Do Patti Review In Hindi: Ashwini- आपको पता है कि ‘मिमी’ के बाद जब कृति को नेशनल अवॉर्ड मिला, तो उन्हे लगा कि एक और इंटेंस फिल्म बनानी चाहिए। उनके दिमाग में एक आईडिया आया। ये आईडिया कृति ने कनिका ढिल्लन को सुनाया, कनिका के पास पहले से ही दो बहनों के बीच राइवलरी की एक स्टोरी थी, उसमें कृति का आईडिया मिक्स किया गया और एक नई कहानी तैयार हुई – ‘दो पत्ती’। अब आप कहेंगे कि रिव्यू में हम ‘दो पत्ती’ की कहानी की ओरिजिनल की स्टोरी क्यों सुना रहे हैं? वो इसलिए क्योंकि दो अलग-अलग सब्जियां मिलकर – अच्छी मिक्स वेज ही बने, ये कोई जरूरी नहीं। क्योंकि करेले और कद्दू को अलग-अलग ही पकाना चाहिए।
‘दो पत्ती’ की कहानी
हिमाचल के एक शांत से दिखने वाले हिल टाउन – देवीपुर के आसमान में अचानक से एक अशांति होती है। पैराग्लाइडिंग करती – सौम्या को उसका पति हवा से धक्का दे रहा है। वहां पुलिस ऑफिसर विद्या ज्योति पहुंचती हैं, जो सौम्या के कहने पर ध्रुव सूद की हत्या की कोशिश करने पर अटेम्प्ट टू मर्डर में अरेस्ट कर लेती हैं। फिर कहानी का फ्लैशबैक शुरू होता है कि सौम्या और शैली, दो जुड़वा लेकिन अनाथ बहने हैं, जिनमें बचपन से ही एक राइवलरी है। दोनो को एक दूसरे की चीजें, एक दूसरे से ज्यादा अटेंशन चाहिए।
कैसा है सौम्या और शैली का किरदार
अब बात कर लेते हैं दोनों बहनों के किरदार के बारे में सौम्या थोड़ी सहमी सी है। वहीं शैली जरा ज्यादा ही बिंदास। जुड़वा बहनों के बीच तकरार के चलते, बचपन से ही शैली को घर से दूर हॉस्टल भेज दिया गया और सौम्या सहमी-सहमी सी घर पर रही। कहानी में रोमांस आता है – ध्रुव सूद के साथ, जिसे सौम्या चाहती है। लेकिन लव स्टोरी परवान चढ़ती उससे पहले, कहानी में शैली की एंट्री हो जाती है और बहनों की तकरार, अब ध्रुव को पाने की जंग में बदल जाती है। लेकिन ध्रुव और सौम्या का विवाह होता है, शैली का दिल टूटता है। शैली, सौम्या की जिंदगी में जहर घोलने के लिए लगी रहती है और ध्रुव सौम्या पर शादी के बाद – डोमेस्टिक वायलेंस यानी घरेलू हिंसा करने लगता है।
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जुड़वा बहनों के बीच की राइवलरी
कहानी वहीं पहुंच जाती है, जहां से शुरू हुई है, यानी सौम्या को मारने की कोशिश और पुलिस ऑफिसर विद्या की पड़ताल इस कहानी से वो कड़ियां खोज कर निकालती हैं। जो राइटर कनिका ढिल्लन ने कृति सेनन से आइडिया लेने के बाद कहानी में डाली। यानी घरेलू हिंसा के खिलाफ औरतों का उठती आवाज़। कहानी के पहले पार्ट और दूसरे पार्ट का, यानि दो जुड़वा बहनों के बीच चल रही राइवलरी और घरेलू हिंसा के खिलाफ मुहिम, ये ट्रैक आपस में किसी रेलवे ट्रैक जैसे हैं, जो कहानी में जुड़ते ही नहीं। लेकिन कनिका ढिल्लन ने अपनी प्रोड्यूसर, और आइडिया जनरेटर कृति सेनन के आईडिए को लेकर इन दोनो ट्रैक को जोड़ा, और ऐसा एक्सीडेंट हुआ है, कि पूछिए नहीं। इसी वजह से कहते हैं कि बड़ों की बात सुननी चाहिए – जिसका काम उसी को साधे।
कृति एक्टर अच्छी हैं, नेशनल अवॉर्ड के बाद वो राइटर बन गई हैं, और कनिका ढिल्लन ‘मनमर्ज़ियां’ और ‘हसीन दिलरुबा’ के बाद खुद को शरलॉक होम्स की तरह ट्रीट करने लगी हैं। कहानियों को जबरदस्ती उलझाने में कनिका ने फिर आई ‘हसीन दिलरूबा’ में भी गलती की, और ‘दो पत्ती’ में भी।
शशांक चतुर्वेदी के डायरेक्शन में बनी दो पत्ती
अब दो इतने शार्प माइंड वाली महिलाओं के बीच डायरेक्टर शशांक चतुर्वेदी उलझ गए, और उन्होने अपनी पहली ही फिल्म में वो करेले और कद्दू की मिक्स वेज बना दी, जिसका जिक्र हमने सबसे पहले किया है। घरेलू हिंसा को लेकर हाल-फिलहाल में अब तक, जो सबसे शानदार फिल्म आई है। वो है डायरेक्टर अनुभव सिन्हा की – ‘थप्पड़’, जिसमें तापसी पन्नू का शानदार काम था। ‘थप्पड़’ ने समझाया कि घरेलू हिंसा के खिलाफ एक इफेक्टिव कहानी, सिर्फ़ एक ‘थप्पड़’ के इर्द-गिर्द रची जा सकती है। उसमें इतना वायलेंस दिखाने की ज़रूरत नहीं, जितना इस फिल्म में शहीर शेख़ और कृति सेनन के बीच दिखाया गया है। और वो हद से ज़्यादा, डिस्टर्बिंग है।
कहां देख सकते हैं ‘दो पत्ती’
लोकेशन अच्छी है, सिनेमैटोग्राफी कमाल की है, गाने भी अच्छे है.. बस कहानी ने मामला बिगाड़ दिया है।
सौम्या और शैली के किरदार में कृति का काम शानदार है। एक्टर तो कृति सेनन कमाल है, इसमें कोई शक ही नहीं। पुलिस ऑफिसर – विद्या के किरदार में काजोल का कैरेक्टर स्केच कुछ ज्यादा ही अजीब लिख दिया गया और वो कन्फ्यूजन उनकी परफॉर्मेंस भी झलकता है। शहीर शेख़, रोमांटिक पार्ट्स में तो अच्छे लगते हैं, लेकिन जब उनमें वायलेंस दिखाया और कराया जाता है, तो लगता है कि ड्रामा ज्यादा हो रहा है। तनवी आजमी तो बेहतरीन अदाकारा हैं, और उनका यहां भी अच्छा है।
दो पत्ती को 2 स्टार।
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