताइवान को अपनी सुरक्षा के लिए भुगतान करने और ताइवान पर अमेरिकी सेमीकंडक्टर कारोबार को चुराने का भी आरोप लगाया था। ट्रंप के बयानों के बाद ताइवान की टेंशन बढ़ गई थी, हालांकि अब उनके रुख से ये चिंता दूर होती नजर आ रही है।
अधिकारियों ने क्या कहा?
एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा- हम ताइवान के साथ मिलकर हथियार खरीद पैकेज पर काम कर रहे हैं। वहीं ताइवान के राष्ट्रपति कार्यालय के प्रवक्ता वेन ली ने कहा- ताइवान का लक्ष्य सैन्य प्रतिरोध को बढ़ाना है, साथ ही अमेरिका के साथ अपने सुरक्षा सहयोग को और गहरा करना है।
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नए हथियार पैकेज में क्या होगा?
रिपोर्ट के अनुसार, नए हथियार पैकेजों में मिसाइल, युद्ध सामग्री और ड्रोन पर फोकस होगा। अमेरिका को उम्मीद है कि इससे तनाव के बीच चीन की ओर से किसी भी सैन्य कार्रवाई को विफल करने में ताइवान की संभावनाओं को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।
अमेरिका के लिए ताइवान क्यों है जरूरी?
ताइवान से चीन 180 किलोमीटर दूर है। सामरिक रूप से ताइवान को अमेरिका अपने लिए काफी उपयोगी मानता है। अमेरिका का मानना है कि चीन का ताइवान पर प्रभुत्व होने की स्थिति में पश्चिमी प्रशांत महासागर में उसका दबदबा बढ़ जाएगा। इससे गुआम और हवाई द्वीपों पर अमेरिकी सैन्य ठिकाने के लिए इससे खतरा बढ़ सकता है। हाल ही में अमेरिकी प्रशांत क्षेत्र गुआम की गवर्नर ने ताइवान की यात्रा भी की थी।
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सैन्य योजनाकार आमतौर पर गुआम को अपने युद्ध अभ्यास में शामिल करते हैं क्योंकि इसमें बड़ी संख्या में अमेरिकी सैनिक और सैन्य उपकरण शामिल होते हैं। खास बात यह है कि ताइवान और अमेरिका के बीच कोई सैन्य संधि या राजनयिक संबंध नहीं हैं, फिर भी अमेरिका के लिए ताइवान बेहद महत्वपूर्ण है। वह ताइवान के जरिए किसी भी चीनी हमले का जवाब देने और गुआम को कई ऑपरेशनों के लिए एक मंच के रूप में उपयोग करने की उम्मीद करता रहा है। इस द्वीप पर अमेरिकी सेना की सभी मुख्य शाखाओं के लगभग 9,700 सदस्य हैं।
USA is 10 000 miles away from Taiwan. They have no business interfering! Taiwan belongs to CHINA! pic.twitter.com/AYh0qJTYOa
— African (@ali_naka) May 31, 2025
गुआम इसलिए है महत्वपूर्ण
गुआम फिलीपींस के पूर्व में स्थित है। यह चीन से लगभग 4750 किलोमीटर दूर है। अहम बात यह है कि ये द्वीप चीनी बैलिस्टिक मिसाइलों की रेंज में है। इसमें पनडुब्बियों से दागी जाने वाली मिसाइलें भी शामिल हैं। गुआम को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से ही एक महत्वपूर्ण मिलिट्री बेस माना जाता है। यहां एंडरसन एयर फोर्स बेस मौजूद है। यहां नेवी की भी उपस्थिति है। लगभग 30 प्रतिशत क्षेत्र पर यूएस मिलिट्री इंस्टॉलेशन है।
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अमेरिका ने दुनिया को किया आगाह
इस बीच अमेरिका के रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ का सिंगापुर के सांगरी-ला डायलॉग में बयान चर्चा में है। उन्होंने कहा कि चीन 2027 में ताइवान पर हमला करने की तैयारी कर रहा है। हालांकि हिंद-प्रशांत क्षेत्र और पूरे विश्व के लिए इसके भयंकर दुष्परिणाम होंगे। अमेरिका ने इसके साथ ही अपने एशियाई सहयोगी देशों को आगाह भी किया है। अमेरिका ने कहा है कि वे अपना रक्षा खर्च बढ़ाकर अपनी सेनाओं को मजबूत करें।
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