IAS Ranjith 2020 Batch: सिविल सेवा की परीक्षा किसी के लिए आसान नहीं होती, ये जानने के बावजूद कई लोग IAS बनने का ख्वाब देखते हैं। मगर आज हम आपको एक ऐसे शख्स से रूबरू करवाने जा रहे हैं, जो ना ही बोल सकता है और ना ही सुन सकता है। बचपन से बोलने और सुनने में असमर्थ होने के बावजूद उन्होंने IAS बनने का सपना देखा और 27 साल की उम्र में उसे साकार कर दिखाया। तो आइए जानते हैं IAS डी रंजीत के बारे में।
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पढ़ाई में थे अव्वल
तमिलनाडु के कोयम्बटूर से ताल्लुक रखने वाले डी रंजीत हमेशा से पढ़ाई में अव्वल रहे हैं। वहीं रंजीत की इस सफलता में उनकी मां का अहम योगदान है। रंजीत की मां ने उन्हें बचपन से लिप रीडिंग करना सिखाया। इससे रंजीत को दूसरों की बातें सुनाई नहीं देती थीं मगर वो उसे आसानी से समझ जाते थे। रंजीत पढ़ने में भी हमेशा से आगे थे और वो 12वीं कक्षा में भी अव्वल आए थे।
नहीं मिली नौकरी
डी रंजीत ने तमिलनाडु से ही ग्रेजुएशन पूरी की। हालांकि बी टेक करने के बावजूद उन्हें किसी कंपनी में नौकरी नहीं मिली। बोलने और सुनने में असमर्थ होने के कारण रंजीत को सभी ने नौकरी देने से इंकार कर दिया। हालांकि रजीत ने हार नहीं मानी और कामयाबी हासिल करने के लिए उन्होंने ऑफिसर बनने की ठान ली।
Thank you very much for all of your support in my journey. I couldn’t have done with out all of you. It’s just a beginning for the journey ahead. #UPSC2020 pic.twitter.com/kIVLdVJaPx
— D Ranjith (@RanjithDharmaa) September 26, 2021
27 की उम्र में क्रैक की परीक्षा
डी रंजीत ने UPSC की तैयारी करनी शुरू कर दी। बेशक ये फैसला उनके लिए बिल्कुल आसान नहीं था। मगर तमाम चुनौतियों से लड़ने के बावजूद रंजीत ने हार नहीं मानी और डटे रहे। आखिर 2020 के परिणाम आने के साथ रंजीत की मेहनत रंग लाई और उन्होंने 750 रैंक के साथ सिविल सेवा परीक्षा पास कर ली। रंजीत ने तमिल साहित्य को अपना वैकल्पिक विषय चुना और पहले ही प्रयास में IAS बन गए। रंजीत को केरल कैडर मिला है और अभी वो केरल के पलक्कड़ जिले में बतौर असिस्टेंट कलेक्टर नियुक्त किए गए हैं।