रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक आज से शुरू हो गई है। इस तीन दिवसीय बैठक में तय होगा कि आपके लोन की EMI कम होगी या नहीं। अगर RBI रेपो रेट में कटौती करता है, तो लोन सस्ते हो सकते हैं और आपके EMI के बोझ में भी कुछ कमी आ सकती है। 9 अप्रैल को सुबह 10 बजे आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा इस बैठक में लिए गए फैसलों की घोषणा करेंगे।
कटौती की उम्मीद अधिक
माना जा रहा है कि महंगाई में आई नरमी को ध्यान में रखते हुए रिजर्व बैंक फरवरी की तरह अप्रैल में भी रेपो रेट में कटौती कर सकता है। अगर ऐसा होता है, तो लोन के मोर्चे पर लोगों को कुछ राहत मिल सकती है। वहीं, दूसरी तरफ फिक्स्ड डिपॉजिट यानी FD के मोर्चे पर उन्हें झटका भी लग सकता है। चलिए समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर रेपो रेट से FD पर मिलने वाले ब्याज का क्या रिश्ता है?
तब भी दिखा था असर
फरवरी में जब RBI ने पांच साल के अंतराल के बाद रेपो रेट में 0.25% की कटौती करके उसे 6.25% कर दिया था, तो इसके बाद बैंकों द्वारा FD पर मिलने वाले ब्याज में भी संशोधन किया गया था। प्राइवेट सेक्टर के DCB बैंक ने तुरंत 3 करोड़ रुपये से कम की FD पर ब्याज दरों में 65 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की थी और नई दरें 14 फरवरी से लागू हो गई थीं। CNBCटीवी18 की रिपोर्ट के अनुसार, एचडीएफसी बैंक ने 3 करोड़ रुपये से कम की FD पर ब्याज दरों में बदलाव किया है। 35 महीने के डिपॉजिट पर ब्याज दर 35 बेसिस पॉइंट्स की कमी के बाद 7% हो गई है। जबकि, 55 महीने के डिपॉजिट की ब्याज दर में 40 बेसिस पॉइंट्स की कमी हुई है।
यहां भी कम हुई ब्याज दर
रिपोर्ट के मुताबिक, यस बैंक ने चुनिंदा अवधि पर अपनी FD दरों में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की है। पंजाब एंड सिंध बैंक ने भी ब्याज दरों को अपडेट किया है। बैंक ने 33 दिन और 555 दिन वाला FD विकल्प समाप्त कर दिया है, जिस पर क्रमशः 7.72% और 7.45% की दर से ब्याज मिलता था। जबकि 444-दिन की FD की दर 7.40% से घटकर 7.10% कर दी गई है। इसी तरह, 777-दिन के डिपॉजिट पर ब्याज दर घटकर 6.50% और 999-दिन की FD पर 6.35% रह गई है।
क्या है रेपो रेट?
रेपो रेट और FD की ब्याज दरों का रिश्ता समझने से पहले जानते हैं कि रेपो रेट क्या होता है। दरअसल, रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है। ऐसे में जब रेपो रेट में बढ़ोतरी होती है, तो बैंकों के लिए कर्ज महंगा हो जाता है और वो ग्राहकों के कर्ज को भी महंगा कर देते हैं। इसके उलट जब रेपो रेट में कटौती होती है, तो बैंकों को केंद्रीय बैंक से सस्ते में लोन मिलता। इसका फायदा बैंकों द्वारा ग्राहकों को देने की संभावना बढ़ जाती है। इससे लोन सस्ते होने का रास्ता खुल जाता है और आपकी EMI का बोझ कुछ कम होने की उम्मीद बढ़ती है।
इसलिए होती है कमी
बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट पर अधिक ब्याज देकर उसे इसलिए आकर्षक बनाते हैं, ताकि लोग बैंकों में ज्यादा से ज्यादा पैसा रखें और उससे बैंक अपनी आर्थिक गतिविधियों को सुचारू रूप से चला सकें। जब आरबीआई रेपो रेट में कटौती करता है, तो बैंक कम लागत पर धन उधार ले सकते हैं। ऐसे में बैंकों को धन आकर्षित करने के लिए उच्च रिटर्न की पेशकश की आवश्यकता नहीं रहती। इस वजह से वह FD पर ब्याज दरें कम कर देते हैं। अगर रिजर्व बैंक रेपो रेट में एक और कटौती करता है, तो इसकी भी आशंका बनी रहेगी कि बैंक FD पर ब्याज दरों को फिर से संशोधित करें।
क्या करें निवेशक?
डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों से रेपो रेट में कमी की संभावना पर सवाल जरूर खड़ा हुआ है, लेकिन अधिकांश एक्सपर्ट्स का मानना है कि कटौती की उम्मीद अधिक है, क्योंकि महंगाई के मोर्चे पर अब पहले वाली परेशानी नहीं है। लिहाजा, अगर आप अपना कुछ पैसा फिक्स्ड डिपॉजिट करना चाहते हैं, तो RBI के रेपो रेट पर निर्णय से पहले या उसके तुरंत बाद करना बेहतर रहेगा। बैंकों द्वारा ब्याज दरों में संशोधन से पहले शुरू हुई FD पर ब्याज में हुए संशोधन का प्रभाव नहीं पड़ेगा।