Vicky Kaushal Chhaava Climax: विक्की कौशल की फिल्म ‘छावा’ सिनेमाघरों में धमाल मचा रही है। जिन लोगों ने फिल्म देखी ली है, वह इसकी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं। चर्चा है कि ‘छावा’ का क्लाइमैक्स काफी इमोशनल और बेचैन कर देने जैसा है। विक्की कौशल ने एक अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया था जिसमें एक बच्चा फिल्म को देखते हुए बहुत रो रहा था। दूसरी ओर गुजरात के भरूच में एक दर्शक ने फिल्म का क्लाइमैक्स देख आक्रोश में आकर सिनेमा की स्क्रीन फाड़ दी। कुल मिलाकर देखा जाए तो ‘छावा’ के क्लाइमैक्स की चर्चा हर तरफ हो रही है। आइए जानते हैं क्यों?
क्या है छावा की कहानी?
फिल्म ‘छावा’ का क्लाइमैक्स जानने के लिए पहले आपको इसकी कहानी जाननी होगी। फिल्म की कहानी छत्रपति संभाजी महाराज की जिंदगी से प्रेरित है। संभाजी छत्रपति शिवाजी महाराज के बेटे थे, जिन्हें छावा के नाम से जाना जाता था। इस फिल्म में विक्की कौशल ने उन्हीं का किरदार निभाया है। फिल्म की शुरुआत होती है औरंगजेब की दिल्ली में हुकूमत से। खबर आती है कि छत्रपति शिवाजी महाराज की मृत्यु हो गई है।
मुगलों को लगता है कि मराठा का अंतिम काल आ चुका है लेकिन वह अनजान होते हैं शेर छत्रपति शिवाजी महाराज के बेटे छावा यानी संभाजी महाराज से जो उनकी हुकूमत को जड़ से उखाड़ने के लिए तैयार है। यहीं से शुरुआत होती है छावा और औरंगजेब के युद्ध की।
resistance to Mughal, Turk, Afghan; who uphold hinduism but not convert to islam.#Chhaavapic.twitter.com/6PR7CUrX3T
---विज्ञापन---— Ram.🇮🇳🇮🇱 (@fornaxAR) February 16, 2025
यह भी पढ़ें: Chhaava से Vicky Kaushal का क्लाइमैक्स लुक रिवील, तस्वीर देख यूजर्स कर रहे तारीफ
क्लाइमैक्स कर देगा बैचेन
औरंगजेब के हर वार का छत्रपति संभाजी महाराज मुंहतोड़ जवाब देते हैं। फिल्म देखते हुए आपको एक मिनट भी एहसास नहीं होगा कि मुगलों के लाखों सैनिकों के आगे मराठा की हजारों की फौज कम पड़ रही है। कहानी मोड़ तब लेती है, जब संभाजी के दरबार के दो लोग उनके साथ छल करते हैं और औरंगजेब से जाकर मिल जाते हैं। इस छल की वजह से औरंगजेब के सैनिक छत्रपति संभाजी महाराज को कैद कर लेते हैं।
औरंगजेब का अत्याचार
औरंगजेब चाहता है कि संभाजी महाराज उसके आगे घुटने टेक दे। इस वजह से वह अत्याचार की सारी हदें पार करता है। वह संभाजी को बीच सड़क पर जंजीरों से जकड़ कर लटका देता है। उसके सैनिक छावा को कड़ी यातनाएं देते हैं। उनके नाखून निकाले जाते हैं, जख्मों पर नमक लगाया जाता है।
इसके बाद भी जब उसे कामयाबी नहीं मिलती है तो वह संभाजी महाराज की आंखें निकलवा देता है। उनकी जुबान को खींच लिया जाता है। औरंगजेब के ये अत्याचार काफी बेचैन कर देने जैसे हैं लेकिन उसकी सबसे बड़ी हार होती है कि इतने अत्याचार के बावजूद भी वह संभाजी महाराज को घुटने टेकने के लिए मजबूर नहीं कर पाता है। फिल्म का ये सीन दर्शकों की आखों को नम कर रहा है।