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क्या है Green Line? Cyprus में जिसे देखने पहुंचे PM Modi, उड़े तुर्की के होश!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साइप्रस में ग्रीन लाइन का दौरा कर तुर्की को बड़ा संदेश दिया है। यह वही बफर जोन है जो 1963 में ग्रीक और तुर्की साइप्रस के बीच हिंसा के बाद UN ने बनाया था। साइप्रस ने भी भारत के आतंकवाद विरोधी रुख का समर्थन किया है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Avinash Tiwari Updated: Jun 16, 2025 21:50
Green Line Cyprus
साइप्रस में ग्रीन लाइन का दौरा करने पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी के साथ साइप्रस के राष्ट्रपति और तुर्की के प्रधानमंत्री (फोटो सोर्स- ANI and Narendramodi/X)

PM Modi Visit Green Line Cyprus : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन देशों की यात्रा पर हैं। वह 15 जून को साइप्रस पहुंचे। इसके बाद वह जी-7 शिखर सम्मेलन के लिए कनाडा और फिर क्रोएशिया भी जाने वाले हैं। हालांकि, उनकी साइप्रस यात्रा की चर्चा अधिक हो रही है। 20 साल बाद भारत का कोई प्रधानमंत्री साइप्रस के दौरे पर गया है। जब मोदी साइप्रस गए, तो वह Green Line देखने भी पहुंचे, जिसे बफर जोन भी कहा जाता है।

सबसे पहले आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का साइप्रस का यह दौरा बेहद अहम क्यों माना जा रहा है। दरअसल, हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद जब भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष चल रहा था, तब तुर्की ने पाकिस्तान का समर्थन दिया था। ऐसे में कई लोग इस दौरे को तुर्की के लिए एक रणनीतिक संकेत के रूप में देख रहे हैं।

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क्या है Green Line?

साइप्रस पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस के साथ ग्रीन लाइन पहुंचे थे, जिसे बफर जोन भी कहा जाता है। ग्रीन लाइन इस द्वीप के लगभग 3% हिस्से को कवर करती है और लगभग 180 किमी तक फैली है। इस ग्रीन लाइन की चौड़ाई कुछ मीटर से लेकर कई किलोमीटर तक फैली हुई है।


बफर जोन (Green Line) के कई हिस्सों में लोग बसे हुए हैं और खेती करते हैं। माना जाता है कि यहां करीब 10,000 से अधिक लोग रहते हैं या काम करते हैं। बफर जोन के एक तरफ ग्रीक साइप्रस और दूसरी तरफ तुर्की साइप्रस के लोग रहते हैं, लेकिन बफर जोन के पूर्वी क्षेत्र में स्थित पाइला गांव में दोनों समुदायों के लोग एक साथ रहते हैं। जब दोनों समुदायों के बीच लड़ाई छिड़ गई और हिंसा फैल गई थी तो दोनों तरफ के कई लोग मारे गए थे। तब 1963 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस बफर जोन की स्थापना की गई थी।

क्यों छिड़ी थी लड़ाई?

अगस्त 1960 में साइप्रस को ब्रिटेन से आजादी मिली थी, लेकिन 1963 तक ग्रीक साइप्रस और तुर्की साइप्रस के नेता अपने नए संविधान को लागू करने को लेकर भिड़ते रहे। धीरे-धीरे स्थिति बिगड़ती गई और फिर देश में लड़ाई शुरू हो गई। इस लड़ाई को रुकवाने के लिए ब्रिटेन ने दखल दिया और फिर ब्रिटिश उच्चायोग में कई बैठकें आयोजित की गईं।

30 दिसंबर 1963 को जनरल यंग के खुफिया अधिकारी मेजर माइकल पेरेट-यंग ने कई अलग-अलग रंगों में चाइनाग्राफ निकाला। ग्रीक ध्वज नीले रंग का है और तुर्की के झंडे का रंग लाल है। इसके बाद जनरल ने संघर्ष विराम रेखा को दर्शाने के लिए हरे रंग का उपयोग किया था। हालांकि, इस रेखा के बाद भी संघर्ष बंद नहीं हुआ था।

16 अगस्त 1974 को हुई थी युद्धविराम की घोषणा

दोनों समुदायों के बीच समय-समय पर संघर्ष होता रहा। इसके बाद 15 जुलाई 1974 को ग्रीक अधिकारियों के कहने पर नेशनल गार्ड ने साइप्रस सरकार के खिलाफ तख्तापलट कर दिया। इसके ठीक पांच दिन बाद, तुर्की सरकार ने सैन्य अभियान शुरू कर दिया। इसके परिणामस्वरूप लड़ाई छिड़ गई और देश एक बार फिर टुकड़ों में बंट गया। इसके बाद 16 अगस्त 1974 को युद्धविराम की घोषणा की गई और संयुक्त राष्ट्र ने सैन्य रेखाओं के स्थान को दर्ज किया, जिसके बाद इस बफर जोन की स्थापना हुई थी। इसे हरे रंग से दर्शाए जाने के कारण ही इसे ग्रीन लाइन कहा जाता है।

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चूंकि यह विवाद तुर्की और साइप्रस के बीच है, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मामले में साइप्रस का साथ देने की बात कहकर तुर्की को झटका दिया है। वहीं, साइप्रस ने आतंकवाद के मुद्दे पर भारत का समर्थन किया था। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को साइप्रस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस तृतीय’ से भी सम्मानित किया गया।

First published on: Jun 16, 2025 09:50 PM

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