Monica O My Darling Review: क़त्ल पर क़त्ल होते रहे और आप क़ातिल को पकड़ने के लिए कहानी के पीछे-पीछे भागते रहे। पॉप कल्चर, रेट्रो फील और मॉर्डन फिल्म मेकिंग, ‘मोनिका, ओ माई डार्लिंग’ नेटफ्लिक्स पर हिंदी की सबसे रफ्तार वाली थ्रिलर फिल्मों में से एक है। मतलब जब आप फिल्म देखते हैं, तो आपको कहानी में श्रीराम राघवन वाला फील दिखती है। फील मतलब, अगर आपने अंधाधुंन देखी है और आप उस जैसे जॉनर वाली फिल्मों के फैन हैं, तो मोनिका – आप की भी डार्लिंग बन जाएगी।
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फिल्म कारवां के गाने – मोनिका ओ माई डॉर्लिंग की धुन आज भी जब बजती है, तो नई पीढ़ी भी थिरकती को मजबूर हो जाती है। इस गाने की धुन और आशा जी की आवाज़ का जादू ऐसा है, कि जैसे ही इस नई मोनिका की कहानी आई, तो एक इंट्रेस्ट जाग उठा।
अब कहानी पर आते हैं। ये कहानी पूणे की एक बड़ी रोबोटिक कंपनी के सेलिब्रेशन से शुरु होती है। जहां अंकोला के एक छोटे से गांव से आईआईटी कर चुके जयंत की ज़िंदगी की सबसे बड़ी शाम है। उसे डायरेक्टर बनाया गया है, कंपनी के चार परसेंट शेयर भी मिले हैं। जयंत से कंपनी के मालिक की बेटी, निक्की ऐसा प्यार करती है, जो देखकर आपको भी अपने इर्द-गिर्द के दोस्तों की गर्लफ्रेंड की याद जाएगी।
खैर, जयंत निक्की से शादी करके करोड़ों के सपने बुन रहा है, लेकिन उसका चक्कर, चेयरमैन की सेक्रेट्री मोनिका से चल रहा है। मोनिका, जिसकी माया ऐसी है, जिसमें सब के सब खोए हुए हैं और वो सबकी कमाई से अपना हिस्सा ले रही है। मोनिका के सारे आशिक इकट्ठे होते हैं और उसे मारने का कॉन्ट्रैक्ट करते हैं। पूरी प्लानिंग के साथ काम होता है, लेकिन अगली सुबह मोनिका फिर से आफिस में… और क़त्ल करने में शामिल सारे आशिक हैरान-परेशान।
अब कहानी में ट्विस्ट आता है, सारे के सारे क़ातिल का ही क़त्ल शुरु हो जाता है… आप क़ातिल की पहचान के लिए भागते फिरते हैं। एक-एक करके शक़ करते हैं और जिस पर आपको शक़ होता है, वो फिर मर जाता है। योगेश चंदेकर की कहानी ही इस कहानी की असली हीरो है। वसन बाला के डायरेक्शन ने इस खेल को और दिलचस्प बना दिया है।
अंचित कौर और वरुण ग्रोवर के गाने भी मोनिका की ख़ूबसूरती और सस्पेंस दोनों को खूब बढ़ाते हैं और खास पर तौर पर गाना – ये ज़िंदगी काफी नहीं है के साथ लव यू सो मच, आई वाना किल यू सुनकर मज़ा आ जाएगा।
परफॉरमेंस की तो होल सेल दुकान है मोनिका ओ माई डार्लिंग। राजकुमार राव, क्या कमाल एक्टर हैं। एक ही पल में वो इतने कॉन्फीडेंट दिखते हैं कि आपको उनको देखकर हैरान हो जाएंगे और दूसरे पल में, वो कमज़ोर लाचार, मतलब गिरगिट को भी राजकुमार से ट्रेनिंग लेनी पड़े।
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हुमा कुरैशी, तो मोनिका बनकर क़हर ढा ही रही हैं, किरदार और हुमा में जैसे फर्क ही नहीं कर पाएंगे। सिकंदर खेर तो और देखना चाहिए, क्या कमाल एक्टर हैं। राधिका आप्टे ने फिल्म के आधे के बाद एंट्री मारी है, लेकिन एक्ट्रेस तो वो वाकई शानदार हैं। मतलब कहानी उम्दा, डायरेक्शन कमाल, म्यूज़िक धमाल, और परफॉरमेंस बवाल। तो किस बात का इंतज़ार है… वीकेंड पर नेटफ्ल्किस पर निपटा डालिए – मोनिका ओ माई डार्लिंग।
Ashwani Kumar- फिल्म को 3.5 स्टार
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