Heeramandi, Angelina Yeoward: फिल्ममेकर संजय लीला भंसाली की वेब सीरीज ‘हीरामंडी’ को लेकर चर्चा खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही। जी हां, हर तरफ कोई ना कोई इसके बारे में बातें करता नजर आ ही जाता है। सीरीज के हर एक कलाकार ने अपने किरदार में जान फूंकी है, लेकिन एक किरदार जिसने हर किसी का ध्यान खींचा। हां आप सोच रहे होंगे कि वो ‘मल्लिकजान’ हैं, तो बिल्कुल नहीं, ‘फरीदन’ तो वो भी नहीं, ‘आलम और ताज’, तो वो भी नहीं। दरअसल, सीरीज का एक किरदार ऐसा है, जो कहानी को उसके अंत तक लेकर जाता है और वो है ‘बिब्बोजान’ यानी अदिति राव हैदरी का।
‘बिब्बोजान’ के किरदार ने जीता दिल
दरअसल, अदिति राव हैदरी यानी ‘बिब्बोजान’ इस सीरीज का अहम हिस्सा इसलिए है, क्योंकि उनका किरदार उस तवायफ से प्रेरित है, जिन्होंने अंग्रेजों से लड़ने में मदद की और ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ उठने का साहस किया। बात पहले ‘हीरामंडी’ की करें तो सीरीज में ‘बिब्बोजान’ ना सिर्फ एक कमाल की तवायफ का रोल अदा कर रही हैं बल्कि वो अंग्रेजों के खिलाफ काम करने वाले क्रांतिकारियों की गुप्त रूप से मदद भी करती नजर आई। सीरीज के अंत में ‘बिब्बोजान’ सभी को आजादी के लिए प्रेरित करती हैं और अंत में वो एक अंग्रेजी अफसर पर गोली चला देती हैं, जिसके बाद अंग्रेजी सरकार उन्हें सजा-ए-मौत सुना देती है। ये कहानी तो संजय लीला भंसाली की सीरीज ‘हीरामंडी’ की थी।
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अंग्रेजों से लड़ने वाली तवायफ की असली कहानी
वहीं, अगर अंग्रेजों से लड़ने वाली तवायफ की असली कहानी की बात करें तो वो ना तो ‘हीरामंडी’ से जुड़ी हुई है और ना ही लाहौर से। जी हां, रिपोर्ट्स की मानें तो ये घटना है साल 1920 की, जो बनारस में हुई थी। उस टाइम उस इलाके की सबसे मशहूर तवायफ गौहर जान हुआ करती थीं। ये वो समय था जब महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से लौटे थे और ब्रिटिश राज से लड़ने के लिए स्वराज निधि की शुरुआत हुई थी और उसी टाइम उनकी मुलाकात गौहर जान से हुई।
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गौहर जान ने की मदद
दरअसल, गौहर जान उस टाइम करोड़पति हुआ करती थी और वो उस समय के सबसे धनी भारतीयों में से एक मानी जाती थीं। साल 1920 में गांधीजी ने स्वराज आंदोलन के लिए धन जुटाने के लिए गौहर जान से मदद मांगी और गौहर जान इसके लिए सहमत हो गईं, लेकिन उन्होंने एक शर्त रखी कि गांधी को इसमें भाग लेना होगा। अंत में गांधीजी स्वयं प्रदर्शन में शामिल नहीं हुए बल्कि उनके प्रतिनिधि के रूप में मौलाना शंकत अली शामिल हुए। गौहर जान ने प्रदर्शन के लिए 24,000 रुपये जुटाए थे जो उस समय एक बड़ी रकम थी। हालांकि, जब गांधी स्वयं प्रदर्शन के लिए नहीं आए, तो गौहर जान ने मौलाना को केवल 12,000 रुपये ही दिए।
कौन थीं गौहर जान?
गौहर जान के नाम से मशहूर एंजेलिन येवार्ड (Angelina Yeoward) भारत की पहली सिंगिंग सुपरस्टार थी। उनका जन्म साल 1873 में हुआ था। गौहर भारत में रिकॉर्ड पर गाना रिकॉर्ड करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। इन्होंने साल 1902-20 तक दस भाषाओं में 600 से ज्यादा गाने रिकॉर्ड किए, जिससे वह घर-घर में जानें जाने लगीं और उन्हें ‘ग्रामोफोन गर्ल’ और ‘द’ के टैग दिए गए। गौहर के पास खुद की निजी ट्रेन भी थी। गौहर एक वेश्या की बेटी थी और कोठे में पली-बढ़ी थी। किशोरावस्था से पहले उसका यौन शोषण किया गया था। रिपोर्ट्स की मानें तो 13 साल की उम्र में उनके साथ बलात्कार किया गया था। हालांकि, गौहर जान उस सदमे को पीछे छोड़ आगे बढ़ी और भारत की पहली सिंगिंग सुपरस्टार बन गईं। 1930 में 56 वर्ष की आयु में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।
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