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राम अरुण कास्त्रो की फिल्म Harkara ने मचाया धमाल, बटोर रही सुर्खियां

फिल्म की कहानी एक काली नामक पोस्ट मैन से शुरू होती है जिसकी तैनाती एक सुदूर आदिवासी गाँव में है, जहाँ शहरों की तरह सुख सुविधाओं का पूरी तरह अभाव है।

Author Edited By : News24 हिंदी Updated: Nov 15, 2023 23:20
Harkara Movie
Harkara Movie

Harkara : कहानियों से इतर हमें फिल्मों में एक्शन, स्टारडम, म्यूजिक,इत्यादि चीजें भी फिल्म देखने के लिए प्रभावित करती हैं। लेकिन क्या कभी सिर्फ कहानी के सहारे ही कोई फिल्म कामयाब वो भी मौजूदा ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर, कम ही देखने को मिलता है। जवान,जेलर लियो जैसी बड़े बैनर और स्टारडम से भरपूर फिल्मों की मौजूदगी में राम अरुण कास्त्रो की फिल्म हरकारा अच्छी रेटिंग बटोर रही है। सामान्य कलाकारों और सीमित बजट में बनी ये फिल्म साबित कर रही है कि एक बेहतर कहानी आज भी फिल्म की सबसे मजबूत कुंजी है। अगर अभी तक आपने नहीं देखी तो फौरन देख डालिए क्यूंकि इसमें आपका अब डाकिए को लेकर नजरिया बदलने वाला है।

फिल्म की कहानी एक काली नामक पोस्ट मैन से शुरू होती है जिसकी तैनाती एक सुदूर आदिवासी गाँव में है, जहाँ शहरों की तरह सुख सुविधाओं का पूरी तरह अभाव है। यही नहीं गाँव वालों का व्यवहार भी काली को काफी खिन्न करता है और वो यहां से किसी भी तरह ट्रांसफर लेने की जुगत में लग जाता है लेकिन कहानी का मुख्य मोड़ तब आता है जब काली को गाँव का एक व्यक्ति मधेश्वरा भगवान की कहानी सुनाता है। मधेश्वरा पहले ब्रिटिश हुकूमत में एक डाकिया था और उसे अंग्रेजों पर अटूट विश्वास होता है।

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लेकिन जब उसे अंग्रेजों के असली मकसद के बारे में पता चलता है तो वो उनके खिलाफ विद्रोह कर देता है। इसमें उसकी जान भी चली जाती है। गाँव वालों के मुताबिक मधेशरन ने ग्रामीणों को गुलामी से बचाने के लिए अपने प्राण दिए हैं इसलिए उसे लोग भगवान की तरह पूजते हैं। इसके बाद काली का दिल बदल जाता है और वो गाँव वालों के साथ खुश हो जाता है। फिल्म में भले कोई बड़ा सुपर स्टार न हो, बावजूद इसके फिल्म की कहानी शुरू से अंत तक दर्शकों को बांधे रखती है। बाकी जब आप फिल्म देखेंगे तो आप भी इससे अटैच हो जाएंगे।

फिल्म में भले ही कोई बहुत एक्शन नहीं है लेकिन जंगल और पिछड़े इलाकों में ग्रामीणों का जीवन किस प्रकार था उसे बखूबी अदा किया है। मधेश्वरन की पत्नी दुर्गा ने छोटे रोल में भी प्रभावित किया है। इसके अलावा गाँव में गणेश का किरदार करने वाला बालू बोस ने भी अपने अभिनय से प्रभावित किया है। इसके अलावा फिल्म में ग्रामीण पृष्ठ भूमि में जितने भी किरदार गढ़े गए कहीं से भी उबाऊ नहीं लगते।
संगीत

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फिल्म में म्यूजिक रमाशंकर एस. ने दिया है, जो शुरू से अंत तक अपनी उपस्थिति दर्ज करवाता है। फिल्म का बैक ग्राउंड म्यूजिक काफी प्रभावी है जो प्राकृतिक दृश्यों के साथ बेहद सहज है गीत भी उसी प्रकार रचे गए हैं। फिल्म की थीम को ध्यान में रखते हुए म्यूजिक को पांच में से पांच अंक दिए जा सकते हैं।

निर्देशक राम अरुण ने साउथ की परम्परागत फिल्मों में जिस तरह की तकनीक इस्तेमाल की जाती है उसी को दोहराते हुए नहीं दिखे । सिनेमेटोग्राफी काफी प्रभावित करती है। प्राकर्तिक दृश्यों को जिस प्रकार से फिल्माया गया है उसमें दर्शकों को दक्षिण भारत के गाँव के असली रंग देखने को मिल रहे हैं, इस तरह ही जंगल और नदी-पहाड़ भी।

कुल मिलाकर हरकारा अपनी कहानी को लेकर एकदम नए सब्जेक्ट पर बनी है। बीते कई सालों में हमने डाकिए को लेकर कोई फिल्म नहीं देखी। चाहे साउथ हो या बॉलीवुड़ वहां पुलिस-पॉलिटिक्स सुपर एक्शन या फिर सुपर हाइपर हिस्ट्री वाली ही फ़िल्में देखने को मिलती हैं। दिवाली की छुट्टियों में परिवार समेत ये एक बेहतर विकल्प हो सकती है।

First published on: Nov 12, 2023 03:18 PM

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