अक्सर हम सुनते हैं कि मानसून आ गया है या कभी प्री-मानसून एक्टिविटी शुरू हो गई हैं। इसको लेकर आप क्या सोचते हैं? दरअसल, भारत में अक्सर भारी बारिश भी होती है और कभी हल्की भी होती है। मानसून की वजह से हफ्तों-हफ्तों तक बारिश होती रहती है। देखा जाए तो बारिश मानसून से जुड़ी होती है। जब हवा का रुख बदलता है तो इससे ही मानसून आता है। मानसून का मतलब क्या है और ये शब्द कहां से आया है। मानसून वर्ड भी अरबी से आया है, जिसका मतलब मौसिम है और इसका मतलब मौसम होता है।
मानसून के आने का कारण क्या है?
जब-जब हम मौसम में बदलाव देखते हैं तो इसके पीछे हवाएं जुड़ी होती है। अगर हवा बदलती है तो इसके पीछे का कारण धरती और पानी का तापमान बदलने से जुड़ा है, क्योंकि दोनों का ही तापमान अलग-अलग होता है। अगर सरल भाषा में समझा जाए तो गर्मियों शुरू होते ही तेज गर्म होती है। वहीं मानसून की हवाएं हमेशा ठंडी से गर्म होती हैं। गर्मियों में मिट्टी से आने वाली गर्मी हवाएं गर्म बनाती हैं। इससे इसका डायरेक्शन भी बदलता है। मानसून आता है और अपने साथ बारिश भी लेकर आता है। जब समुद्र का तापमान और प्रेशर बनता है, इससे मानसून का आगमन शुरू हो जाता है।
मानसून के आने के पीछे ये कारण हैं?
गर्मियों में सूरज की गर्मी से हवा गर्म हो जाती है, जबकि समुद्र के मुकाबले ठंडा रहता है। इससे जमीन पर लो प्रेशर एरिया बनता है, क्योंकि गर्म हवा हल्की होने के बाद ऊपर की और जाती है। वहीं , दूसरी ओर, इंडियन ओसियन में हाई प्रेशर होता है। क्योंकि सी लेयर ठंडी रहती है, तो इसमें हवाएं हाई से लो प्रेशर की ओर बहने लगती हैं। यही बाद में जाकर साउथ वेस्ट डायरेक्शन से हवाएं भारत की ओर बढ़ती हैं। भारत में ज्यादातर मानसून केरल से शुरू होता है और फिर ये बारिश के रूप में हर जगह बरसता है। फिर धीरे-घीरे हर राज्य में प्री मानसून एक्टिविटी के रूप में आता है।
मानसून कैसे इकोनॉमी पर असर करता है?
मानसून भारत की इकोनॉमी पर काफी असर डालता है। ये हमारे किसानों के लिए बहुत जरूरी होता है। देखा जाए तो खेती के लिए बैक-बोन मानी जाती है। क्योंकि आधी से ज्यादा खेती बारिश पर निर्भर होती है। कभी-कभी मानसून देर से आने पर बाढ़ का कारण भी बनता है। इससे किसानों को नुकसान भी झेलना पड़ता है। इसके अलावा क्लाइमेट चेंज, ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से भी मानसून में बदलाव होता है। यही कारण कभी-कभी हमारी इकोनॉमी पर भी असर डालता है।
मानसून का पता किन-किन सोर्स से लगा सकते हैं?
- मौसम उपग्रह (Satellites)
- रडार और मौसम स्टेशन (Radar and Weather Station)
- मौसम मॉडल (Weather Models)
- भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD)
- वायुमंडलीय डेटा (Atmospheric Data)