महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को विधानसभा में नागपुर में हुई हिंसा और आगजनी पर बयान दिया। उन्होंने फिल्म ‘छावा’ का जिक्र करते हुए कहा कि इस फिल्म ने मराठा राजा छत्रपति संभाजी महाराज के इतिहास को उजागर किया, जिससे मुगल शासक औरंगजेब के खिलाफ लोगों में आक्रोश बढ़ा। मुख्यमंत्री ने साफ किया कि वो किसी फिल्म को दोष नहीं देना चाहते, लेकिन ‘छावा’ के जरिए लोगों ने छत्रपति संभाजी महाराज के इतिहास को जाना, जिससे उनकी भावनाएं प्रबल हुईं और औरंगजेब के लिए गुस्सा सामने आया।
फडणवीस ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि सभी को संयम बरतना चाहिए। उन्होंने ये भी साफ किया कि अगर कोई दंगा करता है, तो सरकार जाति या धर्म देखे बिना सख्त कार्रवाई करेगी। अब सवाल ये उठता है कि क्या वाकई फिल्म छावा हिंसा के लिए जिम्मेदार है? चलिए आपको बताते हैं उन सीन्स के बारे में जिन्हें देखकर लोगों को गुस्सा आ जाता है।
संभा जी महाराज पर अत्याचार
फिल्म में जिस तरह से दिखाया गया है किस औरंगजेब ने संभा जी महाराज को कैद करते उन पर अत्याचार किए, वो देखना हर किसी के बस की बात नहीं। औरंगजेब के इतने अत्याचार लेकिन संभा जी महाराज के मुंह से एक उफ्फ तक नहीं निकली। फिल्म में ये सीन देखने के बाद हर कोई इमोशनल हो जाता है। संभा जी महाराज के दर्द को थिएटर में बैठा हर एक शख्स खुद फील करता है।
संभा जी महाराज को मिला धोखा
फिल्म में एक और सीन दिखाया गया है कि जिसमें वो दो शख्स जिन पर संभा जी महाराज सबसे ज्यादा भरोसा करते हैं, वो उन्हें धोखा देते हैं। उन्हीं की वजह से औरंगजेब की सेना को संभा जी महाराज के ठिकाने के बारे में पता चल पाता है। इस सीन को देखकर भी लोग आक्रोश में आ जाते हैं।
संभा जी महाराज तो छोड़ा अकेले
फिल्म में दिखाया गया है कि औरंगजेब के बेटे अकबर समेत कई शासकों ने संभा जी महाराज को बीच युद्ध में ही अकेले छोड़ दिया। वो उनके लिए जंग के मैदान में कूदे और कहीं ना कहीं उन्हीं के साथ विश्वासघात किया गया। बस इस सीन के बाद भी लोग काफी गुस्से में आ गए।
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